Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बॉयो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्लांट लगाएगा निगम Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 07 Jan 2020 12:03 PM (IST)

    शहर में बंदिशों और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारी एवं निजी अस्पतालों से निकल रहे खतरनाक जहर यानी बॉयो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए नगर निगम अब प ...और पढ़ें

    Hero Image
    बॉयो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्लांट लगाएगा निगम Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। शहर में बंदिशों और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारी एवं निजी अस्पतालों से निकल रहे 'खतरनाक जहर' यानी बॉयो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए नगर निगम अब प्लांट लगाने जा रहा है।  

    मौजूदा समय में एक रिपोर्ट के अनुसार जिले के 97 बड़े अस्पतालों का चिकित्सीय कचरा सड़क पर ही डंप किया जा रहा। इनमें 45 अस्पताल तो शहरी क्षेत्र में हैं। इसके अलावा छोटे-बड़े ऐसे दर्जनों नर्सिंग होम व क्लीनिक हैं, जो अपने कचरे को नगर निगम के कूड़ेदानों में ही डंप कर रहे हैं। इससे बचने के लिए अब निगम की ओर से बोर्ड बैठक में बॉयो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह पीपीपी मोड में बनेगा व निगम को स्वच्छता रैंकिंग में भी लाभ मिलेगा। अस्पतालों से निकलने वाला कचरा इतना ज्यादा हानिकारक है कि उसे सामान्य कूड़े के साथ डंप नहीं किया जा सकता। शासन की तरफ से बायोमेडिकल वेस्ट के ट्रीटमेंट के लिए रुड़की स्थित मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी को अधिकृत किया गया है। 

    अस्पतालों से निकलने वाले कचरे के लिए यहां जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण केंद्र बनाया गया है। नियमानुसार अस्पतालों का कूड़ा नियमित रूप से उक्त केंद्र में पहुंचता रहे, इसके लिए उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऑथराइजेशन (प्राधिकार) लाइसेंस हर हाल में लेना अनिवार्य है। 

    मगर सच इसके एकदम उलट है। स्वास्थ्य विभाग की एक जांच रिपोर्ट के अनुसार जिले में कुल 220 अस्पतालों में से 97 के पास ऑथराइजेशन लाइसेंस है ही नहीं। ऐसे 45 अस्पताल तो शहरी क्षेत्र में हैं। ऐसे में इन अस्पतालों का हानिकारक रासायनिक कचरा कहां डंप हो रहा कुछ पता नहीं। यह कचरा जमीन की उर्वरता, भूजल व वातावरण में घुल लोगों की सेहत पर क्या बुरा असर डाल रहा है, यह जानने तक की जहमत भी सरकारी तंत्र नहीं उठा रहा। 

    हालात ये है कि बड़े अस्पतालों के साथ ही शहर में जगह-जगह खुले नर्सिंग होम व क्लीनिक बॉयोमेडिकल वेस्ट पर्यावरण कंट्रोल बोर्ड को देने के बजाए नगर निगम के कूड़ेदानों में ही गिरा देते हैं। कई मर्तबा ये नगर निगम के वाहन चालकों से सेटिंग कर लेते हैं व इनका रसायनिक कूड़ा बिना रसीद के सामान्य कूड़े समेत ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचा दिया जाता है। 

    रोजाना निकलता है 2300 किलो मेडिकल वेस्ट

    शहर में रोजाना करीब साढ़े तीन सौ मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र होता है। इसमें अस्पतालों से हर दिन करीब 2300 किलो बॉयोमेडिकल वेस्ट निकलता है मगर उठता केवल 1128 किलो है। जो कूड़ा उठ रहा है, वह भी ज्यादातर सरकारी अस्पतालों का है। निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक आदि अपने कूड़े को इधर-उधर ही ठिकाने लगा रहे। यह कूड़ा वातावरण में जहर घोल रहा है।

    अभी रुड़की जाता है कूड़ा

    वर्तमान में शहर के कुछ अस्पतालों का बॉयो मेडिकल वेस्ट रुड़की स्थित प्लांट में जाता है। बताया जा रहा कि रुड़की में वर्ष 2003 में प्लांट बनाया गया था और इसकी एनओसी 12 साल के लिए 2015 तक थी। इसके बाद भी फिलहाल कूड़ा वहीं डंप हो रहा है। 

    यह भी पढ़ें: शिकायतों के समाधान को नगर निगम ने खोला कंट्रोल रूम Dehradun News

    कचरा बाहर फेंकने पर होगी कार्रवाई 

    नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के अनुसार, बॉयामेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए नगर निगम प्लांट लगाने जा रहा है। निगम की आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जा रहा है। शहर में अस्पतालों का रासायनिक कूड़ा नहीं फैले, इसके लिए निगम ने अपनी गाडिय़ों में इस कूड़े के उठान की तैयारी की है। प्लांट बनने तक यह कूड़ा रुड़की में बने निस्तारण प्लांट में भेजा जाएगा। प्लांट बनने तक जो अस्पताल या नर्सिंग होम कूड़े को नगर निगम की गाड़ी में नहीं डालकर बाहर फेंकेंगे, उन्हें चिह्नित कर लाइसेंस निरस्त कराने की कार्रवाई की जाएगी।

    यह भी पढ़ें: नगर निगम ने खुद की बिल्डिंग पर भी लगाया हाउस टैक्स Dehradun News