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    मुसाफिरों के जीवन से खेल रहा उत्तराखंड रोडवेज

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 06 Nov 2016 12:45 PM (IST)

    उत्तराखंड परिवहन निगम मुसाफिरों की जिंदगी से खेल रहा है। निगम की वर्कशॉप से फिट करार दी गईं 30 बसों को संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने अनफिट करार दिया है।

    देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: सुरक्षित सफर का भरोसा दिलाने वाले उत्तराखंड परिवहन निगम मुसाफिरों की जिंदगी से खेल रहा है। निगम की वर्कशॉप से फिट करार दी गईं 30 बसों को संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने अनफिट करार दिया है।
    संभागीय परिवहन अधिकारी सुधांशु गर्ग ने बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने से स्पष्ट इन्कार करते हुए कहा कि निगम वर्कशॉप के फोरमैन ने जिन बसों को फिट करार दिया था, उनमें कमानी के फट्टे खराब निकले। कुछ के स्टेयरिंग में भी खराबी थी। ऐसे में बसें कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं।

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    दूसरी ओर परिवहन निगम के महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने कहा कि यदि कोई चूक हुई है तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन पुरानी बसों को फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिला है उन्हें दुरुस्त कराया जाएगा।
    दौड़ रहीं 278 कंडम बसें
    परिवहन निगम के पास 1327 बसों का बेड़ा है। सूत्रों के अनुसार इनमें से 278 बसें मियाद पूरी कर चुकी हैं, जिन्हें धड़ल्ले से दौड़ाया जा रहा है। परिवहन निगम के नियमानुसार एक बस अधिकतम आठ साल अथवा आठ लाख किलोमीटर तक चल सकती है।

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    इसके बाद बस की नीलामी का प्रावधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। बसों में ईंधन पंप की खराबी व कमानी टूटने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं।
    महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि जो बसें कंडम हो चुकी हैं, उन्हें रूट पर नहीं भेजा जा रहा। उनकी नीलामी होने वाली है। अब नई बसें आ चुकी हैं। उन्हें ही रूट पर भेजा जा रहा है।
    मैकेनिक की कमी
    परिवहन निगम के पास तकनीकी स्टाफ की कमी है। उत्तर प्रदेश से पृथक होने के बाद आधे से ज्यादा नियमित कर्मी रिटायर हो चुके हैं। नई भर्ती हुई नहीं। कार्यशाला में आउट सोर्सिंग से काम चलाया जा रहा है। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि नई बसें आ चुकी हैं। ऐसे में कंडम बसों को रूट पर नहीं भेजा जाना चाहिए।

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    एसी बसों का भी बुरा हाल
    एसी बसों में सुहाने-आरामदायक सफर का दावा करने वाला परिवहन निगम भले ही यात्रियों से भारी-भरकम किराया वसूल रहा हो, लेकिन सफर में न तो आराम है न ही सुकून। निगम के बेड़े में हाईटेक बसों के साथ ही 200 वाल्वो और एसी बसें भी हैं। इन 200 में से 180 एसी और वाल्वो बसें अनुबंध पर हैं।
    हालत यह है कि 50 फीसद बसों में एसी खराब हैं और सीटें टूटी हुई। यहां तक कि ज्यादातर में सीटों के पुश-बैक काम नहीं करते तो कुछ से गद्दियां गायब हैं। सीट के ऊपर लगे ब्लोवर तक टूटे हैं और मोबाइल चार्जर के सॉकेट काम नहीं कर रहे। पानी की बोतल रखने के क्लैंप गायब हैं और पंखे भी चालू नहीं हैं, लेकिन इस मामले में क्या कार्रवाई हुई कोई नहीं जानता।
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