सुरक्षित है रॉकफिल तकनीक से बना देश का सबसे ऊंचा टिहरी बांध
रॉकफिल तकनीक से बना टिहरी बांध अपनी श्रेणी का देश का सबसे ऊंचा बांध है। वर्ष 1978 में टिहरी बांध का निर्माण शुरू हुआ था और वर्ष 2006 में बांध से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया। टिहरी बांध का निर्माण भागीरथी नदी में 260 मीटर की ऊंचाई पर है।
अनुराग उनियाल, नई टिहरी: रॉकफिल तकनीक से बना टिहरी बांध अपनी श्रेणी का देश का सबसे ऊंचा बांध है। वर्ष 1978 में टिहरी बांध का निर्माण शुरू हुआ था और वर्ष 2006 में बांध से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया। रॉकफिल तकनीक से बना होने के कारण यह बांध रिएक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता तक के भूकंप को झेल सकता है।
टिहरी बांध का निर्माण भागीरथी नदी में 260 मीटर की ऊंचाई पर हुआ है। 2400 मेगावाट की इस परियोजना के तहत टिहरी बांध से एक हजार मेगावाट, कोटेश्वर बांध से 400 मेगावाट और निर्माणाधीन पंप स्टोरेज प्लांट से एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन होना है। आमतौर पर बांध का जलाशय बनाने के लिए कंक्रीट की दीवार बनाई जाती है, लेकिन टिहरी बांध का पानी रोकने वाली दीवार में सिर्फ मिट्टी-पत्थर भरे गए हैं। रिवर बैंड पर 1125 मीटर चौड़ी इस दीवार के शीर्ष की चौड़ाई 30.5 मीटर है। 575 मीटर लंबी दीवार के ऊपर से ही वाहनों की आवाजाही होती है। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) के अधिशासी निदेशक वीके बडोनी ने बताया कि रॉकफिल तकनीक से बना यह देश का सबसे ऊंचा बांध है। मिट्टी और पत्थर से बने इस बांध पर भूकंप या अन्य कोई आपदा आने से दरार पडऩे का खतरा नहीं है।
यह भी पढ़ें- चमोली आपदा : आंखों में अब भी उमड़ रहा तबाही का मंजर
सिल्ट फ्री है टिहरी बांध
टिहरी बांध का जलाशय 42 वर्ग किमी में फैला है। इसकी विशालकाय झील में रेत और सिल्ट बहकर आती है, लेकिन बांध की टरबाइन तक नहीं पहुंच पाती। आमतौर पर हाइड्रो प्रोजेक्ट में गाद और रेत आने से टरबाइन खराब हो जाती हैं। लेकिन टिहरी बांध की विशाल झील के कारण रेत व गाद चिन्यालीसौड़ और पिलखी के पास ही जमा हो जाती है। इससे टरबाइन को कोई खतरा नहीं रहता।
केदारनाथ आपदा में भी मददगार बना था टिहरी बांध
वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान जब अलकनंदा और भागीरथी उफान पर थी, तब टीएचडीसी प्रबंधन ने टिहरी बांध से पानी छोडऩा बंद कर दिया था। उत्तरकाशी से उफनती भागीरथी नदी का पानी टिहरी झील में ही रोक दिए जाने से देवप्रयाग से आगे भागीरथी का जलस्तर नहीं बढ़ पाया था।
यह भी पढ़ें- Uttarakhand Glacier Burst News सबक के साथ सवाल भी छोड़ गई चमोली की आपदा
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें