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    रेलवे ओवर ब्रिज बनने के बाद भी नहीं दूर हो रही लोगों की परेशानी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 21 Jan 2019 10:24 AM (IST)

    मोहकमपुर में रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का लोकार्पण अक्टूबर माह में होने के बाद भी अब तक सर्विस रोड का काम अधूरा पड़ा है। इससे लोगों की परेशानी दूर नहीं हो रही है।

    रेलवे ओवर ब्रिज बनने के बाद भी नहीं दूर हो रही लोगों की परेशानी

    देहरादून, जेएनएन। मोहकमपुर में रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का लोकार्पण अक्टूबर माह में होने के बाद भी अब तक सर्विस रोड का काम अधूरा पड़ा है। इससे लोगों की परेशानी दूर नहीं हो रही है। स्थिति यह है कि वाहन चालक जान जोखिम में डालकर महज एक तरफ की सिंगल लेन सर्विस रोड पर चलने को मजबूर हैं। ऐसे में यहां पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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    अक्टूबर में जब मोहकमपुर में रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का लोकार्पण किया गया तो राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने खूब वाहवाही लूटी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों की पीठ थपथपाते हुए कहा था कि दिसंबर में लक्ष्य होने के बाद भी दो माह पहले इसका काम पूरा कर दिया गया है। हकीकत में सर्विस रोड का काम न सिर्फ अधूरा पड़ा है, बल्कि इस पर बड़े-बड़े गड्ढे लोगों को दर्द दे रहे हैं।

    हरिद्वार की तरफ से आते हुए जिन वाहन चालकों को आरओबी पर चढ़कर नहीं गुजरना है, उनके लिए बायीं तरफ की सर्विस रोड बंद है। ऐसे में उन्हें दायीं तरफ (रॉन्ग साइड) की सर्विस रोड का विकल्प अपनाना पड़ रहा है। इसके चलते वह न सिर्फ जान जोखिम में डालकर आरओबी से उतर रहे तेज रफ्तार वाहनों का सामना करते हैं, बल्कि उनका सामना गलत दिशा की सिंगल लेन सर्विस रोड से आ रहे वाहनों से भी होता है। 

    ऐसे में जरा सी भी चूक कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। क्योंकि आरओबी से उतर रहे वाहन चालक और दूसरी तरफ वाली सर्विस रोड के वाहन चालक यह समझते हुए आते हैं कि सामने से कोई वाहन नहीं आएगा। जो कि नियमानुसार सही भी है। यह बात और है कि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला के अधिकारियों को इस खतरनाक स्थिति का आभास नहीं हो पा रहा है।

    विभागों में तालमेल की कमी से उपजी स्थिति

    राजमार्ग खंड डोईवाला के अधिशासी अभियंता ओपी सिंह का कहना है कि एक साइड की जो सर्विस रोड अभी खुल नहीं पाई है, उस पर ऊर्जा निगम बिजली की लाइनों को भूमिगत करने का काम कर रहा है। अब सवाल यह उठता है कि इस काम को समय रहते क्यों पूरा नहीं कर लिया गया। अब जब आरओबी पर वाहनों का संचालन शुरू किया जा चुका है, तब एक साइड की सर्विस रोड को बंद करना समझ से परे है।

    नत्थनपुर की तरफ का मोड़ खतरनाक

    सर्विस रोड के जिस भाग से नत्थनपुर की तरफ जाने वाली सड़क जुड़ी है, उसका मोड़ दोनों छोर पर पूरी तरह आयताकार स्थिति में हैं, ऐसे में यहां से गुजर रहे वाहनों की स्थिति का आकलन नहीं हो पाता है। खंड की योजना में इस मोड़ को दुरुस्त किया जाना है, मगर यह काम भी अभी अधूरा पड़ा है।

    न सब-वे बना, न ही रेलवे फाटक हुआ बंद

    इसे अधिकारियों की दूरदर्शिता कहें या काम के प्रति हीलाहवाली। जिस समय आरओबी की डीपीआर बनी, उसमें इसके नीचे सब-वे का प्रस्ताव तैयार ही नहीं किया गया। जबकि स्थनीय लोगों की जरूरत के हिसाब से आरपार जाने के लिए सब-वे (भूमिगत मार्ग) की बेहद जरूरत होती है।

    आरओबी बनने के बाद जब इसकी कमी खलने लगी तो खंड अधिकारियों ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सब-वे का प्रस्ताव भेजा। अभी इसे स्वीकृति नहीं मिल पाई है और दूसरी तरफ रेलवे फाटक भी अभी बंद नहीं किया जा सका है। फाटक पार करने के लिए पैदल यात्रियों के लिए फुटओवर ब्रिज व पुल पर से उतरने के लिए दोनों तरफ सीढ़ियां भी बना दी गई हैं।

    आरओबी की तरह सड़क दो हिस्सों में नहीं

    आरओबी दो हिस्सों में बंटा है, जबकि इसको जोडऩे वाली सड़क पर काफी दूर तक डिवाइडर नहीं हैं। ऐसे में जिस भी तरफ से वाहन चालक गुजर रहे हैं, उनका स्वत: रुख आरओबी की एप्रोच रोड पर बने पैराफिट की तरफ होता है। पैराफिट भी शुरुआत में बहुत कम ऊंचाई के हैं। इससे वाहनों के पैराफिट पर चढ़ने का खतरा बढ़ गया है और इसकी तरफ अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।

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