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    Uttarakhand News: पांच वर्षों से घाटा, 5000 करोड़ की देनदारी; ऊर्जा निगम का फूला दम

    Updated: Sat, 17 May 2025 10:23 AM (IST)

    उत्तराखंड ऊर्जा निगम पिछले पांच वर्षों से घाटे में चल रहा है जिस पर 5000 करोड़ रुपये की देनदारी है। हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में लाइन लॉस 16 प्रतिशत तक है। कैबिनेट ने निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने और लाइन लॉस कम करने के लिए मैकेंजी इंडिया की कार्ययोजना को मंजूरी दी है। यह योजना हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है।

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    हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर जिलों में लाइन लास 16 प्रतिशत, आठ प्रतिशत कमी लाने का दिया है सुझाव।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड ऊर्जा निगम पिछले छह में से पांच वर्षों में घाटे में रहा है। निगम पर राज्य सरकार की 5000 करोड़ की देनदारी है। हालत यह है कि जनसंख्या की दृष्टि से बड़े जिलों हरिद्वार एवं ऊधम सिंह नगर में बिजली चोरी के रूप में लाइन लास सर्वाधिक 16 प्रतिशत है।

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    इन चुनौतियों से निपटने के लिए निगम को कठोर कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञ संस्था मैकेंजी इंडिया की ऊर्जा निगम के साथ ही राज्य में ऊर्जा सुधार के लिए बनाई गई विस्तृत कार्ययोजना को मंत्रिमंडल ने अनुमोदित कर दिया। संस्था ने हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर जिलों में लाइन लास आठ प्रतिशत तक कम करने और 500 मेगावाट सौर ऊर्जा खरीदने पर बल दिया है।

    मैकेंजी इंडिया ने ऊर्जा निगम की वित्तीय और परिचालन स्थिति में सुधार करने के लिए विस्तृत परिवर्तन योजना तैयार की है। इस योजना का उद्देश्य वितरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करना, बिजली खरीद लागत को अनुकूलित करना और पूंजी निवेश के माध्यम से निगम के प्रदर्शन को मजबूत करना है।

    इस योजना के चार प्रमुख उद्देश्य हैं। सबसे पहले ऊर्जा निगम की वित्तीय स्थिति को स्थिर और मजबूत करने और लगभग 5000 करोड़ रुपये के बकाया को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है। इससे लगातार घाटे से निगम उबर सकेगा।

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    उत्तराखंड ऊर्जा निगम। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा 

    दूसरा उद्देश्य वितरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करने के लिए हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जैसे क्षेत्रों में लाइन लास कम करने का है। इसके अंतर्गत ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के उन्नयन से हानियों में कमी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

    तीसरे चरण में उपभोक्ताओं को जागरुक करने पर बल है, ताकि उपभोक्ता संतुष्टि में वृद्धि और राजस्व संग्रह दक्षता में सुधार हो सके। निगम को तीसरे उद्देश्य के रूप में हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने पर काम करना होगा, जिससे लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा समाधान प्राप्त हो सके।

    नियामक आयोग ने 1140 करोड़ के प्रस्ताव किए अस्वीकृत 

    उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने लगभग 1140 करोड़ के प्रस्तावों को अस्वीकृत किया है। इसका कारण ट्रांसमिशन और वितरण हानि लक्ष्य को प्राप्त नहीं करना है। इसके अतिरिक्त कतिपय प्रकरणों में विद्युत निरीक्षक प्रमाणपत्रों में विसंगतियों के कारण भी टैरिफ याचिका को अस्वीकृत किया गया।

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    हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में लाइन लास कम करने को ये सुझाए गए हैं उपाय 

    • औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड एवं स्मार्ट टैंपर-प्रूफ मीटर की स्थापना
    • नियमित मीटर कैलिब्रेशन और रखरखाव की व्यवस्था
    • उच्च हानि क्षेत्रों में दोषपूर्ण या पुराने मीटर को बदलना
    • स्वचालित बिलिंग सिस्टम और डिजिटल भुगतान
    • औचक निरीक्षण और सतर्कता कार्यों में वृद्धि
    • रियल टाइम एनालाइटिक्स और उपभोक्ता स्तर तक ऊर्जा ऑडिट