Move to Jagran APP

इस मंदिर में देवी के दो रूपों के होते हैं दर्शन, अब नहीं होती पशु बलि

रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखंड के भरदार क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी में सिद्धपीठ मठियाणा मां का मंदिर स्थित है। यहां पर देवी दो रूप में भक्तों को दर्शन देती है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 08:42 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 08:42 AM (IST)
इस मंदिर में देवी के दो रूपों के होते हैं दर्शन, अब नहीं होती पशु बलि

देहरादून, जेएनएन। जनपद रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखंड के भरदार क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी में सिद्धपीठ मठियाणा मां का मंदिर स्थित है। यह तीन सौ से अधिक गांवों की कुल देवी है। पहले लोग मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में पशु बलि देते थे, पर अब यहां श्रीफल चढाए जाते हैं। 

loksabha election banner

मंदिर में मां के दर्शनों को दूरदराज क्षेत्रों के साथ ही आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में भक्त दर्शनों को आते हैं। इस मंदिर की स्थापना चार सौ वर्ष पूर्व होना बताया जाता है। बताया जाता है कि गढ़वाल के राजा ने इस मंदिर की स्थापना की थी। यहां पर देवी दो रूप में भक्तों को दर्शन देती है। एक तो बैष्णव रूप में और दूसरी भद्रकाली यानी काली के रूप में। 

मान्यता है जो भी भक्त इस शक्ति पीठ में आता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस स्थान पर मठियाणा माई को भगवान शिव शंकर ने साक्षात दर्शन दिए थे। लोगों की आस्था है कि इस मंदिर में देवी के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। 

मंदिर का महातम्य

मठियाणा मां का मंदिर सिद्धपीठों में शामिल है। चैत्र व शारदीय नवरात्रों में यहां विशेष पूजा होती है। कालरात्रि को पूरी रात जागरण होता है। यहां पर अस्सी के दशक में बली प्रथा का प्रचलन था, लेकिन अब नहीं है। भक्त श्रीफल लेकर माता के दरबार में आते हैं।

देश-विदेश से आते हैं भक्त 

मठियाणा मंदिर के मठापति विक्रम सिंह कठैत के अनुसार, सिद्धपीठ मठियाणा देवी के दर्शन नवरात्रों में विशेष फलदाई है। कालीमठ एवं कालीशिला में नवरात्रों में स्थानीय भक्तों के साथ ही देश-विदेश के भक्त भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। नवरात्र में जो भक्त श्रद्धाभाव से यहां मां की पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। 

मां की शक्ति के रूप में है पीठ 

ग्रामीण रविंद्र पंवार के मुताबिक, मां की शक्ति के रूप में यह पीठ स्थित है। यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और दर्शन करने से वह पूरी होती है। इस स्थान पर मां मठियाणा का मंदिर है वह पूरा स्थान देवताओं की भूमि है।

ऐसे पहुंचें मंदिर

ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे रुद्रप्रयाग तक-130, रुदप्रयाग से गौरीकुंड हाईवे पर तिलवाड़ा तक 9 किमी। तिलवाड़ा सौराखाल मोटर मार्ग पर 32 किलोमीटर मैठाणागड़ तक का सफर। यहां से दो किमी पैदल मार्ग। 

यह भी पढ़ें: यहां गिरे थे देवी सती के बाल, आस्था है भक्तों की भरती है झोली

कपाट खुलने का समय

पूरे वर्ष श्रृद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। नवरात्रों पर यहां विशेष पूजा होती है। रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली क्षेत्र के तीन सौ गांवों की कुल देवी है। यहां दूर-दराज क्षेत्रों से दर्शनों को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

यह भी पढ़ें: यहां गिरा था देवी सती का सिर, मां के दर्शन करने से मिट जाते हैं समस्त पाप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.