टाटा कंपनी ने रोडवेज से वापस मिली बसों में गियर बक्सा और गियर लीवर बदले
टाटा कंपनी ने रोडवेज से वापस मिली बसों में गियर बक्सा व गियर लीवर बदलना शुरू कर दिया है। पांच बसों में नए मॉडल वाले गियर बक्से एवं लीवर लगाकर रोडवेज को सूचना भेजी गई।
देहरादून, जेएनएन। टाटा कंपनी ने रोडवेज से वापस मिली बसों में गियर बक्सा व गियर लीवर बदलना शुरू कर दिया है। पांच बसों में नए मॉडल वाले गियर बक्से एवं लीवर लगाकर रोडवेज को सूचना भेजी गई। गुरुवार को पांच ड्राइवरों के साथ रोडवेज अधिकारियों की एक टीम पंतनगर पहुंची और बसों का ट्रायल लिया। टीम ने गियर बक्से को हरी झंडी दे दी है। माना जा रहा कि एक माह में सभी बसों में नए गियर बक्से लगा दिए जाएंगे।
उत्तराखंड रोडवेज की ओर से पर्वतीय व मैदानी मार्गों के लिए टाटा और लिलैंड को 150-150 बसों के आर्डर दिए गए थे। इन आर्डर के तहत टाटा को 150 छोटी बसें व लिलैंड को 150 बड़ी बसें उपलब्ध करानी थीं।
टाटा की बसें अक्टूबर में मिल गई थी और 125 बसों का संचालन शुरू हो चुका था, जबकि 25 बसें पंजीकरण नहीं होने के कारण अभी खड़ी थीं। इन बसों में शुरुआत में ही गियर लीवर टूटने की शिकायतें आने नहीं। कुछ और तकनीकी दिक्कतें भी आईं। जिस पर 27 नवंबर को रोडवेज मुख्यालय ने टाटा की नई बसों का संचालन रोक इन्हें कार्यशालाओं में खड़ा कर दिया।
बसों की जांच सीआइआरटी की टीम ने की थी और अपनी रिपोर्ट में बसों को दोषपूर्ण बताकर इनका संचालन न कराने की रिपोर्ट रोडवेज को सौंपी थी। यह सभी बसें टाटा कंपनी के पंतनगर प्लांट में ठीक करने को भेज दी गई हैं। अब इनमें नया गियर बक्सा लगाया जा रहा और शेष तकनीकी खामियां दूर की जा रही हैं। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि बसें ठीक होने के बाद सीआइआरटी से फिर जांच कराई जाएगी।
31 दिसंबर को होगी लिलैंड बसों की जांच
रोडवेज को अशोका लिलैंड से मिलने वाली 150 बसों की जांच के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट की टीम द्वारा 31 दिसंबर व एक जनवरी का शेड्यूल दे दिया गया है। इससे पूर्व सीआइआरटी द्वारा दो बार शेड्यूल बदला जा चुका है, लेकिन अब फाइनल शेड्यूल भेजा गया है।
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बसों की जांच अलवर राजस्थान स्थित लिलैंड के प्लांट में होगी। सीआइआरटी द्वारा पहले 23-24 दिसंबर का समय दिया गया मगर बाद में इसे 26-27 दिसंबर कर दिया गया, लेकिन बाद में इसमें भी बदलाव कर दिया गया। अशोका लिलैंड ने भी अपनी मर्जी से बसों के डिजाइन में बदलाव कर दिया और छत में आपातकालीन दरवाजा नहीं बनाया। अब दोबारा इनकी छत बनाई जा रही। टाटा की बसों के प्रकरण से सबक लेते हुए अब रोडवेज प्रबंधन लिलैंड की बसों की निर्माण के दौरान ही जांच कराना चाह रहा है ताकि बाद में परेशानी न हो।
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