सरकार के इस फैसले को अमल में लाने की चुनौती
सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की संबद्धता देने का अधिकार विवि कार्य परिषद को सौंपने का फैसला किया है, जिसे अमल मेें लाना बड़ी चुनौती ब ...और पढ़ें

देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: निजी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की संबद्धता देने का अधिकार विश्वविद्यालय कार्य परिषद को सौंपने का अहम और साहसिक फैसला सरकार ने कर तो दिया, लेकिन अब उसको अमल में लाने की चुनौती खड़ी हो गई है। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय उत्तराखंड की कार्य परिषद का अभी तक गठन नहीं हो सका है। इससे खासतौर पर गढ़वाल मंडल में संबद्धता देने के कार्य में फिर लेटलतीफी हो सकती है। वहीं राजभवन या कुलाधिपति कार्यालय का संबद्धता में हस्तक्षेप खत्म करने के लिए राज्य सरकार को विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करना पड़ सकता है।
राज्य गठन के बाद सरकार ने पहली बार विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की दिशा में मजबूती से फैसला लेते हुए पाठ्यक्रम की संबद्धता का अधिकार उन्हें ही सौंप दिया। इससे राज्य के निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को पाठ्यक्रमों की संबद्धता के लिए अब शासन के दर पर दस्तक नहीं देनी पड़ेगी। संबद्धता के मामले में राज्य सरकार व कुलाधिपति कार्यालय की ओर से उत्तरप्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 एवं श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 की धारा-37(2) व धारा-33(1) के मुताबिक कार्रवाई की जा रही थी। इन अधिनियमों में संबद्धता के मामले में उक्त दोनों का हस्तक्षेप रखा गया है।
हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेजों की संबद्धता) विनियम, 2009 (यथासंशोधित) विनियम, 2012 की उपधारा-4.9 में अस्थायी संबद्धता का अधिकार विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद को है। शासन ने यूजीसी के विनियमों का हवाला देते हुए उक्त आदेश जारी किया है।
हालांकि, सरकार ने संबद्धता में होने वाली देरी को खत्म करते हुए यह अहम फैसला तो किया। लेकिन श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में अभी तक कार्य परिषद का गठन नहीं होने का पेच फंस गया है। उक्त फैसले से पहले सरकार ने कार्य परिषद का अधिकार विश्वविद्यालय कुलपति को ही सौंपा है। लेकिन उक्त शासनादेश के बाद अब विश्वविद्यालय में कार्य परिषद का गठन जरूरी हो गया है। वहीं कुलाधिपति कार्यालय में संबद्धता की पत्रावली की जरूरत भले ही न रही हो, लेकिन श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय अधिनियम में संबद्धता में कुलाधिपति कार्यालय का हस्तक्षेप रखा गया है।
उच्च शिक्षा महकमे के उच्चाधिकारियों की मानें तो यूजीसी के विनियमों के प्रावधानों के चलते राज्य का अधिनियम उससे अलग नहीं जा सकता है। लिहाजा यूजीसी के प्रावधान ही प्रभावी रहेंगे। उधर, संपर्क करने पर श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ यूएस रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय कार्य परिषद का गठन जल्द किया जाएगा।

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