बेटे के खुशी के पलों में शामिल न हो पाने का गम, आइएमए की पीओपी में नहीं होंगे परिजन
कैडेटों के स्वजन इस बार पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं होंगे। सेना के रिटायर नायब सूबेदार मोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी मोहिनी रावत को पासिंग आउट परेड ...और पढ़ें

देहरादून, जेएनएन। अपने लाडले की खुशियों में शामिल होने की ख्वाहिश हर माता-पिता की होती है। भारतीय सैन्य अकादमी में होने वाली पासिंग आउट परेड में अद्भुत क्षण होता है, जब स्वजन अपने हाथों से अपने लाडले के कंधों पर सितारे लगाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की छाया इन खास लम्हों पर भी पड़ी है।
कैडेटों के स्वजन इस बार पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं होंगे। खास बात यह कि अकादमी से ही सटे प्रेमनगर में रहने वाले स्वजन भी बेहद करीब होकर भी अपने लाडले को मिलने वाली खुशी के इन पलों को करीब से नहीं देख पाएंगे, जबकि वह पिछले एक साल से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। सेना के रिटायर नायब सूबेदार मोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी मोहिनी रावत को पासिंग आउट परेड में न जा पाने का मलाल है।
मूलरूप से चमोली के नारायणबगड़ ब्लॉक के बिनायक गांव निवासी रावत दंपती का इकलौता बेटा हीरा सिंह भी इस बार आइएमए से पासआउट होकर बतौर लेफ्टिनेंट बनने जा रहा है। उसे आर्मी एवियेशन कोर में कमीशन प्राप्त हो रहा है। केंद्रीय विद्यालय आइएमए से दसवीं और 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद हीरा ने आगरा स्थित दयालबाग इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया था। इसके बाद उसका प्लेसमेंट टाटा कंसल्टेंसी में हुआ, लेकिन हीरा ने मल्टीनेशनल कंपनी के जॉब को ठुकराकर अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सेना ज्वाइन की।
पिछले तीन माह से कोरोना संक्रमण के चलते जो हालात बने हुए हैं, उससे अभिभावकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। स्वजनों की मायूसी इस बात को लेकर भी है कि महज कुछ दूरी पर हो रही पासिंग आउट परेड के यादगार पलों को वह देख नहीं पा रहे हैं। पिता मोहन सिंह रावत बताते हैं कि उन्हें अपने बेटे की कामयाबी पर खुशी है। गर्व इस बात का भी दादा, नाना और पिता के बाद बेटा भी अब देश की सरहदों की हिफाजत करने जा रहा है। बताया कि बेटा सैन्य यूनिट से जब छुट्टी लेकर घर आएगा, तो जरूर वह अपने हाथों से रस्मी तौर पर बेटे के कंधों पर सितारे लगाएंगे।

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