CM Pushkar Dhami Interview : सीएम धामी बोले- UCC का नहीं होगा विरोध; जनता ने मुझे इसी काम के लिए चुना है
CM Pushkar Dhami Exclusive Interview to Dainik Jagran लोग चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त हो अयोध्या में राम मंदिर बने और देश में सभी के लिए समान कानून लागू हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दो काम पहले ही हो चुके हैं। हमने विधानसभा चुनाव के समय जनता से वादा किया कि चुनाव जीतते हैं तो समान नागरिक संहिता लागू करने का काम करेंगे।

विकास धूलिया, देहरादून: उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार है। हालिया दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंटकर देहरादून लौटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विश्वास से भरे नजर आ रहे हैं। वे स्पष्ट कहते हैं कि विधि विशेषज्ञों के साथ आवश्यक विमर्श के उपरांत इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा, लेकिन अनावश्यक देरी भी नहीं की जाएगी।
उन्हें यह भी भरोसा है कि इसका कोई विरोध नहीं होगा, क्योंकि राज्य की जनता ने उन्हें चुना ही इस काम के लिए है। धामी के अनुसार यह देश की आवश्यकता, संविधान का प्रविधान और जनता की चाहत है, इसीलिए वह इसे अपना सौभाग्य मानते हैं कि यह पहल कर पाए। इस पहल और उससे जुड़े पहलुओं पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ विकास धूलिया ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है उस साक्षात्कार के प्रमुख अंशः-
प्रश्नः विधानसभा चुनाव के समय आपने अचानक घोषणा कर दी कि भाजपा के फिर सत्ता में आने पर उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। यह आपकी पहल थी या केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर यह कदम उठाया?
उत्तरः लंबे समय से लोग चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त हो, अयोध्या में राम मंदिर बने और देश में सभी के लिए समान कानून लागू हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दो काम पहले ही हो चुके हैं। हमने विधानसभा चुनाव के समय जनता से वादा किया कि चुनाव जीतते हैं तो प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का काम करेंगे। इस पर देवतुल्य जनता ने विश्वास जताया। प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ कि कोई दल लगातार दूसरी बार सत्ता में आया। वादे के अनुसार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति ने अपना काम कर दिया है। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार है, जल्द सरकार को मिल जाएगा।
प्रश्नः तो क्या यह माना जाए कि छात्र जीवन से आपके अंतर्मन में देश के लिए एक समान कानून लागू होने की बात कहीं गहरे तक रही थी?
उत्तरः छात्र जीवन में संविधान के अनुच्छेद 44 में पढ़ा कि देश में एक समान कानून होना चाहिए, तब से ही मन में एक प्रश्न उठता रहा कि जो संवैधानिक रूप से होना चाहिए, वह हो क्यों नहीं रहा। साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता होने के नाते और बाद में भाजपा में सक्रिय राजनीति में आने पर मेरी एक देश के अंदर एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की अवधारणा और मजबूत हुई।
प्रश्नः क्या इसके लिए अपनी पार्टी के केंद्रीय नेताओं से बात की कि आप ऐसा करने जा रहे हैं?
उत्तरः जी, अवश्य। मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से दिशा-निर्देश प्राप्त किए। इसी क्रम में विधानसभा चुनाव के समय यह विषय प्रदेश की जनता के सामने रखने का निर्णय लिया। सबसे बड़ी बात यह कि प्रदेश की जनता भी ऐसा चाहती है। इसीलिए प्रदेश की जनता ने हमें चुनकर भेजा है।
प्रश्नः समान नागरिक संहिता वर्षों से चुनावी घोषणाओं में शामिल रही, पिछले वर्ष ऐसा क्या हुआ कि उत्तराखंड को समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए आदर्श मान लिया गया?
उत्तरः उत्तराखंड देवभूमि है, गंगा-यमुना का प्रदेश है। यह देवों का प्रदेश है, यहां चार धाम हैं। यह पर्वतों व नदियों से आच्छादित है। दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा प्रदेश है। लगभग प्रत्येक परिवार से एक न एक सदस्य सेना या अर्धसैनिक बलों में सेवारत है या रहा है। प्रत्येक परिवार देश के लिए अपनी सेवाएं दे रहा है। ऐसे में विचार आया कि उत्तराखंड में रहने वाले हर एक व्यक्ति, चाहे किसी पंथ को मानने वाला हो, समुदाय या जाति का हो, सबके लिए एक समान कानून होना चाहिए। देवभूमि के साथ ही उत्तराखंड धर्म,अध्यात्म व संस्कृति का केंद्र भी है।
प्रश्नः कहा जा रहा है कि उत्तराखंड को समान नागरिक संहिता के दृष्टिकोण से प्रयोगशाला बनाया गया। क्या यह भाजपा की रणनीति रही?
