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    नीलकंठ परिसर से कूड़ा न उठा तो तहसील में करेंगे डंप

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 24 Feb 2020 11:07 AM (IST)

    महाशिवरात्रि पर नीलकंठ महादेव मंदिर में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक को पहुंचे। महाशिवरात्रि के बाद अब नीलकंठ परिक्षेत्र में भीड़ तो छंट गई है पर क्षेत्र ...और पढ़ें

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    नीलकंठ परिसर से कूड़ा न उठा तो तहसील में करेंगे डंप

    ऋषिकेश, जेएनएन। भगवान शिव की आराधना के महापर्व महाशिवरात्रि पर नीलकंठ महादेव मंदिर में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचे। महाशिवरात्रि के बाद अब नीलकंठ परिक्षेत्र में भीड़ तो छंट गई है, मगर पूरा क्षेत्र कूड़े और गंदगी से पट गया है। स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने नीलकंठ परिक्षेत्र में भंडारे लगाने की अनुमति दी। अब भंडारों के आसपास फैले कूड़े की कोई सुध लेने वाला नहीं है।

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    नीलकंठ महादेव मंदिर परिक्षेत्र श्रावण मास की कांवड़ यात्रा और महाशिवरात्रि के बाद हमेशा ही स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। यहां इन मेलों के बाद जो कूड़ा और गंदगी फैलती है उसे हटाने वाला कोई नहीं होता। इस बार भी महाशिवरात्रि के बाद नीलकंठ परिक्षेत्र गंदगी और कूड़े के ढेरों से पट गया है। स्थानीय लोगों और जन प्रतिनिधियों ने प्रशासन से मेला क्षेत्र में भंडारे न लगाने का आग्रह किया था। मगर, प्रशासन ने इसके बाद भी भंडारे लगाने की अनुमति दे दी। अब मेला समाप्त हो गया और भंडारे लगाने वाले भी लौट गए। मगर, इसके पीछे जो तस्वीर सामने आई हैं वह वास्तव में परेशान करने वाली हैं। नीलकंठ मंदिर सहित आसपास के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में कूड़ा फैला है, जिसकी अभी तक किसी ने सुध नहीं ली। 

    स्थानीय प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार 

    जिला पंचायत सदस्य क्रांति कपरुवाण ने नीलकंठ परिक्षेत्र की इस स्थिति के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने आनन फानन कुछ लोगों को भंडारे लगाने की अनुमति दी। मगर, सफाई के लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की। उन्होंने कहा कि यदि तीन दिन के भीतर भंडारों की अनुमति देने वाले तहसील के अधिकारी कूड़े का निस्तारण नहीं करते तो इस कूड़े को एकत्र कर यमकेश्वर तहसील के समीप डंप कर दिया जाएगा।

    शीशमबाड़ा प्लांट के विरोध में आंदोलन जारी

    शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण केंद्र के विरोध में आंदोंलन 140 वें दिन भी जारी रहा। आंदोलनकारियों का आरोप है कि प्लांट के अंदर ही जेसीबी मशीनों से लिचर्ड और कूड़ा दबाया जा रहा है। किसानों के खेतों में कूड़ा निस्तारण केंद्र का जहरीला पानी आने से फसलें बर्बाद हो रही हैं। मवेशियों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है, लेकिन शासन व प्रशासन समस्या हल करने के प्रति गंभीर नहीं है।

    आंदोलनकारियों ने कहा कि कूड़ा निस्तारण केंद्र के अंदर बिना पर्यावरण प्रदूषण विभाग की अनुमति के कूड़े का पहाड़ बना दिया गया है। कूड़ाघर से हो रही परेशानियों और दुष्प्रभावों की सभी जानकारी मुख्यमंत्री सहित सभी अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों के सामने प्रमाण के साथ रखी गयी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आंदोलनकारियों ने शासन से सवाल किया कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि लोगों की जान का खतरा बने प्लांट को नहीं हटाया जा रहा है।

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    सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर ने दो विधानसभा सत्रों में इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। धरना स्थल पर पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष सुधीर रावत, भूतपूर्व जन कल्याण सैनिक समिति पछवादून के अध्यक्ष निरंजन चौहान, राष्ट्रीय आदर्श पार्टी के अध्यक्ष एम एस कटारिया, कांग्रेस नेता विनोद चौहान, रीता शर्मा, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुमित चौधरी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राशिद पहलवान, राजेश शर्मा, प्रेम सिंह नेगी, नीलम थापा, आशा रावत, कुसुम भट्ट आदि मौजूद रहे।

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