दूसरों को सिखाने से पहले खुद लिया सबक, सहेज रहे बारिश की बूंदें
ओएनजीसी से ग्रुप जनरल मैनेजर हेड कॉरपोरेट इंफ्रा स्ट्रक्चर के पद से सेवानिवृत्त 62 वर्षीय हर्षमणि व्यास ने दूसरों को सिखाने से पहले खुद सबक लिया। वह ब ...और पढ़ें

देहरादून, [जेएनएन]: दूसरों को सीख देने से पहले खुद उस पर अमल करना बेहद जरूरी है। इस बात से ओएनजीसी से ग्रुप जनरल मैनेजर हेड कॉरपोरेट इंफ्रा स्ट्रक्चर के पद से सेवानिवृत्त 62 वर्षीय हर्षमणि व्यास ने सबक लिया। ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स पर काम करने के दौरान दूसरों को वर्षा जल संचय की उपयोगिता समझाने के साथ ही उन्होंने खुद भी इसकी पहल करना जरूरी समझा।
इसके लिए करीब 20 वर्ष पहले उन्होंने अपने कौलागढ़ स्थित आवास में 95 हजार लीटर क्षमता का रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनवाया। जिसका उपयोग उन्होंने अपने सात बीघा में फैले बगीचे की सिंचाई के लिए किया। इस प्रयास से उन्होंने बगीचे में आम, लीची समेत सागौन, हल्दी और अदरक के पौधे लगाए।
हर्ष ने बताया कि उनका घर करीब 30 वर्ष पुराना है। किसी दौर में क्षेत्र में नहर का पानी आता था, जिससे लोग अपने खेतों और बगीचों की सिंचाई करते थे। लेकिन, तेजी से बसी आबादी और पक्के निर्माण के चलते नहर भूमिगत हो गईं।
सिंचाई की कमी से बगीचे पर असर पडऩे लगा और पेड़-पौधे सूखने लगे। बताया कि ग्रीन बिल्डिंग्स प्रोजेक्ट्स के दौरान उन्होंने कई सेमीनार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया। जिसमें उन्होंने जाना कि वर्षा जल किस तरह उपयोगी हो सकता है।
इसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपने घर पर टैंक बनवाकर वर्षा जल का संचय कर उसे बगीचों के लिए उपयोग करना शुरू किया। जिससे पेड़-पौधों को पुनर्जीवन मिलने के साथ ही नए पौधों को लगाने की भी शुरुआत हुई। रोजाना बगीचे के सिंचाई के लिए वर्षा जल का इस्तेमाल किया जाता है।
अब गांव को हरा-भरा करने की है तैयारी
हर्ष ने बताया कि टिहरी गढ़वाल स्थित सौड़ गांव में रियासत के समय नाल्द और चेकडैम बनाने की एक योजना बनाई जा रही थी। जिस पर बजट के अभाव में काम नहीं हो पाया था। वह ग्रामीणों के सहयोग से जल्द ही नाल्द और चेकडैम बनाने की तैयारी करेंगे। इसके साथ जल संचय के पारंपरिक तौर-तरीकों पर भी काम किया जाएगा। जिससे करीब 15 गांवों को लाभ पहुंचेगा।

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