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    आयुष्मान कार्डधारक से बाहर से मंगवाया सामान, अफसरों के पास नहीं जवाब

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jan 2020 01:13 PM (IST)

    अटल आयुष्मान कार्ड धारक मरीज से दून मेडिकल अस्पताल प्रशासन ने 2100 रुपये का सामान बाहर से मंगा लिया। इस पर अब अफसरों से जवाब देते नहीं बन रहा है।

    आयुष्मान कार्डधारक से बाहर से मंगवाया सामान, अफसरों के पास नहीं जवाब

    देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को लेकर अपनी पीठ थपथपाने का राज्य सरकार कोई मौका नहीं चूक रही। तुर्रा ये कि योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने पर मरीज को पांच लाख तक का निश्शुल्क उपचार दिया जा रहा है। पर इन दावों की परतें सरकारी अस्पतालों में ही खुलने लगी हैं। इसी तरह का एक मामला दून मेडिकल अस्पताल में सामने आया है। जहां अटल आयुष्मान कार्ड धारक मरीज से अस्पताल प्रशासन ने 2100 रुपये का सामान बाहर से मंगा लिया। इस पर अब अफसरों से जवाब देते नहीं बन रहा है। 

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    दरअसल, टिहरी निवासी मधुसूदन बहुगुणा साथियों के साथ क्रिकेट खेलते वक्त फिसलकर चोटिल हो गए। इससे उनके कंधे व कलाई में चोट आ गई। बीती सात जनवरी को उन्हें अटल आयुष्मान योजना के तहत दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह आर्थो वार्ड में बेड संख्या 17 पर भर्ती हैं। डॉक्टर ने तीमारदारों को बताया कि मधुसूदन के कंधे व कलाई में इम्पलांट डालना पड़ेगा। 

    सोमवार सुबह उसके कंधे का ऑपरेशन किया गया। तीमारदारों का आरोप है कि इस दौरान उनसे 2100 रुपये का सामान व दवाएं बाहर से मंगवाई गईं। बताया गया कि परिजनों ने बाहर से सामान लाने को लेकर विरोध भी किया। डॉक्टरों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि सामान आएगा तभी ऑपरेशन हो पाएगा। तीमारदारों का कहना था कि जब आयुष्मान कार्ड है तो दवा व सामान बाहर से क्यों मंगवाया जा रहा है। 

    उधर, हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी का कहना है कि कोटरी मशीन की पेन खराब होने पर पेन, टांके लगाने को स्टेपलर और एनेस्थिसिया का सामान अस्पताल में उपलब्ध नहीं था। इन्लैंड बनाकर भेजने और सामान आने में लंबी प्रक्रिया होती है। तीमारदारों की सहमति से उक्त सामान मंगाया गया था। 

    मधुसूदन के ऑपरेशन को इंप्लांट आयुष्मान के तहत उपलब्ध कराया गया है। हंगामे जैसी कोई बात नहीं थी। यदि उन्हें दिक्कत है तो अस्पताल से उन्हें उक्त रकम वापस करा दी जाएगी। उधर, अस्पताल के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जा रही है कि आखिर किन परिस्थितियों में ऐसा किया गया। हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष व फार्मेसी विभाग से इस पूरे मामले में रिपोर्ट ली जाएगी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोई सामान उपलब्ध नहीं है तो समय पर उसकी डिमांड भेजी जानी चाहिए। डॉक्टर तभी ऑपरेशन करें जब पूरा सामान उपलब्ध हो। 

    किस घड़ी में पूरा होगा दून अस्पताल का ओटी ब्लॉक

    सरकारी काम की सुस्त रफ्तार देखनी है तो जरा दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के निर्माणाधीन ओटी ब्लॉक व नई ओपीडी के बी-ब्लॉक का राउंड मार आइये। निर्माण शुरू हुए पांच साल होने वाले हैं पर काम अभी भी करीब 40 फीसदी बचा है। गत वर्ष 9 नवंबर की डेडलाइन तय की गई, पर निर्माण पूरा होना छोडि़ए उल्टा अटक गया। 

    निर्माण बंद है और जल्द शुरू भी हुआ तो इसे पूरा होने में आठ से दस माह का समय और लगेगा। इस स्थिति में न तो मरीजों को इन बिल्डिंग का लाभ मिल पा रहा है, न ही अस्पताल प्रशासन की दिक्कतें दूर हो रही हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ओपीडी की अधूरी बिल्ंिडग का दस माह पहले ही उद्घाटन कर दिया गया था। इसके बावजूद काम लटके हुए हैं। 

    रिवाइज्ड एस्टीमेट पर फंसा पेंच

    न्यू ओपीडी बिल्डिंग के बी-ब्लॉक व अन्य कार्य रिवाइज्ड एस्टीमेट के फेर में फंस गए हैं। कार्यदायी संस्था यूपी राजकीय निर्माण निगम ने रिवाइज्ड एस्टीमेट शासन को भेजा हुआ है। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। पहले एस्टीमेट 45 करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़कर 65 करोड़ रुपये पहुंच गया है। 

    इसी तरह ओटी ब्लॉक का निर्माण लटकने की वजह धन का अभाव बताया जा रहा है। बताया गया कि निर्माण की लागत करीब 129 करोड़ रुपये है। इस वित्तीय वर्ष में उक्त निर्माण के लिए धन आवंटित ही नहीं हुआ है। अभी तक कुल 61 करोड़ रुपये ही मिले हैं। यूपी राजकीय निर्माण निगम के अनुसार बजट मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

    काम पूरा हो, तो बढ़ें सुविधाएं 

    दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के नए ओटी ब्लॉक में कुल दस ऑपरेशन थियेटर बनाए जाने हैं। इनमें से 6 मॉड्यूलर ओटी होंगी। मॉड्यूलर ओटी में सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, ईएनटी, न्यूरो और प्लास्टिक सर्जरी संबंधी ऑपरेशन होंगे। इसके साथ ही नई बिल्ंिडग में सेंट्रेलाइच्ड आइसीयू भी बनना है।

    इसके बाद यहां मेडिसिन, सर्जिकल, ईएनटी और जनरल आइसीयू एक साथ हो जाएंगे। मरीजों की क्रिटिकल केयर आसान हो जाएगी। लेकिन काफी काम अब भी अधूरा है। ऐसे में अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

    बिल्डिंग का सुस्त सफर

    2015 में निर्माण शुरू।

    2019 में अधूरी ओपीडी का उद्घाटन।

    40 फीसदी काम अभी भी बाकी।

    ये काम अब तक अधूरे

    ओपीडी में

    - मरीजों के लिए लिफ्ट।

    - मेडिकल अफसरों के लिए केबिन।

    - बाउंड्री वाल व पार्किंग।

    - इलेक्ट्रिफिकेशन।

    - कॉन्फ्रेंस हॉल।

    - मरीजों के लिए रैंप।

    ओटी ब्लॉक में

    - 6 मॉड्यूलर ओटी।

    - 4 सामान्य ओटी।

    - सेट्रेंलाइच्ड आइसीयू।

    - बाउंड्री वाल, पार्किंग।

    - ओटी, महिला विंग की कनेक्टिविटी।

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    जल्द शुरू हो जाएगा काम 

    दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के मुताबिक, न्यू ओपीडी और ओटी ब्लॉक का स्ट्रक्चर लगभग पूरा हो चुका है। बीच में कार्यदायी संस्था के कार्यों की जांच और रिवाइच्ड एस्टीमेट के चलते काम रुका हुआ है। जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा। 

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