Surya Grahan 2020: सूर्यग्रहण खत्म होने पर चारधाम समेत सभी मंदिरों के खुले कपाट, हरकी पैड़ी पर हुई गंगा आरती
Surya Grahan 2020 सूर्यग्रहण पर चारधाम समेत सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। सूर्यग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों में साफ-सफाई की गई और कपाट पूजा-अर्चना के लिए खोल दिए गए हैं
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में सूर्यग्रहण पर चारधाम समेत सभी मंदिरों के कपाट सूतककाल में बंद रहे। सूर्यग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों में साफ-सफाई की गई और कपाट पूजा-अर्चना के लिए खोल दिए गए हैं। तीर्थनगरी ऋषिकेश में लोगों ने गंगा तट पर पूजा-पाठ और जाप किया। वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर प्रात: कालीन आरती दोपहर में हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार को सुबह 10 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर दोपहर एक बजकर 40 मिनट तक रहा। इस दौरान चारधाम समेत सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। शनिवार रात दस बजे से ही सूतककाल शुरू हो गया था, जो रविवार दोपहर दो बजे तक रहा। गंगा तट त्रिवेणी घाट पर सूर्य ग्रहण के काल में श्रद्धालुओं ने पूजा-पाठ और जाप किया। ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों को विधिवत देव स्नान और शुद्धीकरण के बाद पुनः श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया।
ऋषिकेश के पौराणिक ऋषि कुंड स्थित रघुनाथ मंदिर, त्रिवेणी घाट के सभी मंदिर, श्री भरत मंदिर, पौराणिक नीलकंठ महादेव मंदिर, वीरभद्र महादेव मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर, चंद्रेश्वर महादेव मंदिर आदि सूतक काल मे श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। वहीं इस खगोलीय घटना को देखने के लिए विद्यार्थियों और जिज्ञासुओं में खासा उत्साह रहा। लोगों ने विशेष उपकरणों के माध्यम से सूर्य ग्रहण का नजारा लिया। कई लोगों ने एक्स-रे फिल्म के माध्यम से भी सूर्य ग्रहण को देखा।
गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही मंदिरों में की पूजा-अर्चना
सूर्यग्रहण के चलते धर्मनगरी के मंदिरों के कपाट बंद रहे। हरकी पैड़ी पर प्रात: कालीन आरती दोपहर में हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने ब्रह्मकुंड और आसपास गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। गरीबों को दान दिया। गंगा जल से शुद्धिकरण के बाद मंदिरों के कपाट खुलते ही देव दर्शन को भी श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची। हरकी पैड़ी पर संध्याकालीन आरती नियत समय पर हुई।
दोपहर 12 बजे के बाद कंकण ग्रहण का दृश्य आकाश में नजर आया। कुछ देर के लिए अंधेरा छा गया। चूड़ामणि ग्रहण के दौरान बड़ी तादात में श्रद्धालु हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत आसपास गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने के साथ जप-तप करते देखे गए। हालांकि ग्रहण के चलते मंदिरों के कपाट बंद रहे। हरकी पैड़ी पर प्रात: कालीन गंगा आरती नहीं हुई। शास्त्रों में ग्रहण के बाद गंगा स्नान और दान आदि का महत्व बताया गया है। सो, ग्रहण काल खत्म होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ हरकी पैड़ी पर उमड़ी।
बड़ी तादात में श्रद्धालुओं ने गंगा मैया के उद्घोष के साथ स्नान किया। संत महात्माओं ने भी गंगा में डुबकी लगाई। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संतों ने श्रीमहंत रविंद्रपुरी के साथ गणेश घाट पर स्नान किया। विशेष पूजा-अर्चना की गई। गरीबों को दान आदि देकर पुण्य कमाया। हरकी पैड़ी पर दोपहर के समय हुई प्रात: कालीन गंगा आरती में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान शारीरिक दूरी मानकों का भी कड़ाई से पालन कराया गया। गंगा जल से शुद्धिकरण के बाद मंदिरों के कपाट खुलते ही देवदर्शन को भी बड़ी तादात में श्रद्धालु पहुंचे। हरकी पैड़ी स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर, प्राचीन बद्री नारायण मंदिर, मंसा देवी, चंडी देवी, दक्षेश्वर महादेव, नीलेश्वर महादेव, बिल्केश्वर महादेव आदि स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। हरकी पैड़ी पर नियत समय पर संध्याकालीन गंगा आरती हुई।
रविवार अवकाश के चलते गंगा घाटों पर रही भीड़
रविवार अवकाश के चलते आम दिनों की अपेक्षा गंगा घाटों पर ज्यादा चहल पहल रही। हरकी पैड़ी ही नहीं प्रेम नगर, गोविंदघाट समेत अन्य गंगा घाटों पर भी श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे। मंसा देवी, चंडी देवी मंदिरों के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भी अच्छी खासी तादात रही।