उत्तराखंड चारधाम प्रबंधन कानून के विरोध में कूदे सुब्रमण्यम स्वामी
वरिष्ठ भाजपा नेता व सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि एक नजर में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन कानून असंवैधानिक लगता है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन कानून का विरोध कर रहे स्थानीय तीर्थपुरोहितों व हकहकूकधारियोंको अब वरिष्ठ भाजपा नेता व सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का भी साथ मिला है। डॉ. स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि एक नजर में यह कानून असंवैधानिक लगता है। कई साधुओं ने उनसे मिलकर इस मामले में जनहित याचिका दायर करने को कहा है। वह इस मामले में गंभीरता से विचार करेंगे।
प्रदेश सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को विधानसभा में पारित कराया था। इसे राजभवन से भी मंजूरी मिल चुकी है और अब यह कानून का रूप ले चुका है। इस कानून का तीर्थ पुरोहित शुरू से ही विरोध कर रहे हंै। उनका कहना है कि कानून लागू होने से हकहकूकधारियों के हित प्रभावित होंगे। वहीं, प्रदेश सरकार इससे लगातार इन्कार कर रही है। सरकार का कहना है कि कानून का मकसद चारधाम व उसके आसपास के धार्मिक स्थलों पर बेहतर सुविधाएं विकसित करने के साथ ही पर्यटकों को इनकी ओर आकर्षित करना है। काननू में सभी हकहकूकधारियों के हित सुरक्षित रखे गए हैं।
बावजूद इसके हकहकूकधारी सरकार की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। वे इस मसले पर अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं। इस कड़ी में चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष व गंगोत्री मंदिर के पुजारी पं. अशोक कुमार सेमवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सांसद व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन कानून बना लिया है। इससे स्थानीय पुरोहित, पुजारी, व्यापार मंडल, हकहकूकधारी, डंडी, कंडी, घोड़ा, खच्चर का कार्य करने वाले तकरीबन 40 हजार लोगों के हित प्रभावित होंगे। स्थानीय लोगों की रोजी रोटी इनसे जुड़ी हुई है। सभी लोग इसके खिलाफ सड़कों पर हैं। आगे भी इस मामले में दिल्ली में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने डॉ. स्वामी से चारधाम देवस्थानम् बोर्ड को निरस्त कराने का अनुरोध किया।
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वहीं, इस मसले पर डॉ. स्वामी ने एक ट्वीट भी किया। इसमें कहा गया है कि वह इस मामले में जनहित याचिका दायर करने पर विचार करेंगे। ट्वीट पर ही यह बताए जाने पर कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है तो उन्होंने लिखा तो फिर इस कानून से असंवैधानिक भाग हटाने में उन्हें आसानी रहेगी। जैसा उन्होंने जीएसटीएन में किया था।
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