यूपीसीएल में बकाया वसूली को जेई तक की जिम्मेदारी होगी तय
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड में बकाया वसूली को लेकर अफसरों से लेकर कर्मचारी तक अब बहानेबाजी नहीं कर पाएंगे। इसके लिए जेई तक की जिम्मेदारी निर्धारित की जाएगी।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड में बकाया वसूली को लेकर अफसरों से लेकर कर्मचारी तक अब बहानेबाजी नहीं कर पाएंगे। सचिव ऊर्जा राधिका झा ने निर्देश दिया है कि इसके लिए जेई तक की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए। इसके साथ ही चरणबद्ध वसूली की प्लानिंग तैयार की जाए ताकि इस वित्तीय वर्ष में अधिकांश बकाया वसूल लिया जाए।
सरकारी विभागों, बड़े उद्योग-धंधों से लेकर रसूखदार उपभोक्ताओं पर बिजली का करीब 761 करोड़ रुपये बकाया है। यह बकाया साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। तमाम कोशिशों के बाद भी निगम इसकी वसूली कर पाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।
हकीकत यह है कि बिजली बिल के भुगतान के मामलों को लेकर ऊर्जा निगम आम उपभोक्ताओं के प्रति सख्त रवैया अपनाता है। तय समय पर बिल जमा न होने पर कुछ दिन बाद ही निगम उनका कनेक्शन भी काट देता है। वहीं, बड़े उपभोक्ताओं और सरकारी कार्यालयों के लिए उसकी मेहरबानी ऐसी है कि भले ही बिल लाखों-करोड़ों में पहुंच जाए और वर्षो से भुगतान न हो रहा हो फिर भी उनकी बिजली लाइन काटने की हिम्मत ऊर्जा निगम नहीं जुटा पाता।
जानकर हैरानी होगी कि दून के ही सरकारी विभागों मसलन सचिवालय, विधानसभा, स्पोर्ट्स कॉलेज, शिक्षा विभाग, पेयजल निगम, जलसंस्थान सहित तमाम सरकारी विभागों पर निगम का करोड़ों रुपये तक का बिल बकाया है। हैरत की बात यह भी है कि ऊर्जा निगम की जो डिफॉल्डर लिस्ट है, उसमें अधिकाश सरकारी विभाग हैं।
चाहे वह पाच किलोवाट क्षमता से कम वाले कनेक्शन का हो या पाच किलोवाट से क्षमता से अधिक वाले कनेक्शन। दबी जुबान निगम अधिकारी खुद भी मानते हैं कि सरकारी दफ्तरों से बिजली का बिल वसूलना टेढ़ी खीर है।
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वसूली को उठाए जा रहे प्रभावी कदम
यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा के मुताबिक, ऊर्जा निगम की ओर से समय से बिल का भुगतान न करने वाले उपभोक्ताओं को डिफॉल्टर घोषित किया जाता है। चाहे वह सरकारी विभाग ही क्यों न हो। उन्हें नोटिस भी भेजे जाते हैं। वसूली के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
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