उत्तराखंड परिवहन निगम की 150 नई बसों में गड़बड़ी ही गड़बड़ी, पढ़िए पूरी खबर
राज्य परिवहन निगम में टाटा कंपनी से खरीदी गई 150 नई बसों के गियर लीवर मानक के अनुरूप नहीं पाए गए। सीआइआरटी दिल्ली की जांच में बसों में कई खामियां मिली।
देहरादून, जेएनएन। राज्य परिवहन निगम में टाटा कंपनी से खरीदी गई 150 नई बसों के गियर लीवर मानक के अनुरूप नहीं पाए गए। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (सीआइआरटी) दिल्ली की जांच में बसों के गियर लीवर न केवल मानक से ज्यादा लंबे पाए गए बल्कि यह निम्न गुणवत्ता के भी निकले। जांच में यह भी पाया गया कि गियर लीवर के पीछे जो यात्री सीट दी गई है, वह भी खतरनाक है।
यात्री का पांव गियर लीवर से टकरा सकता है और इससे हादसे का खतरा है। टीम की ओर से अपनी जांच रिपोर्ट अभी सौंपी नहीं गई है, लेकिन बसों की गुणवत्ता पर सवाल उठने से निगम ने इस स्थिति में इन बसों के संचालन से इन्कार कर दिया है।
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने स्पष्ट कहा कि अगर रिपोर्ट में बसों में कोई कमी बताई गई तो सभी बसें टाटा कंपनी को वापस कर दी जाएंगी। राज्य परिवहन निगम में टाटा से खरीदी गई नई बसों में गियर लीवर के टूटने व अन्य तकनीकी खराबी की शिकायतों के बाद 27 नवंबर को रोडवेज प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने इन बसों के संचालन पर तत्काल रोक लगा दी थी।
बसों की थर्ड पार्टी तकनीकी जांच सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट दिल्ली से कराने के आदेश भी दिए। इनमें 125 बसें पंजीकृत होने के बाद मार्गो पर दौड़ रही थीं जबकि 25 बसें अभी टाटा कंपनी के अधीन ही खड़ी हैं। इन 25 बसों की डिलीवरी रोकने के साथ ही टाटा कंपनी को होने वाले 37 करोड़ के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई। शुक्रवार की रात सीआइआरटी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम दून पहुंची।
शनिवार सुबह वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएन ढोले और एसएन गत्ते के साथ रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर चौहान, महाप्रबंधक दीपक जैन व टाटा कंपनी के अफसर बसों की जांच के लिए रोडवेज कार्यशाला पहुंचे। टीम ने भवाली डिपो की बस से जांच शुरू की, जिसका गियर लीवर सबसे पहले टूटा था। हालांकि, टाटा कंपनी की ओर से नया गियर लीवर लगा दिया गया था, मगर जांच टीम ने हर पहलू की बारीकी से पड़ताल के बाद गियर लीवर में गड़बड़ी बताई। टीम ने रोडवेज की एक पुरानी बस के अलावा उस नई बस की जांच भी की, जो अभी रोडवेज को डिलीवर नहीं हुई है।
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नए लॉट में गियर लीवर की गुणवत्ता तो खराब पाई गई, साथ ही इसकी ज्यादा लंबाई और इसे लगाने के स्थान पर भी टीम ने आपत्ति जताई। बोनट व चालक साइड का दरवाजा खोलने में भी गड़बड़ी मिलीं। शाट-शर्किट से बचाव को लेकर बसों की बैटरी में लगाए कट-आउट को बस के अंदर के बजाए बाहर लगाने पर भी सवाल उठाए गए। उधर, प्रबंध निदेशक रणवीर चौहान ने बताया कि टीम की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, लेकिन गियर लीवर की गड़बड़ी टीम ने मानी है।
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