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    उत्तराखंड सरकार का निर्णय: संविदा-आउटसोर्स भर्ती पर प्रतिबंध, स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट; मरीजों के लिए आफत

    Updated: Mon, 19 May 2025 09:50 AM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ने सभी विभागों में संविदा और आउटसोर्स भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्टाफ की कमी का खतरा बढ़ गया है। वार्ड ब्वाय से लेकर डॉक्टर तक के पद प्रभावित हो रहे हैं। सरकार के इस निर्णय से चिकित्सा शिक्षा विभाग को संविदा और आउटसोर्स भर्ती संबंधी आदेश से मुक्त रखने का अनुरोध किया गया है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। स्वास्थ्य इकाइयों में स्टाफ की पूर्ति के लिए आउटसोर्सिंग एक बड़ा माध्यम रही हैं। न केवल सहायक स्टाफ, बल्कि सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों तक की तैनाती आउटसोर्स के माध्यम से की जाती रही है। पर अब प्रदेश सरकार ने सभी विभागों में संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, अंशकालिक, नियत वेतन व तदर्थ भर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।

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    स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग में हाल के वर्षों में बड़े स्तर पर स्थायी नियुक्तियां की गई हैं। पर अब भी बड़े स्तर पर संविदा व आउटसोर्स कर्मी यहां काम कर रहे हैं। इनमें वार्ड ब्वाय से लेकर तकनीशियन व डाक्टर तक शामिल हैं। यही नहीं कई पदों पर अभी भी आउटसोर्स पर भर्ती की गुंजाइश है। जब तक पूर्णकालिक भर्ती होती है, इसकी आवश्यकता भी है।

    मरीजों को भुगतना पड़ेगा खामियाजा

    उदाहरण के लिए मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर करने के लिए नियमित तौर पर साक्षात्कार आयोजित किए जाते हैं। पर संविदा व आउटसोर्स भर्ती बंद होने से यह प्रक्रिया भी लटक गई है। जिसका खामियाजा कहीं न कहीं मरीजों को भुगतना पड़ेगा।

    शासन को भेजा है प्रस्ताव

    उधर, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आरएस बिष्ट ने कहा कि उक्त समस्याओं को देखते हुए निदेशालय स्तर से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। अति आवश्यक सेवा के चलते चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग को संविदा, आउटसोर्स भर्ती संबंधी आदेश से मुक्त रखने का अनुरोध किया गया है। शासन ने इस पर सकारात्मक रूख दिखाया है। उम्मीद है जल्द मंजूरी मिल जाएगी।

    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सामने खड़ी हो गई चुनौती, मरीजों की आफत

    दून मेडिकल कालेज अस्पताल की आइपीडी में तैनात एकमात्र रेडियोलाजिस्ट डा. सौरभ सच्चर का अनुबंध आगामी 30 मई को समाप्त हो रहा है। वह फिलहाल असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। बताया गया कि गत दिसंबर में उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर हो जाना था। पर कुछ तकनीकी कारणों से मामला खिंचता चला गया। अब यदि एसोसिएट प्रोफेसर बनना है तो इसके लिए उन्हें नए सिरे से साक्षात्कार में शामिल होना होगा। पर आउटसोर्स भर्ती पर रोक के कारण साक्षात्कार फिलहाल बंद हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर अनुबंध बढ़ाने के डा. सच्चर इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में उनका अनुबंध समाप्त होने से आइपीडी के अल्ट्रासाउंड अटक सकते हैं।

    इन पदों पर चाहिए नियुक्ति

    अस्पताल की फिजियोथेरेपी यूनिट में फिजियोथेरेपिस्ट के छह पद स्वीकृत हैं। पूर्व में यहां चार फिजियोथेरेपिस्ट तैनात थे, जिनमें एक फिजियोथेरेपिस्ट सेवानिवृत्त हो गए हैं। जबकि एक को सचिवालय स्थित डिस्पेंसरी से संबद्ध किया गया है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की एक फिजियोथेरेपिस्ट को मूल विभाग के लिए रिलीव कर दिया गया है। अब यहां सिर्फ संविदा पर एक ही फिजियोथेरेपिस्ट तैनात हैं। जिससे व्यवस्था बनाने में दिक्कत आ रही है। अस्पताल प्रशासन ने दो फिजियोथेरेपिस्ट की डिमांड दी है, पर आउटसोर्स भर्ती पर रोक के कारण मामला लटका हुआ है।

    विदेश जा रहे हैं डॉक्टर शिवम डांग

    अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डा. शिवम डांग फेलोशिप के लिए विदेश जा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़ दी है। वह फिलहाल नोटिस पीरियड में हैं और 24 मई को उनका अनुबंध समाप्त हो जाएगा। उनके कार्यमुक्त होने के बाद प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आपरेशन पूरी तरह ठप हो जाएंगे। ऐसे में मरीजों की परेशानी बढ़ेगी। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि एक महिला प्लास्टिक सर्जन उनकी जगह ज्वाइन करने की इच्छुक हैं। पर आउटसोर्स पर उनकी नियुक्ति कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है।

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