यूपीसीएल पर बिजली कंपनियों का आठ अरब बकाया, आर्थिक सुधार को हो रहा मंथन
उत्तराखंड के शहर और गांवों तक को रोशन करने और औद्योगिक इकाइयों की रीढ़ उत्तराखंड पावर कारपोरेशन पर बिजली कंपनियों का आठ अरब नौ करोड़ रुपये बकाया चढ़ च ...और पढ़ें

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के शहर और गांवों तक को रोशन करने और औद्योगिक इकाइयों की रीढ़ उत्तराखंड पावर कारपोरेशन पर बिजली कंपनियों का आठ अरब नौ करोड़ रुपये बकाया चढ़ चुका है। यूपीसीएल की माली हालत कमजोर होने का बड़ा कारण उपभोक्ताओं पर सात अरब 61 करोड़ का बकाया भी है।
केंद्र सरकार की ओर से बिजली कंपनियों को राहत देने की घोषणा को यूपीसीएल में भी मंथन शुरू हो गया है। अधिकारी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए केंद्र की ओर से मिल रही गाइडलाइन के अनुसार कर्ज उतारने का रोडमैप तैयार करने में जुट गए हैं।
लॉकडाउन ने निजी क्षेत्र की औद्योगिक कंपनियों को जहां तगड़ी आर्थिक चपत लगाई। वहीं सरकार के नियंत्रण वाली बिजली कंपनियों को भी खासा नुकसान हुआ। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन की स्थिति इस कदर बिगड़ने लगी है कि आने वाले दिनों में निगम कर्मियों की तनख्वाह के लिए ओवरड्राफ्ट का सहारा लेना पड़ सकता है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि पिछले दो महीनों के दौरान बिल जमा करने में गिरावट का आना। इसे लेकर यूपीसीएल उन कंपनियों को भुगतान नहीं कर पा रही है, जिनसे वह बिजली खरीदती है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार की ओर दिए जाने वाले राहत की घोषणा को लेकर जितनी बातें अभी तक सामने आई हैं, उसके अनुसार यूपीसीएल को आने वाले दिनों कम ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है।
इससे वह बिजली उत्पादन करने वाली इकाइयों के बकाये का भुगतान कर सकता है। हालांकि अभी इसे लेकर काफी कुछ स्थिति स्पष्ट होनी है। फिलहाल यूपीसीएल ने केंद्र सरकार की ओर से की गई घोषणा को लेकर मंथन शुरू कर दिया है।
उपभोक्ताओं पर 7.61 अरब बकाया
यूपीसीएल की माली हालत बिगड़ने का एक बड़ा कारण उपभोक्ताओं पर 7.61 अरब का रुपये का बकाया भी है। सूत्रों की मानें तो यह बकाया साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। चिंता की बात यह कि जब सामान्य परिस्थितियों में निगम इस बकाये की वसूली नहीं कर सका तो अब लॉकडाउन में जब आम उपभोक्ताओं से लेकर औद्योगिक इकाइयों की कमाई ठप हो चुकी है तो अब इसकी वसूली करना और भी बड़ी चुनौती बन गई है।
यह बकाया इसलिए भी अहमियत रखता है कि यदि यूपीसीएल इसकी शत-प्रतिशत वसूली कर ले तो बिजली कंपनियों का बकाया बिना लोन के ही चुकता किया जा सकता है। मगर हाल-फिलहाल में यह होना संभव नहीं लग रहा है।
यूपीसीएल पर बिजली कंपनियों का बकाया
यूजेवीएनएल----------------93 करोड़
एसजेवीएनएल--------------28 करोड़
टीएचडीसी-------------------09 करोड़
एचपीसी---------------------35 करोड़
एनटीपीसी-----------------212 करोड़
पावर ग्रिड----------------137 करोड़
एटॉमिक पावर-------------10 करोड़
गामा इंफ्रा गैस प्रोजेक्ट काशीपुर---108.94 करोड़
ग्रीन को, हिमाचल प्रदेश--------------16 करोड़
सोलर कंपनियों पर-------------------109.28 करोड़
श्रावती गैस----------------------------153 करोड़
उत्तम सुगर मिल---------------------04 करोड़
पावर टे्रडिंग कंपनी--------------------51 करोड़
उत्तर भारत हाइड्रो-------------------2.22 करोड़
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बिल जमा कराने पर जोर
यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से राहत की घोषणा को लेकर मंथन किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रयास यह किया जा रहा है कि उपभोक्ता अधिक से अधिक बिल जमा करें। इसके लिए सभी काउंटर खोल दिए गए हैं।

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