उत्तरः हमने उत्तराखंड में इसकी शुरुआत की। अब अनेक प्रदेश इस दिशा में आगे बढ़ रहे है। देवभूमि में जो होता है, वह सब ईश्वर की कृपा से होता है। ईश्वर चाहते हैं और समाज भी चाहता है कि यहां समान नागरिक संहिता लागू हो।
प्रश्नः प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू होने पर तीन लाभार्थी नजर आ रहे हैं। पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, दूसरी भाजपा और तीसरा समाज। सबसे बड़ा लाभार्थी कौन है?
उत्तरः हमने यह काम लाभ-हानि को देखते हुए नहीं किया। हमारी इस पहल का किसी को लाभ मिलेगा, तो वह समाज है, समाज ही सबसे बड़ा लाभार्थी है।
प्रश्नः क्या मतदाताओं को समान नागरिक संहिता का मुद्दा प्रभावित करेगा?
उत्तरः देश की जनता हमेशा से ही चाहती है कि सभी के लिए एक समान कानून हो, इसके लिए मांग उठती रही है। निश्चित रूप से यह एक बड़ा काम है, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड से की गई है। हमने यह राजनीति के लिए नहीं, समाज व राष्ट्रहित के लिए किया है।
प्रश्नः केंद्र के स्तर पर भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात चल रही है और उत्तराखंड के लिए विशेषज्ञ समिति इसका ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है। इसे लेकर कुछ भ्रम है कि अगर केंद्र ने समान नागरिक संहिता लागू कर दी तो उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता का क्या होगा?
उत्तरः इसमें किसी तरह के भ्रम जैसी कोई स्थिति नहीं है। हमने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई। विशेषज्ञ समिति व इसके अंतर्गत गठित उप समिति की दो सौ से अधिक बैठकें हुईं। लगभग 2.35 लाख व्यक्तियों, संस्थाओं ने समिति को अपनी राय, अपने सुझावों से अवगत कराया। अब केंद्र में विधि आयोग भी समान नागरिक संहिता को लेकर राय ले रहा है, कदम बढ़ा रहा है। जहां तक उत्तराखंड के लिए तैयार की जा रही समान नागरिक संहिता की बात है, इसे हम अपने प्रदेश की दृष्टि से बना रहे है। प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में बना रहे है।
प्रश्नः पिछले लगभग एक वर्ष से अधिक समय से विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कई वर्गों व समुदायों से संवाद और विमर्श किया। इसके बाद भी इसे लेकर किसी तरह के विरोध की आशंका है?
उत्तरः हमें नहीं लगता कि इसमें विरोध जैसी कोई स्थिति आएगी। जैसा पहले कहा, विशेषज्ञ समिति ने 2.35 लाख व्यक्तियों व संस्थाओं से मत लिए। जनजाति समुदाय से समिति ने बात की है। विद्वत जनों से राय ली है। अब तक विरोध जैसी बात कहीं नहीं देखने को मिली। मुस्लिम समाज की बहनों व अन्य समुदाय के व्यक्तियों ने भी इसका समर्थन किया है। इन सबके रिकार्डेड बयान समिति के पास हैं।
प्रश्नः समान नागरिक संहिता के लिए अध्यादेश ला रहे हैं या जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा?
उत्तरः जो भी जरूरी होगा, वह करेंगे। समान नागरिक संहिता जैसे महत्वपूर्ण विषय पर हम न बहुत जल्दबाजी में है ना ही इसमें अनावश्यक विलंब करेंगे।
प्रश्नः इस महत्वपूर्ण और चर्चित पहल के बाद मुख्यमंत्री के रूप में कैसा महसूस कर रहे हैं?
उत्तरः इसका पूरा श्रेय प्रदेश की देवतुल्य जनता को जाता है। जो मांग लंबे समय से पूरे देश में होती रही है, उसे आगे बढ़ाने का काम उत्तराखंड की जनता ने किया है।

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