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    Uttarakhand News उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने साधा क्षेत्रीय और जातीय संतुलन

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 11:28 PM (IST)

    उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र, कांग्रेस ने सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी देकर भाजपा के लिए चुनौती खड़ी की है। गोदियाल को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि प्रीतम सिंह चुनाव प्रचार और हरक सिंह रावत चुनाव प्रबंधन संभालेंगे। कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल को महत्व देते हुए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है। हरीश रावत समन्वय की भूमिका निभाएंगे।

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    सांकेतिक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून : कांग्रेस ने अगले विधानसभा चुनाव से पहले जुझारू छवि के नेताओं को मैदान में उतार कर भाजपा के लिए नई बिसात बिछा दी है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए गोदियाल पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया।

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    पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति तो पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति की कमान सौंपी गई है। कांग्रेस हाईकमान ने सांगठनिक फेरबदल के माध्यम से क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के साथ प्रदेश में पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच समन्वय को केंद्र में रखा है। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए करन माहरा को कांग्रेस कार्यसमिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।

    प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से बदलाव की चर्चा रही। आखिरकार पार्टी नेतृत्व ने अगले विधानसभा चुनाव से पहले संतुलन साधना बेहतर समझा। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य दोनों कुमाऊं मंडल से हैं।

    आर्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के बड़े चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। फेरबदल के बाद क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए प्रदेश अध्यक्ष का पद गढ़वाल मंडल के खाते में दिया गया है। गोदियाल ब्राह्मण समुदाय से भी हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबियों में शुमार किया जाता है। गोदियाल, प्रीतम सिंह और डा हरक सिंह रावत के बहाने पार्टी ने जुझारू नेताओं पर दांव खेल दिया है। चकराता सीट से लगातार छठी बार प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं।

    पार्टी ने उन्हें केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य भी नामित किया है। अब उन्हें प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व सौंपा गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में यह जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंपा गया था। प्रीतम को यह दायित्व सौंपकर पार्टी ने अपेक्षाकृत युवा हाथों में चुनाव प्रचार की कमान दी है।

    वहीं लंबे समय से हाशिये पर चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत को कांग्रेस ने चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया है। डा रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत में लंबे समय तक छत्तीस का आंकड़ा रहा है। बीते दिनों दोनों के बीच संबंध मजबूत हुए। एकदूसरे को लेकर दोनों के रवैये में नरमी आई है।

    हरीश रावत कह चुके हैं कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए वह समन्वयक की भूमिका निभाने को तत्पर हैं। हरक सिंह रावत की छवि जुझारू नेता की रही है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में वापसी करने वाले हरक सिंह ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था।

    इस फेरबदल में प्रदेश के वरिष्ठतम और अनुभवी नेता हरीश रावत को तवज्जो दी गई है। हरीश रावत लंबे समय से कांग्रेस में ब्राह्मण चेहरे की पैरोकारी कर रहे थे। कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल में प्रतिनिधित्व की कमी को पूरा तो किया ही, साथ में इसे कुछ हद तक बढ़ाया भी है। गोदियाल के साथ प्रीतम सिंह और हरक सिंह, गढ़वाल मंडल से हैं।

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