रजत जयंती समारोह में दिखी उत्तराखंड की लोक संस्कृति की छटा, टिहरी की नथ, गलोबंद व पिछौड़ा ने किया मंत्रमुग्ध
टिहरी की नथ और पिछौड़ा उत्तराखंड की लोक संस्कृति की सुंदरता को दर्शाते हैं। यह पारंपरिक परिधान उत्तराखंड की पहचान और गौरव का प्रतीक है, जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर देहरादून के एफआरआइ में आयोजित समारोह में पारंपरिक परिधान में पहुंची महिलाएं। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून : रजत जयंती पर देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान का परिसर रंग-विरंगी पारंपरिक वेशभूषा में सजे लोगों से खिल उठा।
प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में आयोजित इस भव्य समारोह में उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपरा और लोकजीवन की जीवंत झलक देखने को मिली। टिहरी की नथ, गलोबंद से लेकर पिछौड़ा और अंगरा परिधानों में सजी महिलाओं ने उत्तराखंड के वास्तविक स्वरूप के दर्शन कराए।
प्रदेश के 25वें स्थापना दिवस पर दून में विभिन्न जिलों से पहुंचे लोग, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाएं, पारंपरिक परिधानों में सजधज कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रही थीं।

जौनपुर, जौनसार, टिहरी, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी से लेकर नीती-माणा घाटी तक की महिलाओं ने अपने क्षेत्रीय परिधानों और आभूषणों से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया।
पिछौड़ा, लाल या पीले रंग का शुभ दुपट्टा, जिस पर स्वास्तिक और सूर्य जैसे मंगल प्रतीक बने होते हैं, कुमाऊंनी संस्कृति का अहम प्रतीक रहा। वहीं अंगरा और सारोंग ने ठंडे पहाड़ी मौसम में परंपरा और सौंदर्य का संगम दिखाया।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या भी पहाड़ी परिधान में शामिल हुईं, जिन्होंने प्रदेश की लोक संस्कृति को सम्मान देने का संदेश दिया।
महिलाओं ने पिछौड़ा, अंगरा, सारोंग जैसे पारंपरिक परिधान धारण कर प्रदेश की विविध लोक परंपराओं को उजागर किया। पूरे परिसर में लोकसंस्कृति की खुशबू घुली हुई थी, हर परिधान, हर आभूषण और हर मुस्कान में पहाड़ की आत्मा झलक रही थी।

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