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    ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर होगी गर्भवतियों की स्क्रीनिंग, पढ़ि‍ए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 18 Nov 2021 02:05 PM (IST)

    चंदर नगर स्थित संभागीय प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान एनएचएम की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने बताया कि अब सभी गर्भवती महिलाओं ...और पढ़ें

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    अब सभी गर्भवती महिलाओं की एचआइवी और सिफलस की जांच गर्भावस्था की पहली तिमाही में अनिवार्य रूप से की जाएगी।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। अब सभी गर्भवती महिलाओं की एचआइवी और सिफलस की जांच गर्भावस्था की पहली तिमाही में अनिवार्य रूप से की जाएगी। ग्राम स्तर पर आयोजित होने वाले ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में इस जांच की सुविधा मिलेगी। जो गर्भवती महिला संक्रमित पाई जाएगी, उसे उपचार के लिए निर्धारित चिकित्सालय रेफर किया जाएगा। यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने चंदर नगर स्थित संभागीय प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान दी।

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    बुधवार को मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और उत्तराखंड एड्स नियंत्रण सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसमें प्रत्येक जनपद से दो-दो चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण के दौरान गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच और सिफलस स्क्रीनिंग के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण की शुरुआत करते हुए एनएचएम निदेशक ने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से संसाधनों की आपूर्ति के साथ चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ को क्षमता विकास के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में एचआइवी व सिफलस रोग को समाप्त करने के प्रयासों को मजबूत करना है। वर्तमान में राज्य में गर्भवती महिलाओं की संभावित संख्या लगभग दो लाख है। इसे देखते हुए एनएचएम के तहत प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों व उपकेंद्रों में एचआइवी और सिफलस की स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

    नई पद्धति से होगा टीबी का इलाज

    एनएचएम की ओर से औषधि प्रतिरोधक टीबी के प्रबंधन के लिए एम्स ऋषिकेश में दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। एनएचएम के प्रभारी अधिकारी डा. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि औषधि प्रतिरोधक टीबी का उपचार अब नई पद्धति से किया जाना है। इसके लिए टीबी नियंत्रण से संबंधित जिला स्तरीय अधिकारियों व तकनीशियन को प्रशिक्षण दिया गया। डा. पंकज ने बताया कि इस प्रशिक्षण में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डा. अभिषेक गोप और उत्तराखंड में टीबी नियंत्रण के लिए स्पेशल टास्क फोर्स के चेयरमैन एवं एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रदीप अग्रवाल ने उपचार की नई व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिमालयन मेडिकल कालेज के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. आर खंडूड़ी, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. वी जेठानी, सभी जनपदों के जिला समन्वयक, सुपरवाइजर व अन्य तकनीकी स्टाफ ने भाग लिया।

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