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कैंसर को मात देकर उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल ने बनाया मुकाम

उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल कन्याल ने खेल मैदान और जिंदगी की जंग में खुद को साबित ही नहीं किया बल्कि कैंसर की बीमारी से लड़ रहे लोगों को नई ऊर्जा भी दी है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 12:21 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 12:21 PM (IST)
कैंसर को मात देकर उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल ने बनाया मुकाम
कैंसर को मात देकर उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल ने बनाया मुकाम

देहरादून, निशांत चौधरी। कैंसर का पता चलते ही अक्सर लोग जिंदगी से हार मान लेते हैं। लेकिन, कुछ अपनी जिजीविषा से न सिर्फ मौत को मात देते हैं, बल्कि इससे आगे बढ़ अपना एक मुकाम भी बनाते हैं। ऐसी ही सशक्त शख्सियत हैं उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल कन्याल। 

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कमल ने खेल मैदान और जिंदगी की जंग में खुद को साबित ही नहीं किया, बल्कि इस बीमारी से लड़ रहे लोगों को नई ऊर्जा भी दी है। कमल को 2014-15 में ब्लड कैंसर हो गया था, जिसके बाद उनके परिवार वालों ने उनका इलाज नोएडा के एक अस्पताल में कराया। 

तकरीबन दो साल तक क्रिकेट से दूर रहने के बावजूद उन्होंने शानदार वापसी करते हुए न सिर्फ रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाई। अपने डेब्यू मैच में शतक जड़कर अपनी जिस दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया वह अदम्य है। उनका जिंदगी और खेल मैदान में शानदार प्रदर्शन सबके लिए प्रेरणादायक है। 

लचर व्यवस्थाएं और खिलाड़ियों का प्रदर्शन 

खेलों में खिलाड़ियों का प्रदर्शन इस पर भी निर्भर करता है कि उन्हें इस दौरान कैसी सुविधाएं मिल रही हैं। अगर सुविधा लचर हो तो उनके प्रदर्शन पर फर्क पड़ना तय है। राज्य स्तरीय खेल महाकुंभ की फुटबॉल प्रतियोगिता में ऐसी ही अव्यवस्था से खिलाड़िों को जूझना पड़ा। 

खेल महाकुंभ के लिए आठ करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत था। इसके बावजूद फुटबॉल प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को दी गई सुविधाएं निम्न दर्जे की थीं। मैच के दौरान एम्बुलेंस और चिकित्सक तो थे ही नहीं बल्कि मेडिकल किट तक का अभाव था। इतना ही नहीं खिलाड़ियों के लिए पीने का पानी भी खुली बाल्टी में रखा हुआ था। 

सवाल यह है कि अगर राज्य स्तरीय खेल महाकुंभ में ऐसी लचर व्यवस्थाओं के बीच खिलाडिय़ों को अपना दमखम दिखाना पड़ रहा है तो स्थानीय स्तर में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में क्या व्यवस्था होगी। यह समझा जा सकता है। 

अब स्टूडेंट फुटबॉल एसोसिएशन से उम्मीदें

बात किसी भी खेल की हो, इनमें स्कूल व कॉलेज के छात्र हिस्सा लेने से पिछड़ ही जाते हैं। ऐसे में स्कूल, कॉलेजों और विवि में फुटबॉल को नई पहचान दिलाने के लिए स्टूडेंट फुटबॉल एसोसिएशन जल्द वजूद में आएगी। क्लब स्तर के अलावा अब स्कूल-कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को अलग से राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा। 

वैसे तो उत्तराखंड में फुटबॉल को राज्य खेल का दर्जा मिला है। एसोसिएशन तो क्लब व नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताएं कराती है और शिक्षा विभाग विद्यालयी स्तर पर फुटबॉल की प्रतियोगिता कराता है। इसके अलावा छात्रों के लिए न तो कोई अलग से टूर्नामेंट होता है, न लीग। 

ऐसे छात्रों को अलग से प्रतिभा दिखाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्टूडेंट फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया है। इसकी राज्य इकाई का गठन जल्द किया जाएगा। जिसके बाद छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दमखम दिखाने का अवसर मिलेगा। 

दून में क्रिकेट ऐकेडमी का बाजार

क्रिकेट का जुनून भारत में सिर चढ़ कर बोलता है, दून में भी क्रिकेट के लाखों दीवाने हैं। यह बात दून में आए दिन खुल रही क्रिकेट ऐकेडमी को देखकर कही जा सकती है। बच्चे तो क्रिकेट के दीवाने हैं ही। साथ ही अभिभावकों में भी क्रिकेट के प्रति आकर्षण कम नहीं है। वे भी चाहते है कि अगर उनका बच्चा किसी खेल में कॅरियर बनाए तो वह क्रिकेट ही हो। 

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बच्चों और अभिभावकों की इसी मंशा ने क्रिकेट ऐकेडमी का एक नया बाजार खोल दिया है। आए-दिन नई क्रिकेट ऐकेडमी खोलकर संचालक चांदी काट रहे हैं क्योंकि हर क्रिकेट ऐकेडमी में बच्चों की भरमार है।  ऐकेडमी में सुविधा निम्न स्तरीय हो, लेकिन वे शुल्क उच्च स्तरीय ही बटोरी रही हैं। जब से उत्तराखंड को बीसीसीआइ की मान्यता मिली है तब से हर कोई उत्तराखंड टीम में शामिल होने की उम्मीद लगाए है। इसी का फायदा ऐकेडमी संचालक उठा रहे हैं। 

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