जांच में फेल हुई रोडवेज की सभी 150 नई बसें कंपनी को होंगी वापस
राज्य परिवहन निगम में टाटा कंपनी से खरीदी गई सभी 150 बसें जांच में फेल हो गई हैं। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने रिपोर्ट को गंभीरता से लेकर सभी बसें लौटाने के निर्देश दिए।
देहरादून, जेएनएन। राज्य परिवहन निगम में दो माह पूर्व टाटा कंपनी से खरीदी गई सभी 150 बसें जांच में फेल हो गई हैं। दिल्ली के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (सीआइआरटी) की रिपोर्ट में बसों को दोषपूर्ण बताते हुए इनका संचालन न करने की संस्तुति की गई है। टीम ने बसों के गियर लीवर को खतरनाक माना है और इससे हादसे का खतरा बताया है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने रिपोर्ट को गंभीरता से लेकर सभी बसें लौटाने के निर्देश दिए।
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने रविवार शाम इन 150 बसों को टाटा कंपनी को वापस करने का आदेश जारी कर दिया। इन बसों में 125 बसों का संचालन हो रहा था, जबकि 25 बसें अभी रोडवेज को डिलीवर नहीं हुई थीं। हालांकि, ये 25 बसें देहरादून पहुंच गईं थी मगर इस बीच पूर्व में मिली बसों में तकनीकी खराबी की शिकायत पर परिवहन निगम ने इन 25 बसों की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी। बसों में बसों के गियर लीवर न केवल मानक से ज्यादा लंबे पाए गए बल्कि यह गुणवत्ता के स्तर पर भी फेल साबित हुए। सीआइआरटी की जांच में पाया गया कि बसों में ड्राइवर का केबिन छोटा है और गियर लीवर उसके बाहर निकला हुआ है। जांच में यह भी रहा कि गियर लीवर के मेन प्वाइंट के ठीक पीछे जो यात्री सीट दी गई है, वह खतरनाक है। यात्री का पांव गियर लीवर से टकरा सकता है और इससे हादसे का खतरा है। टीम की ओर से अपनी जांच रिपोर्ट रविवार की शाम रोडवेज प्रबंधन को सौंपी गई।
राज्य परिवहन निगम में यह बसें टाटा से कंपनी से अक्टूबर में मिली थी। शुरुआत में ही नई बसों में गियर लीवर के टूटने व कुछ अन्य तकनीकी खराबी की शिकायतें मिलने लगीं। गियर लीवर टूटने से अल्मोड़ा में एक बस खाई में गिरने से बच गई। इस दुर्घटना के तत्काल बाद 27 नवंबर को रोडवेज की ओर से इन बसों के संचालन पर रोक लगा दी गई। बसों की थर्ड पार्टी तकनीकी जांच सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट दिल्ली से कराने के आदेश भी दिए। साथ ही टाटा कंपनी को होने वाले 37 करोड़ के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई। शुक्रवार की रात सीआइआरटी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम दून पहुंची थी। शनिवार सुबह सीआइआरटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएन ढोले व एसएन गत्ते के साथ रोडवेज और टाटा के अफसरों की संयुक्त टीम ने बसों की जांच की।
जांच की शुरुआत भवाली डिपो की एस बस के साथ हुई, जिसका गियर लीवर सबसे पहले टूटा था। हालांकि, टाटा कंपनी की ओर से नया गियर लीवर लगा दिया गया था, मगर जांच टीम ने हर पहलू की बारीकी से जांच के बाद नए लीवर को भी रिजेक्ट कर दिया था। टीम ने रोडवेज की एक पुरानी बस के अलावा उस नई बस की जांच भी की, जो अभी रोडवेज को डिलीवर नहीं हुई है। नए लॉट में गियर लीवर की गुणवत्ता तो खराब पाई गई, साथ ही इसकी ज्यादा लंबाई और इसे लगाने के स्थान पर भी टीम ने आपत्ति जताई। बोनट व चालक साइड का दरवाजा खोलने में भी गड़बड़ी मिलीं। शाट-सर्किट से बचाव के लिए बसों की बैटरी में लगाए कट-आउट को बस के बाहर लगाने पर भी सवाल उठाए गए।
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बदला जाएगा गियर बक्सा
टाटा कंपनी ने सभी बसों का गियर बक्सा व लीवर का डिजाइन बदलने पर हामी भर दी है। रोडवेज के प्रबंध निदेशक ने बताया कि सबसे बड़ी आपत्ति गियर लीवर पर है। बाकी आपत्तियां मामूली हैं, जो आसानी से सुधारी जा सकती हैं। अब टाटा कंपनी नया गियर बक्सा व लीवर लगाएगी। फिर निगम की ओर से सीआइआरटी से दोबारा उसकी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट सकारात्मक होने पर ही यह बसें संचालन के लिए वापस ली जाएंगी।
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