Move to Jagran APP

कर्मचारियों को जोड़े रखने की चुनौती, तेज हुई जुबानी जंग; पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन में बिखराव के बाद उन संगठनों से भी कर्मचारियों के टूटने की आशका बढ़ गई है जो हाल ही में एसोसिएशन से अलग हुए हैं।

By Edited By: Published: Sat, 30 May 2020 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 08:32 AM (IST)
कर्मचारियों को जोड़े रखने की चुनौती, तेज हुई जुबानी जंग; पढ़िए पूरी खबर
कर्मचारियों को जोड़े रखने की चुनौती, तेज हुई जुबानी जंग; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन में बिखराव के बाद उन संगठनों से भी कर्मचारियों के टूटने की आशंका बढ़ गई है, जो हाल ही में एसोसिएशन से अलग हुए हैं। इसे लेकर वह सभी संगठन अब अपने सदस्यों को जोड़े रखने की जद्दोजहद में जुट गए हैं, जिससे राज्य में कर्मचारी राजनीति को लेकर आने वाले दिनों में नए समीकरण और नए चेहरे उभर कर सामने आ सकते हैं। अब देखना लाजिमी होगा, करीब एक साल पहले जिन मुद्दों को लेकर तमाम कर्मचारी संगठन एकजुट हुए थे, अब वह किस तरह से राज्य के करीब चार लाख से अधिक कर्मचारियों को फिर से अपने खेमे में लाने की कोशिश करते हैं। इसे लेकर शुक्रवार को पूरे दिन कर्मचारी नेताओं में जुबानी जंग चलती रही।

loksabha election banner

जाति आधारित संगठनों की खत्म की जाए मान्यता: परिषद 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के हाईपावर कोर कमेटी की शुक्रवार को विकास भवन में बैठक हुई, जिसमें सरकार से जाति आधारित कर्मचारी संगठनों की मान्यता खत्म करने की माग उठी। जाहिर है इशारा जनरल ओबीसी एसोसिएशन की ओर ही है। बैठक में परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि जनरल ओबीसी एसोसिएशन कर्मचारियों में भ्रम फैलाते हुए अनर्गल बयानबाजी कर रहा हैं। जिसकी कड़ी निन्दा की जाती है। वहीं, अन्य वक्ताओं ने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष को सदन ने निर्वाचित किया तथा सदन को ही इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार है। कार्मिक विभाग के अनुरूप कार्यकारी अध्यक्ष, कार्यकारी महामंत्री, का भी सदन की सहमति से चयन कर लिया गया था। किसी भी ऐसे संगठन जो खुद शासन से मान्यता प्राप्त न हो उसे सलाह देने या दुष्प्रचार करने का कोई अधिकार नहीं है। परिषद व अन्य महासंघों, संघों के सदस्यों व पदाधिकारियों के अथक प्रयास से ही बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली कराई जा सकी है। जनरल ओबीसी एशोसिएशन के पदाधिकारी तो मुख्यमंत्री से वार्ता करने को तैयार नहीं थे। ऐसे लोग आज खुद श्रेय लेकर प्रदेश का सर्वे सर्वा बनने का भ्रम पाल बैठे हैं। हमारी माग है कि जाति के आधार पर चल रहे संगठनों की मान्यता तुरन्त समाप्त की जाए और इन पर प्रतिबंध् लगाया जाए। जातिगत संगठनों से प्रदेश में वैमनस्यता पैदा हो रही है। ऑनलाइन बैठक में नंद किशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, अरूण पाण्डे, ओमवीर सिंह, राकेश प्रसाद ममगाई, अनिल बागा, गुड्डी मटूडा, भुपाल सिंह, हर्षमोहन, इन्द्रमोहन कोठारी, राकेश तिवारी, नरेश सिंह व अन्य मौजूद रहे।

त्यागपत्र से पहले होगी बर्खास्तगी 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि कोई कर्मचारी भावावेश में परिषद के किसी पद से त्यागपत्र देने की पेशकश करेगा तो उसे तत्काल प्रभाव से संगठन से बर्खास्त कर दिया जाएगा। उसके स्थान पर नए पदाधिकारी का चुनाव कर लिया जाएगा। यह भी तय किया गया कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड का कोई भी पदाधिकारी या सदस्य परिषद व अपने मातृ संगठन के अलावा अन्य महासंघ, संघ, एसोसिएशन का सदस्य नहीं रह सकता है। यदि कोई पदाधिकारी या सदस्य जनरल ओबीसी एशोसिएशन अन्य किसी महासंघ या संघ में सदस्य है तो वह तुरन्त त्याग पत्र देकर परिषद को अवगत कराए।

मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन एकजुट 

उत्तराचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने कहा संगठन एकजुट है और पदाधिकारियों के त्यागपत्र दिए जाने को लेकर केवल भ्रम फैलाया जा रहा है। जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के उस दावे को पदाधिकारियों ने निराधार बताया, जिसमें यह कहा गया था कि फेडरेशन के कई पदाधिकारी त्याग पत्र देने की बात कह रहे है। प्रांतीय अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी व प्रांतीय महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि प्रांत के पास अभी तक किसी भी जिले से किसी पदाधिकारी के त्याग पत्र की कोई सूचना नहीं है। यदि जिला स्तर पर एक दो पदाधिकारियों द्वारा त्याग पत्र दिया भी गया है, उनकी अपने स्वयं के विभाग व जिलों में भी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा फेडरेशन में लगभग 44 विभागों के प्रांतीय विभागीय घटक संघ सम्मिलित हैं। अभी तक किसी भी घटक संघ द्वारा कोई विरोध पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, उन्होंने स्पष्ट किया कि फेडरेशन के प्रांतीय स्तर से बिना किसी निर्णय तथा निर्देश के फैडरेशन के कुछ सदस्य अपनी मर्जी से जनरल ओबीसी संगठन में पदाधिकारी एवं सदस्य बने हैं। आगामी बैठक में जो भी फेडरेशन की मूल भावना के विरूद्ध संगठन को कमजोर करने की कोशिश करेगा उसके विरूद्ध सर्वसम्मत से संघ संविधान अनुसार कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन की उच्चाधिकार समिति भंग

कल की बैठक में तय होगी रणनीति 

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रातीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि एसोसिएशन को कमजोर करने की कोशिश वाले लोग निजी स्वार्थ को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्हें प्रदेश के कर्मचारियों के हितों की बिल्कुल भी चिंता नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि अभी किसी भी संगठन या उसके पदाधिकारी को किसी के भी खिलाफ बयानबाजी करना उचित नहीं होगा। क्योंकि आने वाले दिनों में सरकार के सामने मागों को लेकर सभी को एकजुट होना ही पड़ेगा। नहीं तो निश्चित तौर पर हमारी ही ताकत कमजोर पड़ेगी। फिलहाल एसोसिएशन रविवार को होने वाली बैठक में आगे की रणनीति पर विचार करेगा। उसी के अनुसार सदस्यता अभियान भी चला जाएगा। हमारी यह शर्त कतई नहीं होगी कि किसी अन्य संगठन में रहते हुए कोई जनरल ओबीसी एसोसिएशन का सदस्य नहीं हो सकता। संगठन सभी के लिए एक समान अवसर देने का विकल्प भी प्रस्तुत करेगा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में कर्मचारियों के ध्रुवीकरण के बीच बिखराव ने बदले संगठन की राजनीति के समीकरण


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.