समूचे उत्तराखंड में दिखेगा रविवार को होने वाला वलयाकार सूर्यग्रहण, 99 फीसद तक ढका रहेगा सूर्य
रविवार को लगने जा रहा रिंग ऑफ फायर यानी वलयाकार सूर्यग्रहण का हम गवाह बनने जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के कई हिस्सों में वलयाकार ग्रहण नजर आएगा।
नैनीताल, रमेश चंद्रा : कोरानाकाल में रविवार को लगने जा रहा रिंग ऑफ फायर यानी वलयाकार सूर्यग्रहण का हम गवाह बनने जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के कई हिस्सों में वलयाकार ग्रहण नजर आएगा। अन्य हिस्सों में आंशिक ही नजर आएगा। नैनीताल में सुबह 10.25 बजे सूर्य ग्रहण की चपेट में आना शुरू हो जाएगा। दोपहर 12.08 बजे 95 फीसद सूर्य ग्रहण की गिरफ्त में रहेगा। दोपहर 1.54 बजे सूर्य ग्रहण से मुक्त हो जाएगा।
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक डॉ दीपांकर बनर्जी ने बताया कि वलायाकार सूर्यग्रहण धरती के सिर्फ 21 किमी के दायरे में ही देखा जा सकेगा। बाकी हिस्सों में आंशिक देखा जा सकेगा। वलयाकार ग्रहण उत्तराखंड में देहरादून, नई टिहरी, चमोली, जोशीमठ व गोपेश्वर आदि क्षेत्रों में ही नजर आएगा। इन क्षेत्रों में भी चंद्रमा सूर्य का 99 प्रतिशत ही ढक पाएगा। जिसके चलते वलयाकार सूर्यग्रहण नजर आएगा। नैनीताल में ग्रहण का 96 फीसद हिस्सा ही नजर आएगा। यहां वलयाकार ग्रहण देखे जाने की संभावना नहीं है।
ऐसा होता है वलयाकार सूर्यग्रहण
वलयाकार सूर्यग्रहण बेहद दिलचस्प है। इस ग्रहण में चंद्रमा का आभासीय आकार सूर्य से कम होने के कारण चंद्रमा की छाया पूरी तरह से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य का बाहरी हिस्सा आग के छल्ले के समान नजर आता है। जिस कारण इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहा जाता है।
चार तरह के होते है सूर्यग्रहण
खगोल विज्ञानी डॉ शशिभूषण पांडे के अनुसार सूर्यग्रहण अदभुत खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीध में आ जाते हैं तो ग्रहण का संयोग बनता है। जिसमें पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। तब चंद्रमा की छाया सूर्य को ढकना शुरू कर देती है। सूर्यग्रहण चार प्रकार के होते हैं। जिनमें आंशिक, वलयाकार, पूर्ण व हाईब्रीड शामिल हैं। इनमें हाईब्रीड सूर्यग्रहण दुर्लभ माना जाता है। जिसमें पूर्ण व वलयाकार ग्रहण की स्थिति बनती है। आंशिक ग्रहण में सूर्य के एक हिस्से में ही ग्रहण लग पाता है। पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य पर पूरी तरह से काली छाया नजर आती है। वैज्ञानिक लिहाज से यह ग्रहण बेहद महत्वपूर्ण होता है। वलयाकार सूर्यग्रहण में चंद्रमा की छाया सूर्य को पूरी तरह से ढक नही पाती है और सूर्य के चारों ओर गोल आंखिरी हिस्सा छाया से मुक्त रहता है।
11 साल बाद होगा अगला वलयाकार सूर्यग्रहण
रिंग ऑफ फायर यानी वलयाकार सूर्यग्रहण इससे पूर्व पिछले साल 26 दिसंबर हुआ था, जिसमें वलयाकार ग्रहण दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में देखने को मिला था। इसके अलावा अन्य हिस्सों में आंशिक सूर्यग्रहण ही देखने को मिला था। अब अगला वलयाकार सूर्यग्रहण 11 साल बाद देखने को मिलेगा।
वैज्ञानिक उत्सुक, ऑनलाइन दिखायेंगे ग्रहण का नजारा
दुर्लभ वलयाकार सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना को लेकर एरीज के वैज्ञानिक बेहद उत्सुक हैं। डॉ शशिभूषण पांडे ने बताया कि यहां ग्रहण का अधिकांश यानी 96 फीसद हिस्सा नजर आने वाला है। जिस कारण ग्रहण के अध्ययन का अच्छा मौका वैज्ञानिकों के पास होगा। इस ग्रहण को देखने के लिए एरीज द्वारा चार दूरबीन प्रयोग में लाई जा रही है। जिसमें सोलर टावर दूरबीन के अलावा 15 सेमी की एचएफएलआर विक्सन, सोलर व एक अन्य दूरबीन तैयार की हुई हैं। कोराना के कारण आमजन को ऑनलाइन के जरिए सूर्यग्रहण दिखाया जाएगा। जिसमें जूम, यूट्यूब व फेसबुक को शामिल किया गया है।
नग्न आंखों से देखने की न करें भूल
सूर्यग्रहण को देखने के लिए आंखों के लिए एहतियात बरतने की सख्त जरूरत है। इसे नग्न आंखों से देखने की भूल कतई न करें, ना ही एस्कसरे फिल्म से देखें। कैमरे की नजर से भी सूर्य को ना देखें। सूर्यग्रहण देखने के लिए उपयुक्त फिल्टरयुक्त बायनाकूलर का प्रयोग करें। गत्ते का पिन होल कैमरा बनाकर सूर्य के प्रतिबिम्ब जमीन अथवा किसी पर्दे में ही देखें। इसके अलावा प्रोजेक्शन यानी सूर्य के प्रतिबिंब का दीवार व पर्दे में देखें। सूर्यग्रहण के विशेष चश्में से भी देखा जा सकता है।
यह भी पढ़ें : 1962 का युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक अब भी चीन को सबक सिखाने को आतुर