Coronavirus: उत्तराखंड पावर कारपोरेशन में 30 दिन में बदल जाएगा कामकाज का तरीका
कोरोना महामारी के साथ जीने की कोशिश के बीच उत्तराखंड पावर कारपोरेशन में अगले तीस दिन बाद कामकाज का तरीका पूरी तरह से बदलने जा रहा है।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना महामारी के साथ जीने की कोशिश के बीच उत्तराखंड पावर कारपोरेशन में अगले तीस दिन बाद कामकाज का तरीका पूरी तरह से बदलने जा रहा है। सचिव ऊर्जा राधिका झा ने निगम को एक महीने के भीतर ई-ऑफिस की प्रणाली विकसित कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
ऐसे में अब आने वाले दिनों में बिजली के बिल जमा करने से लेकर शिकायतों के निस्तारण तक की प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। इतना ही नहीं, नए कनेक्शन लेने से लेकर आरटीआई तक के लिए भी ऑनलाइन ही आवेदन करना पड़ेगा।
तीनो निगमों में दिखेगा बदलाव
यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल में अब काट्रेक्टर से लेकर अन्य भुगतान की प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी। सचिव ऊर्जा ने कहा है कि निगमों और उससे जुड़ी इकाइयों में चेक द्वारा भुगतान पूर्ण रूप से वर्जित करते हुए सभी प्रकार के भुगतान अब आरटीजीएस, एनईएफटी या फिर नेट बैंकिंग से किए जाएंगे।
ई-मीटिंग से बचेगा पैसा
निगमों में अब ई-मीटिंग और ई-टेंडरिंग पर जोर होगा। यानी, अब मीटिंग के नाम पर अफसरों को न तो मुख्यालय बुलाया जाएगा और न ही टेंडर खोलने के लिए ठेकेदारों की भीड़ जुटानी होगी। यह दोनों ही काम अब ऑनलाइन होंगे। ई-मीटिंग से मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में होने वाली बैठकों का बोझ कम होगा।
बकाया वसूली में बहाना नही
इन सब के बीच सचिव ऊर्जा ने यूपीसीएल को राजस्व बकाया वसूली को लेकर भी चेताया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि निगम की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए बकाया वसूली को लेकर प्लानिंग तैयार की जाए और चरणबद्ध तरीके से वसूली की जाए। बता दें कि बड़े उपभोक्ताओं पर यूपीसीएल का करीब 761 करोड़ रुपया बकाया है।
प्रोजेक्ट की नियमित मॉनीटरिंग
ई-ऑफिस के तहत जिस बात पर सर्वाधिक जोर दिया गया है, वह है निगमों में चल रही परियोजनाओं को समय से पूरा करना। व्यवस्था दी गई है कि लॉकडाउन की वजह से जिन परियोजनाओं का काम अटका हुआ है, उनकी अब नियमित मॉनीटरिंग होगी। इस बाबत सभी प्रबन्ध निदेशकों, निवेशकों को निर्माणाधीन व चालू योजनाओं व परियोजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए ऑनलाइन तंत्र बनाने को कहा गया है।
कर्मचारियों की दी जाएगी ट्रेनिंग
ई-ऑफिस की व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करने के लिए निगमों के अधिकारियों व कर्मचारियों को ट्रेनिग भी दी जाएगी। क्योंकि नया सिस्टम होने के नाते सतर्कता भी बरतनी होगी।
क्या है ई-ऑफिस योजना
ई-ऑफिस योजना का मतलब कार्यालयों को पेपरलेस करना भी है। साथ ही दफ्तरों में कर्मचारियों की मौजूदगी भी कम करना है। अब कागज की फाइल के बजाय कम्प्यूटर पर फाइल तैयार की जाएगी। कम्प्यूटर पर फाइल बनाने के लिए अफसरों के पास आने वाले सभी कागजों को स्कैन किया जाएगा। पहले से चल रहीं फाइलों को स्कैन करके कम्प्यूटर में अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही डिजिटल हस्ताक्षर भी वेरीफाई किये जाएंगे।
ई-ऑफिस का यह होगा फायदा
- बिल जमा करने को अब काउंटर पर लाइन नहीं लगानी होगी। ऑनलाइन ही भुगतान होगा।
- छोटे-मोटे काम के लिए दफ्तरों में आम लोगों का आना-जाना कम होगा।
- ऑनलाइन शिकायतों व टास्क के पूरा करने की समय सीमा निर्धारित होगी।
- मीटिंग आदि पर होने वाला भारी भरकम खर्च भी कम होगा।
- दफ्तरों में कर्मचारियों के आने में कमी से ईंधन की भी बचत होगी।
- सबकुछ ऑनलाइन होने से कार्य की निगरानी भी आसान होगी।
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विकसित होगा बेहतर मैकेनिज्म
सचिव ऊर्जा राधिका झा के मुताबिक, कोरोना से जो हालात उत्पन्न हुए हैं, उसे देखते हुए ई-ऑफिस प्रणाली भविष्य की जरूरत है। इसे देखते हुए ऊर्जा के तीनों निगमों को बेहतर और सुविधाजनक मैकेनिज्म विकसित करने को कहा गया है। जिससे ऑफिस से लेकर उपभोक्ताओं तक को सहूलियत मिले।
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