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    स्कूली छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करने को अनोखी पहल, जानिए इसके बारे में

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sat, 24 Aug 2019 08:51 PM (IST)

    छात्रों में पढ़ाई की आदत विकसित करने के लिए शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। विभाग प्रदेश भर के बेसिक स्कूलों में अर्ली-रीडिंग अर्ली-राइटिंग और अर्ली-मैथ्स अभियान शुरू कर रहा है।

    स्कूली छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करने को अनोखी पहल, जानिए इसके बारे में

    देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के स्कूली छात्रों में पढ़ाई की आदत विकसित करने के लिए शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। विभाग प्रदेश भर के बेसिक स्कूलों में अर्ली-रीडिंग, अर्ली-राइटिंग और अर्ली-मैथ्स अभियान शुरू कर रहा है। इसके तहत स्कूल में छात्रों को प्राथमिक स्तर पर लिखना, पढ़ना और जोड़-घटाना सिखाया जाएगा। 

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    स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग (सीमेट) के तहत प्रदेश के 16 हजार से ज्यादा स्कूलों में यह अभियान चलाया जाएगा। अभियान पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर शुरू होगा, जो 14 नवंबर को बाल दिवस तक चलाया जाएगा। प्रदेश के सरकारी स्कूलों की तस्वीर को बदलने के लिहाज से शिक्षा विभाग ने अर्ली-रीडिंग, अर्ली-राइटिंग और अर्ली-मैथ्स अभियान शुरू करना तय किया है। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने बताया कि प्रदेश के 12551 प्राथमिक, 2800 उच्च प्राथमिक और अन्य सरकारी स्कूलों में आठवीं तक कक्षाओं के लिए यह पहल की जा रही है। लगभग दस लाख स्कूली छात्र इस अभियान का सीधा फायदा ले सकेंगे।

    स्कूली छात्रों में पढ़ाई की आदत विकसित करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। विशेष तौर पर पढ़ाई में कमजोर छात्रों पर इसमें विशेष जोर दिया जाएगा। बताया कि स्कूल में तैनात शिक्षक ही छात्रों को पढ़ाएंगे, लेकिन इसके अलावा हफ्ते में दो दिन पुस्तकालय के पीरियड में छात्रों को अलग से पढ़ाया जाएगा। इसके लिए स्कूलों को पत्र जारी कर दिए गए हैं। अभियान शुरू होने पर समय-समय पर स्कूलों से इसकी रिपोर्ट भी मांगी जाएगी। साथ ही अभियान खत्म होने पर भी रिपोर्ट विभाग को सौंपनी होगी। 

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    स्कूलों की तस्वीर बदलना बड़ी चुनौती 

    एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सर्वे के आधार पर जनवरी में एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें 286 प्राथमिक और 10 उच्च प्राथमिक स्कूलों को शामिल किया गया था। जिसके अनुसार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब आधे बच्चे दूसरी कक्षा की किताब नहीं पढ़ पाते। वहीं आठवीं कक्षा में पढऩे वाले करीब 20 फीसद बच्चे भी कक्षा दो की किताब को नहीं पढ़ सकते। प्रदेश में शिक्षा की यह तस्वीर बदलना विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी। लेकिन विभाग ने इसके लिए प्रयास जरूर शुरू कर दिए हैं। 

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    एनजीओ की मदद लेगा विभाग 

    अर्ली-रीडिंग, अर्ली-राइटिंग और अर्ली-मैथ्स अभियान में शिक्षा विभाग ने एनजीओ की मदद लेना तय किया है। विभाग ने इस सत्र में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और रूम टु रीड की मदद लेना तय किया है। दोनों एनजीओ के विशेषज्ञ स्कूलों में क्लास देने जाएंगे। साथ ही एनजीओ के जरिए इस्तेमाल की जा रही तकनीक को भी सरकारी स्कूलों में इस्तेमाल किया जाएगा। 

    अकादमिक शोध और प्रशिक्षक की निदेशक सीमा जौनसारी ने बताया कि प्रदेश के स्कूली छात्रों में पढ़ाई की आदत विकसित करने के लिए अर्ली-रीडिंग, अर्ली-राइटिंग और अर्ली-मैथ्स अभियान शुरू किया जा रहा है। इससे प्रदेश भर के छात्रों की पढ़ने की समस्या दूर की जा सकेगी। 

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