उत्तराखंड देश को सबसे ज्यादा जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार
उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। हर छह माह बाद भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित होने वाली पीओपी में इसकी झलक देखने को मिलती है।
देहरादून, सुकांत ममगाईं। उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहा के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, पराक्रम के वह किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने जा रहे जेंटलमैन कैडेटों के आंकड़े इसके गवाह हैं। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे ज्यादा जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है।
उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। हर छह माह बाद भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड (पीओपी) में इसकी झलक देखने को मिलती है। पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हुई है, जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की तादाद अधिक न रही हो।
प्रदेश की आबादी देश की आबादी का महज 0.84 फीसद है। यदि इसकी तुलना आइएमए से कुल पासआउट होने वाले 333 भारतीय कैडेटों से करें तो राज्य के सहयोग का स्तर 31 कैडेटों के साथ नौ प्रतिशत से ऊपर बैठता है। इस मुकाबले बड़े राज्य भी उत्तराखंड के आगे पानी भरते नजर आ रहे हैं। पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या भले ही सबसे अधिक 66 है, मगर इसकी तुलना वहां की आबादी के हिसाब से करें तो देश को जांबाज देने में अपना प्रदेश ही अव्वल नजर आता है। क्योंकि उत्तर प्रदेश की आबादी का प्रतिशत देश की कुल आबादी का 16 फीसद है, जो उत्तराखंड से कहीं अधिक है।
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महाराष्ट्र, राजस्थान व पंजाब जैसे राज्य संख्या बल में भी उत्तराखंड से कई पीछे हैं। कैडेटों की संख्या में बिहार उत्तराखंड के साथ खड़ा है, जबकि बिहार की आबादी उत्तराखंड से तकरीबन साढ़े नौ करोड़ ज्यादा है। देश को सैन्य अफसर देने के मामले में हरियाणा भी आगे है। देश की 2.09 फीसद आबादी वाले इस राज्य से करीब 12 प्रतिशत युवा सैन्य अफसर बनने जा रहे हैं।