इंदौर की तर्ज पर होगा ट्रेंचिंग ग्राउंड का इलाज, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून नगर निगम के सहस्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में लगा कूड़े का पहाड़ इंदौर की तर्ज पर खत्म करने की तैयारी शुरू हो गई है।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। सवा दो साल से बंद पड़े नगर निगम के सहस्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में लगा कूड़े का पहाड़ इंदौर की तर्ज पर खत्म करने की तैयारी शुरू हो गई है। गुरुवार से निगम खुद यह जिम्मेदारी संभालेगा और ग्राउंड में बायो रेमिडिएशन पद्धति के माध्यम से वहां जमा लगभग दस लाख मीट्रिक टन कूड़े के 'इलाज' की प्रक्रिया शुरू करेगा। पहले यह जिम्मा एक निजी कंपनी को देने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन कंपनी ने इस पर आने वाला खर्च 28 करोड़ रुपये बताया। जिससे नगर निगम ने पांव खींच लिए।
करीब 12 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सहस्रधारा रोड के करीब दस हजार लोगों को ट्रेंचिंग ग्राउंड से एक दिसंबर-17 को राहत मिल गई थी। यहां वर्ष-2002 से नगर निगम कूड़ा डंप करा रहा था। स्थानीय लोगों ने इसके विरुद्ध 12 साल तक सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में लड़ाई लड़ी थी। ऐसे में पिछले सवा दो साल से ट्रेंचिंग ग्राउंड तो बंद पड़ा है, लेकिन वहां कूड़ा ज्यों का त्यों पड़ा है। अब दो रोज पहले ही सरकार की ओर से ट्रेंचिंग ग्राउंड की चार हेक्टेयर भूमि पर सैन्य धाम और बाकी चार हेक्टेयर भूमि पर सिटी पार्क बनाने का फैसला लिया गया है। ऐसे में अब ट्रेंचिंग ग्राउंड में फैला कूड़ा वैज्ञानिक ढंग से निस्तारित करना निगम की सबसे बड़ी चुनौती है।
लिहाजा, नगर निगम ने इंदौर की तर्ज पर इसके निस्तारण का फैसला लिया है। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने जानकारी दी कि इंदौर पहला ऐसा शहर है, जिसने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर फैले सालों पुराने कूड़े के ढेर को बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिए निस्तारित किया है। वहां करीब 40 साल पुराना कूड़े का पहाड़ अब नहीं दिखता। इसी तरह दून में जनवरी-2018 में शीशमबाड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट शुरू होने के पूर्व एक दिसंबर-2017 को सहस्रधारा रोड पर कूड़ा डालना बंद कर दिया गया था, लेकिन तब तक यहां 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा जमा हो चुका था। नगर निगम ने दो साल पहले कूड़े के निस्तारण और पार्क के निर्माण के लिए कंपनियों से आवेदन मांगा था। हैदराबाद की एक कंपनी ने इसमें रूचि दिखाई थी, लेकिन मामला शासन स्तर पर लटक गया। अब चूंकि, सरकार ने दो दिन पहले ही यहां सैन्य धाम व सिटी पार्क का निर्माण कराने का फैसला लिया है, लिहाजा नगर निगम ने कूड़े के निस्तारण की कसरत फिर शुरू कर दी है। गुरुवार से नगर निगम की टीम खुद इसका निस्तारण शुरू करेगी। इसके लिए खनिज वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों की टीम भी दून बुलाई गई है।
यह है बायो रेमिडिएशन पद्धति
बायो रेमिडिएशन पद्धति के तहत पुराने कूड़े का निस्तारण किया जाता है। जिसमें जरूरत के हिसाब से एक अथवा दो ट्रॉमल लगाए जाते हैं। इसमें आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) व कंपोस्ट को कूड़े से अलग किया जाता है। शेष की एचडीपीई लाइनर, जियो सिंथेटिक क्लेलाइनर आदि प्रोसेस के जरिए वैज्ञानिक ढंग से कैपिंग कर दी जाती है। बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिए कूड़ा निस्तारित करने से कंपोस्ट और आरडीएफ निकलेगा, उससे नगर निगम की कमाई भी होगी। कंपोस्ट का प्रयोग खेतों में किया जा सकता है, जबकि ज्वलनशील पदार्थ होने के चलते आरडीएफ का प्रयोग सीमेंट प्लांट आदि में किया जा सकता है।
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नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय का कहना है कि सहस्रधारा रोड ट्रेंचिंग ग्राउंड में सरकार के नए फैसले के क्रम में सबसे पहले वहां जमा कूड़े का निस्तारण रासायनिक तरीके से करना जरूरी है। इसके लिए एक कंपनी से संपर्क किया गया तो, 28 करोड़ रुपये का खर्च बताया गया। ऐसे में अब कंपनी को काम न देकर नगर निगम यह काम खुद करेगा। गुरुवार से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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