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Surya Grahan 2020: सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, देहरादून में दिखा रिंग ऑफ फायर; दिन में छा गया था अंधेरा

Surya Grahan 2020 in Dehradun रविवार को सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगा। देहरादून में दोपहर 12 बजकर आठ मिनट पर सूर्य रिंग आफ फायर दिखाई दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 09:08 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 09:09 PM (IST)
Surya Grahan 2020: सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, देहरादून में दिखा रिंग ऑफ फायर; दिन में छा गया था अंधेरा
Surya Grahan 2020: सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, देहरादून में दिखा रिंग ऑफ फायर; दिन में छा गया था अंधेरा

देहरादून, जेएनएन। Surya Grahan 2020 आषाढ़ कृष्ण अमावस्या पर मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में पड़े साल के पहले वलयाकार सूर्यग्रहण का लोगों ने प्रदेशभर में उत्साह के साथ दीदार किया। बादलों की आंखमिचौनी के बावजूद यह दुर्लभ खगोलीय नजारा प्रदेश के हर हिस्से में स्पष्ट देखा गया। दोपहर 12 बजकर चार मिनट पर तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का 98 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ढक गया। जिससे सूर्य कंगन (छल्ले) की तरह नजर आने लगा। इस दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो धरती ने पीली आभा ओढ़ ली हो। इस अलौकिक नजारे को कैमरों में कैद करने के लिए लोगों में होड़ देखी गई।

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सूर्यग्रहण को लेकर लोगों उत्सुकता देखते ही बन रही थी। सुबह 10.25 बजे जैसे ही ग्रहण का प्रवेश हुआ, लोग उस दुर्लभ घड़ी का इंतजार करने लगे, जब सूर्य छल्ले का आकार ले लेगा। राजधानी देहरादून से लेकर हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, कोटद्वार, गोपेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर आदि स्थानों पर लोगों ने सोलर चश्मे, एक्सरे व पानी से भरी बाल्टी में इस अद्भुत खगोलीय नजारे को निहारा। छात्र एवं युवा वर्ग तो ग्रहण के दीदार की खासी होड़ रही। 

बड़ों की देखादेखी बच्चे भी ग्रहण को निहारने के लिए खासे लालायित दिखे। हालांकि, ग्रहण के चलते अधिकांश लोग घरों से बाहर नहीं निकले। खासकर बुजुर्गों ने ग्रहण देखने से परहेज किया। इसके चलते दोपहर तक सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। ग्रहण के निमित्त लोगों ने सूतक काल में भोजन भी ग्रहण नहीं किया। दोपहर 1.52 बजे के बाद ग्रहण का मोक्ष होने पर लोगों ने घरों की साफ-सफाई की और फिर स्नान के बाद भोजन ग्रहण किया। 

देहरादून, नई टिहरी, चमोली, जोशीमठ व गोपेश्वर दिखेगा वलयाकार ग्रहण 

वलयाकार ग्रहण उत्तराखंड में देहरादून, नई टिहरी, चमोली, जोशीमठ व गोपेश्वर आदि क्षेत्रों में ही नजर आया। इन क्षेत्रों में भी चंद्रमा सूर्य का 99 प्रतिशत ही ढक पाया। जिसके चलते वलयाकार सूर्यग्रहण नजर आया।

ऐसा होता है वलयाकार सूर्यग्रहण

वलयाकार सूर्यग्रहण बेहद दिलचस्प है। इस ग्रहण में चंद्रमा का आभासीय आकार सूर्य से कम होने के कारण चंद्रमा की छाया पूरी तरह से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य का बाहरी हिस्सा आग के छल्ले के समान नजर आता है। जिस कारण इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहा जाता है।

नग्न आंखों से देखने की न करें भूल

सूर्यग्रहण को देखने के लिए आंखों के लिए एहतियात बरतने की सख्त जरूरत है। इसे नग्न आंखों से देखने की भूल कतई न करें, ना ही एस्कसरे फिल्म से देखें। कैमरे की नजर से भी सूर्य को ना देखें। सूर्यग्रहण देखने के लिए उपयुक्त फिल्टरयुक्त बायनाकूलर का प्रयोग करें। गत्ते का पिन होल कैमरा बनाकर सूर्य के प्रतिबिम्ब जमीन अथवा किसी पर्दे में ही देखें। इसके अलावा प्रोजेक्शन यानी सूर्य के प्रतिबिंब का दीवार व पर्दे में देखें। सूर्यग्रहण के विशेष चश्में से भी देखा जा सकता है।

मृगशिरा व आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगने वाला साल का यह पहला सूर्य ग्रहण रविवार सुबह 10.25 बजे प्रारंभ हुआ । ग्रहण का मध्य दोपहर 12.06 बजे और मोक्ष दोपहर एक बजकर 52 मिनट पर होगा। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग, गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित दीपक सेमवाल व यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि ग्रहण के प्रारंभ से 12 घंटे पूर्व शनिवार रात 10.25 बजे से उसका सूतक प्रारंभ हो गया है, जो कि ग्रहण के मोक्ष तक रहा। 

सो, सूतक काल के लिए चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा पंच बदरी, पंच केदार आदि सभी मठ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। बताया कि रविवार दोपहर ग्रहण की समाप्ति पर मंदिरों की साफ-सफाई व गर्भगृह को गंगा-यमुना के जल से पवित्र करने के उपरांत ही वहां पूजा-अर्चना शुरू की गई और फिर भगवान को भोग लगाया। उधर, श्रीगंगा सभा हरिद्वार के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि सूतक होने के कारण हरकी पैड़ी पर सुबह होने वाली गंगा आरती दोपहर दो बजे के बाद संपन्न होगी।

दून में मंदिरों के कपाट हुए बंद

ग्रहणकाल से 12 घंटा पहले लगे सूतककाल में रात 10 बजकर 11 मिनट से शहर के सभी मंदिरों के कपाट पूर्ण रूप से बंद कर दिए गए, जो ग्रहण खत्म होने के बाद खुलेंगे। पंडितों की माने तो ग्रहणकाल खत्म होने के बाद प्रतिमा को स्नान और मंदिरों की धुलाई के बाद विधिविधान से पूजा होगी।

श्रद्ध अमावस्या पर पितरों के निमित किया दान

अषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार को शुरू होने के बाद लोगों ने पितरों के निमित पूजा कर तर्पण दिया। इस दौरान जरूरतमंदों को भी दान किया गया। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को स्नान दान अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति और श्रद्ध की रस्मों को पूरा करने के लिए अन्य दिनों की तुलना में उपयुक्त माना गया है।

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यह तिथि शनिवार सुबह 11:52 बजे से शुरू हो गई, जो रविवार दोपहर 12:11 बजे तक रहेगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दान करने के लिए सुबह को लगने वाली तिथि शुभ मानी जाती है। शनिवार से अमावस्या की तिथि शुरू होने के बाद लोगों ने स्नान के बाद पंडितों से घरों पर पितरों के निमित पूजा कराई और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण दिया। इसके बाद विभिन्न मंदिरों के बाद जरूरतमंदों को दान किया गया। आचार्य अमित थपलियाल, पंडित राकेश शर्मा की मानें तो 11:52 बजे से शुरू हुई अमावस्या की तिथि रविवार को ग्रहणकाल के बीच में 12:11 बजे संपन्न हो जाएगी।

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