उत्तराखंड में निजी वाहन संचालकों से परिवहन निगम को मिलेगी चुनौती, जानिए क्या है कारण
पहले से ही घाटे में चल रहे परिवहन निगम को निकट भविष्य में राज्य और संपर्क मार्गों पर निजी व्यावसायिक वाहन संचालकों से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, देहरादून: पहले से ही घाटे में चल रहे परिवहन निगम को निकट भविष्य में राज्य और संपर्क मार्गों पर निजी व्यावसायिक वाहन संचालकों से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। कारण यह कि इन मार्गों पर राज्य परिवहन प्राधिकरण खुली नीति (ओपन पालिसी) के तहत परमिट जारी कर सकता है। वहीं, राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी बसों के संचालन को लेकर भी पुरजोर पैरवी की जा रही है। इन मार्गों पर परिवहन निगम द्वारा समुचित बस सेवा न देने काे आधार बनाते हुए इन मार्गों पर निजी व्यावसायिक वाहनों के संचालन को न्यायालयों में वाद भी दायर किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड परिवहन निगम बीते कुछ वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा है। स्थिति यह है कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं बचे हैं। इसके लिए निगम सरकार पर आश्रित है। इस समय निगम के पास तकरीबन 1300 बसों का बेड़ा है। इनमें से भी तकरीबन 400 बसें अनुबंधित हैं। निगम की प्रतिदिन की आय इस समय तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये है, जो मासिक तकरीबन 45 करोड़ रुपये बैठती है। इनमें से वेतन मद में 20 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। निगम को सबसे अधिक आय राष्ट्रीय राजमार्गों से ही होती है। कारण यह कि अधिसूचित मार्ग होने के कारण केवल परिवहन निगम ही इन पर बसों का संचालन करने को अधिकृत है। जो निजी बसें इनमें संचालित होती है, वे छोटे-छोटे हिस्सों पर होती हैं।
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अब निगम को इन मार्गों पर निजी वाहन स्वामियों से चुनौती मिलने लगी है। हाल ही में नैनीताल-देहरादून मार्ग पर बस संचालन के लिए एक रिट कोर्ट में दाखिल हुई है। इसमें नैनीताल मार्ग में निगम की बसों की कम संख्या को आधार बनाया गया है। इससे आमजन को होने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए निजी बस संचालकों को संचालन की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। वहीं राज्य व संपर्क मार्गों पर परिवहन निगम की बसों का संचालन बेहद कम हो रहा है। ऐसे में संभागीय कार्यालयों द्वारा इन मार्गों पर निजी बसों व निजी व्यवसायिक वाहनों को संचालन करने की पैरवी की गई है। ऐसा होने की स्थिति में निगम की आय प्रभावित होने की संभावना है।

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