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    Uttarakhand Glacier Burst News सबक के साथ सवाल भी छोड़ गई चमोली की आपदा

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Mon, 08 Feb 2021 02:00 PM (IST)

    सीमांत चमोली जिले के रैणी तपोवन क्षेत्र में आई आपदा सबक देने के साथ ही सवाल भी छोड़ गई। सबक आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में हर वक्त चौकन्ना रहने का और सवाल दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही विभिन्न परियोजनाओं के मध्य बेहतर संचार कनेक्टिविटी व समन्वय का।

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    सीमांत चमोली जिले के रैणी, तपोवन क्षेत्र में आई आपदा सबक देने के साथ ही सवाल भी छोड़ गई।

    विकास गुसाईं, देहरादून: सीमांत चमोली जिले के रैणी, तपोवन क्षेत्र में आई आपदा सबक देने के साथ ही सवाल भी छोड़ गई। सबक आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में हर वक्त चौकन्ना रहने का और सवाल दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही विभिन्न परियोजनाओं के मध्य बेहतर संचार कनेक्टिविटी व समन्वय का। जिसका असर इस घटना में भी नजर आया। 

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    समूचा उत्तराखंड आपदा के दृष्टिगत बेहद संवेदनशील है। यूं कहें कि आपदाओं का इस राज्य से चोली-दामन का साथ है तो अश्यिोक्ति नहीं होगी। यही वजह भी है कि राज्य में अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय अस्तित्व में है। हालांकि, बदली परिस्थितियों में विभाग ने तमाम संसाधन जुटाने के साथ ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया है। बावजूद इसके विषम भूगोल वाल उत्तराखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में संचार नेटवर्क आज भी चुनौती बना हुआ है।

    रविवार को रैणी गांव के समीप ऋषिगंगा और धौलीगंगा के उफान पर आने से हुई तबाही की घटना के दौरान भी कनेक्टिविटी और समन्वय का अभाव झलका। अनुमान लगाया जा रहा कि यह घटना सुबह साढ़े नौ से दस बजे के बीच हुई होगी। वहीं शासन स्तर से घटना का समय 10:30 बजे बताया जा रहा है। इस समय तक तो इंटरनेट मीडिया में आपदा के वीडियो वायरल होने लगे थे। यह बात दीगर रही कि इसके बाद सरकार से लेकर प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह से सक्रिय हो गई। युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत कार्य चल रहे हैं।

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    हालंाकि, शुरुआती दौर में घटना के जो वीडियो आए, उससे स्थिति अधिक भयावह होने की आशंका जताई जा रही थी। शुक्र ये रहा कि नंदप्रयाग तक पहुंचते पहुंचते पानी का बहाव थोड़ा शांत हो गया। इससे सरकारी मशीनरी ने राहत की सांस ली। वहीं, घटना होने के बाद कनेक्टिविटी और एक ही क्षेत्र में एक ही प्रकृति की योजनाओं के मध्य समन्वय की कमी भी देखने में आई। रैणी गांव के नजदीक, जहां यह घटना हुई वहां संचार कनेक्टिविटी काफी कमजोर है। जाहिर है कि इससे संपर्क में दिक्कत आई।

    यही नहीं, परियोजनाओं के बीच समन्वय को लेकर काफी लंबे समय से बातें कहीं जा रही है। इसके तहत बेहतर तंत्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में सूचनाओं का आदान- प्रदान कर बचाव के लिए कदम उठाए जा सकें। यहां भी ये कमी साफ झलकी। रैणी गांव के नजदीक ऋषिगंगा नदी पर बना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट सबसे ऋषिगंगा के उफान की गिरफ्त में आया। यदि बेहतर समन्वय होता तो इससे करीब सात किमी दूर धौलीगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को इस संबंध में सूचित किया जा सकता था। 

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