Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छात्र सीख रहे वर्षा जल संचय का पाठ, उगा रहे सब्जियां

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 13 Jul 2018 05:22 PM (IST)

    इस कॉलेज में छात्रों को बारिश के जल की अहमियत भी समझाई जा रही है। परिसर में छात्रों के सहयोग से सब्जी भी उगाई जा रही है। इसकी सिंचाई में भी बारिश का प ...और पढ़ें

    Hero Image
    छात्र सीख रहे वर्षा जल संचय का पाठ, उगा रहे सब्जियां

    देहरादून, [जेएनएन]: इस कॉलेज में छात्रों को बारिश के जल की अहमियत भी समझाई जा रही है। कॉलेज परिसर में छात्रों के सहयोग से सब्जी भी उगाई जा रही है। इसकी सिंचाई में भी बारिश का पानी उपयोग में लाया जा रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    युवा पीढ़ी जल संरक्षण की मुहिम में अहम भूमिका अदा कर सकती है। जीएमएस रोड, सेवलाखुर्द स्थित उत्तरांचल कॉलेज ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल में पढ़ने वाले छात्र भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझ रहे हैं। 

    कॉलेज में लगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक का उपयोग एग्रोनॉमी साइंसेज कोर्स के प्रयोग, सिंचाई, निर्माण कार्य, धुलाई समेत अन्य कार्यों में किया जा रहा है। कॉलेज स्टाफ और छात्रों के सहयोग से कैंपस के ही कुछ भाग में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। जिसकी सिंचाई के लिए वर्षाजल का उपयोग किया जा रहा है। यहां पैदा सब्जी को हॉस्टल में रहने वाले छात्रों भोजन के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

    वर्ष 2003 में स्थापित कैंपस में गुरुदेव और उनकी पत्नी पुष्पा वार्णे (अब स्वर्गीय) ने वर्षाजल संचय के लिए तीन टैंक बनवाए थे। जिनकी क्षमता 20, 15 और 10 हजार लीटर है। इसी के साथ करीब 250 वर्ग फीट क्षेत्र में एक रिचार्ज पिट बनाया गया है, जिससे भूजल रिचार्ज किया जाता है।

    गुरुदेव बताते हैं कि अगर सभी ने अपने स्तर से जल को बचाने के प्रयास नहीं किए तो वह दिन दूर नहीं जब हम खरीदकर पानी पीने को मजबूर होंगे। इसके लिए सभी को अपने-अपने स्तर से प्रयास शुरू करने होंगे। बताया कि उनके घर पर बने स्वीमिंग पुल में भी वर्षा जल का उपयोग किया जाता है। 

    उनकी बेटी और कॉलेज की कार्यकारी निदेशक तवलीन कौर ने बताया कि उनके पिता पर्यावरण के प्रति काफी संवेदनशील हैं। घर पर भी अनावश्यक पानी बर्बाद करने पर उन्हें और उनकी बहन कीर्ति को काफी डांट पड़ती थी। पानी की उपयोगिता को लेकर पिता से काफी सीख मिली है।

    छात्रों ने भी बदली अपनी आदतें

    कॉलेज में पढऩे वाले हिब्जा, कल्पना जोशी, सैफ, अमन, सरोज रावत, रोहित सिंह ने बताया कि उनकी आदतों में काफी बदलाव आया है। अब वे घर के सदस्यों को भी पानी की अनावश्यक बर्बादी करने पर टोक देते हैं।

    जल संरक्षण के लिए पौधरोपण जरूरी

    गुरुदेव बताते हैं कि हर वर्ष छात्रों के साथ मिलकर करीब 200 पौधे लगाए जाते हैं। वहीं इनके रख-रखाव का भी संकल्प लिया जाता है। जिससे जल संरक्षण को बल मिल सके।

    यह भी पढ़ें: दूसरों को सिखाने से पहले खुद लिया सबक, सहेज रहे बारिश की बूंदें

    यह भी पढ़ें: 150 साल पुराने घर में बूंदें सहेजकर जया संवार रहीं बगिया

    यह भी पढ़ें: अलग धारा बनाकर बारिश के पानी को संरक्षित कर रहे हैं रिटायर्ड आइएएस