Uttarakhand Campa: उत्तराखंड में वन विभाग देगा 10 हजार लोगों को रोजगार, सीएम ने दिए ये निर्देश
Uttarakhand Campa उत्तराखंड कैंपा की बैठक में सीएम रावत ने कहा कि वनों के विकास के लिए पौधारोपण के साथ ही उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। Uttarakhand Campa बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड में वन महकमा 10 हजार व्यक्तियों को आने वाले दिनों में रोजगार उपलब्ध कराएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (उत्तराखंड कैंपा) की सचिवालय में आयोजित बैठक में इस सिलसिले में कदम उठाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। साथ ही वनों के विकास के लिए पौधारोपण और इसकी सुरक्षा पर ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रोपित पौधों की जीवित रहने की दर बढ़ाने के लिए निरंतर मॉनीटरिंग करने के साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने हिमालय दिवस का जिक्र करते हुए पर्यावरण जागरूकता के लिए राज्य के प्रत्येक स्कूल-कॉलेज को कैंपा निधि से 10-10 हजार रुपये की धनराशि उपलब्ध कराने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार सृजन के क्षेत्र में वन महकमा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कोरोना संकट के मद्देनजर गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार की जरूरत है। जल संरक्षण, पौधारोपण, नर्सरी विकास, वन संपत्ति की सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं। ऊर्जा निगम द्वारा 10 हजार व्यक्तियों को सोलर प्लांट के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वन विभाग को भी कम से कम इतने ही व्यक्तियों को रोजगार देने को प्रयास करने होंगे। इससे राज्य के वन और जन दोनों ही लाभान्वित होंगे।
राज्य में गहराते मानव वन्यजीव संघर्ष का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। वन्यजीवों से सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग बहुत कारगर है, लेकिन सोलर फेंसिंग की सुरक्षा के लिए जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता भी है। उन्होंने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों के संवद्र्धन के लिए कॉयर नेट और पिरूल चेकडैम के साथ ही भीमल के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने जल संरक्षण-संवद्र्धन के विभागीय प्रयासों की सराहना की और कहा कि खाल-चाल, चेकडैम व ट्रेंच निर्माण के बेहतर परिणाम आ रहे हैं।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि श्रम विभाग की ओर से पूर्व में करीब 10 हजार व्यक्तियों को भीमल से रेशा निकालने और रेशे से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था। इन प्रशिक्षित व्यक्तियों का उपयोग बुग्यालों के संवद्र्धन के लिए कॉयर नेट व पिरुल चेकडैम निर्माण में किया जा सकता है। बैठक के दौरान अधिकारियों ने पिछले तीन सालों में राज्य में उत्तराखंड कैंपा के तहत हुए कार्याें से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में प्रमुख सचिव वन आनंद बर्धन, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज, सचिव वित्त अमित नेगी आदि मौजूद थे।
कैंपा में मांगा 186 करोड़ का अतिरक्त बजट
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार राज्य में कैंपा के तहत प्रस्तावित किए गए जल संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम, विभिन्न स्थानों पर हाथीरोधी दीवार, बंदरबाड़ों का निर्माण समेत अन्य कार्याें के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार से राज्य के लिए इस वर्ष तय 225 करोड़ रुपये के बजट से इतर 186 करोड़ का अतिरक्त बजट मांगा गया है।
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पर्वतीय क्षेत्र में बनेंगे नेचर वन
वन मंत्री डॉ.रावत ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नगर वन उद्यान योजना के तहत राज्य के शहरों में नगर वन विकसित किए जाएंगे। इसी तर्ज पर पर्वतीय क्षेत्र के नगरों के आसपास नेचर वन विकसित किए जाएंगे। इनके विकास में स्थानीय निकायों के साथ ही जनमानस की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।