उत्तराखंड में कर माफिया को लेकर बड़ा खुलासा, बेचे फर्जी बिल और हड़प लिया 04 करोड़ का जीएसटी
उत्तराखंड में एक कर माफिया गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है, जिसने फर्जी बिल बेचकर लगभग 4 करोड़ रुपये का जीएसटी घोटाला किया। गिरोह ने कई कंपनियों के नाम पर फर ...और पढ़ें

राज्य कर मुख्यालय की सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट ने देहरादून समेत हरिद्वार, चमोली और काशीपुर की 08 फर्मों पर मारा छापा। प्रतीकामक
जागरण संवाददाता, देहरादून। जीएसटी के लागू होने के बाद जिस तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के नाम पर समूह बनाकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, वह साफ तौर पर कर माफिया की सक्रियता को दर्शाता है। जिसका मतलब है कि कराधान के क्षेत्र में भी माफिया का सिंडिकेट हावी हो रहा है। हालांकि, राज्य कर विभाग निरंतर ऐसी चेन को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और इस बार भी ऐसे सिंडिकेट पर शिकंजा कसा गया है, जिसने फर्जी फर्मों की चेन बनाकर खरीद-बिक्री के फर्जी बिल तैयार किए और उससे सरकार को कर अदा करने की जगह कई फर्मों ने उल्टे चार करोड़ रुपए आइटीसी के नाम पर हजम कर लिए।
राज्य कर आयुक्त सोनिका के निर्देश पर मुख्यालय की सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट ने देहरादून समेत हरिद्वार, चमोली और काशीपुर की वर्क कंट्रेक्ट और निर्माण से जुड़ी आठ फर्मों पर छापा मारा तो कर माफिया का करतूत सामने आ गई। जांच में पता चला कि हरिद्वार के जगजीतपुर कनखल के पास एक फर्म स्वामी ने फर्जी फर्मों की पूरी चेन बनाई है। जो वास्तविक खरीद और बिक्री तो नहीं करती है, लेकिन फर्जी बिल विभिन्न फर्मों को जारी कर देती है। जिससे वास्तविक रूप से काम करने वाली फर्में फर्जी बिलों की आड़ में अपनी जीएसटी की देयता को या तो समायोजित कर देती है या नियमों के विपरीत आइटीसी प्राप्त कर लेती हैं।
वर्क कंट्रेक्ट और निर्माण से जुड़ी फर्मों ने भी यही किया और सरकार को 04 करोड़ की चपत लगा दी। हालांकि, जीएसटी अधिकारियों की छापेमारी के बाद दो फर्मों ने मौके पर 50 लाख रुपए जमा करा दिए। विभाग की कार्रवाई अभी गतिमान है और कर चोरी के मामले में जुर्माने के साथ पाई पाई वसूल की जाएगी। जांच में राज्य कर विभाग के 20 अधिकारियों की टीम शामिल रही।
कर माफिया ने 03 से 05 प्रतिशत कमीशन पर बेचे फर्जी बिल
जिन आठ फर्मों पर राज्य कर विभाग की टीम ने शिकंजा कसा, उन्होंने हरिद्वार की फर्म से फर्जी मिल लिए थे। इन फर्जी बिलों को 03 से 05 प्रतिशत के कमीशन पर बेचा गया था। हरिद्वार की फर्म अन्य फर्मों को भी फर्जी बिलों की सप्लाई करती पाई गई। इस तरह के फर्जीवाड़े को राज्य कर विभाग ने आपराधिक षडयंत्र माना है और विधिक कार्रवाई अमल में लाने पर विचार किया जा रहा है।

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