उत्तराखंड सरकार ने कार्मिकों के वेतन उच्चीकरण और नई भर्ती पर लगाई रोक, कर्मियों ने जताया विरोध
कोविड-19 संक्रमण रोकने की कोशिश में अर्थव्यवस्था को लगे झटके ने सरकारी महकमों के तमाम खर्चो और उनमें नए रोजगार पर कैंची चला दी है। सरकार के इस फैसलेे का कर्मियों ने विरोध किया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोविड-19 संक्रमण रोकने की कोशिश में अर्थव्यवस्था को लगे झटके ने सरकारी महकमों के तमाम खर्चो और उनमें नए रोजगार पर कैंची चला दी है। सरकारी महकमों में चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में किसी भी पद पर वेतन उच्चीकरण (इंक्रीमेंट) पर रोक लगा दी गई है। चिकित्सा और पुलिस को छोड़कर अन्य किसी महकमे में नए पदों को मंजूरी नहीं मिलेगी।
अनुपयोगी पदों को चिह्नित कर खत्म किया जाएगा। प्राथमिक शिक्षा में शिक्षक व छात्र अनुपात के मुताबिक सरप्लस शिक्षकों को अन्य रिक्त पदों पर समायोजित होंगे। साथ ही शिक्षकों के पठन-पाठन की कार्यशैली का विश्लेषण हर तीन महीने में किया जाएगा।
कोरोना संकट काल में लॉकडाउन से लागू किए जाने से प्रदेश की माली हालत खराब हो चुकी है। राजस्व वसूली कम हो गई है। अर्थव्यवस्था को लगे झटके से उबारने के लिए गठित पूर्व मुख्य सचिव आइके पांडे समिति ने भी खर्चो में कटौती से संबंधित उक्त सिफारिशें सरकार से की थीं। सरकार ने उक्त सिफारिशों को अमलीजामा पहना दिया है।
खर्च प्रबंधन और प्रशासनिक खर्चो में कटौती के लिए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, प्रभारी सचिवों व विभागाध्यक्षों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि कंप्यूटरीकरण से महकमों के कार्य क्षेत्र में बदलाव के चलते कार्यभार में कमी आई है। ऐसे में अनुपयोग पद चिह्नित कर खत्म होंगे।
इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को अन्य पदों या अन्य विभागों में शासन से मंजूरी लेकर समायोजित किया जाएगा। नियत वेतन, संविदा, दैनिक वेतन के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति पूर्ण प्रतिबंधित की गई है। चतुर्थ श्रेणी और अन्य समकक्ष पदों के रिक्त होने वाले पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं होंगी। सुरक्षा संबंधी जरूरतों को छोड़कर नए वाहनों की खरीद नहीं होगी।
राज्य सरकार के अंतर्गत कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को स्वीकृत मानदेय के अतिरिक्त टीए, डीए, एचआरए, सीसीए, एलटीसी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान होगा। इससे इतर दिए जा रहे भत्ते तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाएंगे।
अपने खर्चो पर लगाम लगाए सरकार
राजकीय कर्मचारियों का डीए फ्रीज करने और सालभर तक हर महीने एक दिन का वेतन कटौती का फैसला लेने के बाद सरकार ने कर्मचारियों को एक और झटका दिया है। सरकार ने मौजूदा सत्र में सरकारी विभागों में किसी भी पद का वेतनमान उच्चीकरण न करने का फैसला लिया है। शिक्षक संगठन सरकार के इस फैसले के विरोध में खड़े हो गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि केवल कर्मचारियों की जेब पर कैंची चलाने के बजाय सरकार को अपने खर्चे भी कम करने चाहिए।
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि सरकार के इस फैसले से प्रदेश भर में सेवाएं दे रहे करीब 60 हजार शिक्षक सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। किसी भी स्लैब में पदोन्नत होने वाले शिक्षक, प्रधानाचार्य या कर्मचारियों को इस फैसले के चलते भारी आर्थिक नुकसान होगा। पहले से ही साल भर तक प्रत्येक महीने एक दिन के वेतन कटौती के फैसले का विरोध चल रहा है, उस पर यह फैसला थोपना न्याय संगत नहीं।
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प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने कहा कि सरकार द्वारा वर्तमान सत्र में सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान का उच्चीकरण ना किए जाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे शिक्षक और दूसरे राजकीय कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। राजकीय शिक्षक संघ के महामंत्री सोहन सिंह मङिाला ने कहा कि पहले डीए फ्रीज करके हर माह एक दिन की वेतन कटौती और अब नया फैसलों सुनाकर कर्मचारियों में भारी रोष पैदा हो रहा है। सरकार को अपना फैसला वापस लेना होगा।
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