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    Atal Ayushman Scheme: अब अगर आयुष्मान में कोताही बरती तो होगा निष्कासन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jan 2020 08:20 PM (IST)

    आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को उपचार मिलने में हो रही असुविधा को लेकर अब दून मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सख्त रुख अख्तियार किया है।

    Atal Ayushman Scheme: अब अगर आयुष्मान में कोताही बरती तो होगा निष्कासन

    देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मरीजों को उपचार मिलने में हो रही असुविधा को लेकर अब दून मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। अस्पताल में उपकरण उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इस पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने आयुष्मान योजना में चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के साथ ही उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनियों के बीच समन्वय में आ रही कमी को गंभीरता से लेते हुए सख्त हिदायत दी है। 

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    शनिवार को इस मामले को लेकर हुई बैठक में प्राचार्य ने न सिर्फ कार्मिकों को फटकार लगाई, बल्कि कोताही बरतने पर निष्कासन करने तक की चेतावनी भी दी। कहा कि चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को इसके लिए तैयार रहना होगा। वहीं कंपनी को समय पर सामान और उपकरण उपलब्ध नहीं कराने और गुणवत्ता में कमी पर ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी भी दी। दरअसल, चिकित्सकों पर आए दिन आरोप लग रहे हैं कि अटल आयुष्मान योजना के तहत उपचार करा रहे मरीजों से बाहर से सामान और दवाएं मंगाई जा रही हैं। दो दिन पहले दून अस्पताल में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। 

    हालांकि हड्डी रोग विभाग के चिकित्सकों से इसके पीछे तर्क दिया कि ऑपरेशन के लिए इंप्लांट आदि सामान उपलब्ध नहीं होने से बाहर से मंगाना पड़ा। बिल प्रस्तुत करने पर मरीज को पूरी धनराशि वापस करने की बात भी कही गई। बीते दिनों डॉक्टरों ने इंप्लांट में दिक्कत बताकर आठ मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए थे। इस पर शासन ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जबाव तलब कर दिक्कत दूर करने के निर्देश दिए थे। 

    इसके बाद शनिवार को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने अधिकारियों, चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के साथ ही उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों की बैठक ली। कहा कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत उपचार कराने पर मरीज को होने वाली दिक्कत के लिए सीधे तौर पर चिकित्सक व स्टाफ जवाबदेह रहेंगे। सभी को हिदायत दी गई कि वह हर मरीज के उपचार के दौरान समन्वय बनाएं। ताकि ऑपरेशन के दौरान किसी भी उपकरण या दवा की कमी न हो सके। हर सामान अथवा उपकरण डॉक्टर को दिखाकर ही रिसीव किया जाए। इस दौरान फार्मेसी के अफसर भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा कि सामान पूरा होने पर ही चिकित्सक मरीज का ऑपरेशन करेंगे। 

    बैठक में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री, हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी, डॉ. चेतन गिरोटी, डॉ. अक्षत मित्तल, फार्मेसी अधिकारी बीएस कलूड़ा, चीफ फार्मेसिस्ट सुधा कुकरेती और उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनी के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। 

    दलालों पर दर्ज होगा मुकदमा

    दून मेडिकल कॉलेज के आसपास दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। अस्पताल प्रबंधन की लाख कोशिश के बाद भी दलाल टस से मस होने को तैयार नहीं हैं। शनिवार को हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा कि अस्पताल के वार्डों के अलावा इमरजेंसी और ओटी के बाहर दलाल खड़े रहते हैं। कुछ चिकित्सकों और कर्मचारियों द्वारा इन्हें संरक्षण दिए की बात भी सामने आई है।

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    इस पर प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा और डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे लोगों को चिह्नित कर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। बैठक में यह बात भी उठाई गई कि आयुष्मान योजना के तहत उपचार कराने वाले मरीजों (हड्डी रोग) को स्टील के बजाय टाइटेनियम इम्प्लांट लगाने को लेकर बरगलाया जाता है। 

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    ऐसे में मरीज को बाहर से ही उपकरण लाने पड़े हैं, जो कि महंगे पड़ते हैं। प्राचार्य ने ऐसे डॉक्टरों और कार्मिकों को चिह्नित करने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. टम्टा ने हड्डी रोग विभाग के एक डॉक्टर के आर्थोस्कोप मशीन लाकर सर्जरी करने और मरीजों से रुपये लेने की शिकायत भी की। प्राचार्य के जवाब तलब करने पर संबंधित डॉक्टर ने इससे इनकार किया। प्राचार्य ने डॉक्टर को अस्पताल में मशीन नहीं लाने के निर्देश दिए। 

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