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    अटल आयुष्मान में सामने आई एक और खामी, कई ले रहे दोहरा लाभ

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jan 2020 08:16 PM (IST)

    एक तरफ जरूरतमंद लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं वहीं कई ऐसे लोग अटल आयुष्मान योजना में शामिल हैं जो पहले से केंद्र सरकार से संचालित चिकित्सा सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं।

    अटल आयुष्मान में सामने आई एक और खामी, कई ले रहे दोहरा लाभ

    देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़ी एक और खामी सामने आई है। एक तरफ कई जरूरतमंद लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं, वहीं कई ऐसे भी लोग योजना में शामिल हो जा रहे हैं जो पहले से ही केंद्र सरकार द्वारा संचालित चिकित्सा सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। इनमें ईसीएचएस का लाभ लेने वाले पूर्व सैनिक व उनके आश्रित व सीजीएचएस की सुविधा उठा रहे केंद्र के सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं। राशन कार्ड अथवा अन्य दस्तावेज के आधार पर उपलब्ध डाटाबेस से इन लोगों के नाम का मिलान होने पर गोल्डन कार्ड आसानी से बन जा रहे हैं।

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    वेटरन्स डे पर दून सैनिक इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे पूर्व सैनिकों ने भी यह मामला उठाया है। रिटायर मेजर जनरल सी नंदवानी ने बताया कि वह पहले से ही एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूट्री हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) के दायरे में हैं और इसी आधार पर पैनल में शामिल सूचीबद्ध अस्पतालों से चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। 

    इसके बावजूद बीते दिनों अटल आयुष्मान योजना के अंतर्गत गोल्डन कार्ड बनाने के लिए उनके क्षेत्र में शिविर लगाया गया था। जहां डाटाबेस से नाम का मिलान होने पर उनका गोल्डन कार्ड भी बन गया। अब असमंजस की स्थिति यह कि वह ईसीएचएस के मार्फत चिकित्सा सुविधा का लाभ उठाएं या फिर अटल आयुष्मान योजना के तहत। 

    इस पर निदेशक ईसीएचएस कर्नल रणवीर ने कहा कि वह आयुष्मान योजना का अपना कार्ड सरेंडर कर दें। क्योंकि अटल आयुष्मान में जहां पांच लाख तक का निश्शुल्क इलाज मिलेगा, ईसीएचएस में उन्हें असीमित लाभ मिलेगा। बताया कि इस मामले को लेकर वे अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया से भी मिले। उन्हें इस स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के अधिकारियों को ईसीएचएस का रिकार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि कार्ड बनाने में किसी भी प्रकार की डुप्लीकेसी से बचा जा सके। 

    बता दें, प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना लागू हुए एक साल से अधिक का वक्त हो गया है। इस अवधि में करीब 36 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बने हैं। सरकार का दावा है कि इस योजना के अंतर्गत राज्य में एक करोड़ दस लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जाने हैं। पिछले एक माह से इस बावत अलग-अलग स्थानों पर शिविर लगाकर विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है। दिक्कत यह कि साफ्टवेयर में उपलब्ध डाटाबेस में नाम का मिलान नहीं होने से कई लोग गोल्डन कार्ड बनाने से वंचित रह जा रहे हैं। 

    आयुष्मान के लाभार्थी को रिफंड होगी रकम

    अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े मामले में दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन मरीज द्वारा खर्च की गई रकम रिफंड करेगा। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि बिल प्रस्तुत करने पर पूरा पैसा मरीज को दे दिया जाएगा। इस मामले में संबंधित चिकित्सक से स्पष्टीकरण तलब कर लिया गया है। साथ ही समस्त विभागाध्यक्षों को सख्त हिदायत दी गई है कि आयुष्मान योजना के लाभार्थियों के उपचार के दौरान पूरी सावधानी बरतें।

    उन्होंने कहा कि कोई मशीन खराब है या आवश्यक दवाएं, सामान उपलब्ध नहीं है तो इस स्थिति में मरीज को रेफर भी किया जा सकता है। योजना में निश्शुल्क उपचार की व्यवस्था है और मरीज से सामान मंगवाना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

    दरअसल, टिहरी निवासी मधुसूदन बहुगुणा साथियों के साथ क्रिकेट खेलते समय फिसलकर चोटिल हो गए थे। इससे उनके कंधे व कलाई में चोट आई थी। बीती 7 जनवरी को उन्हें अटल आयुष्मान योजना के तहत दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह आर्थो वार्ड में भर्ती हैं। डॉक्टर ने तीमारदारों को बताया कि मधुसूदन के कंधे व कलाई में इम्पलांट डालना पड़ेगा। 

    सोमवार सुबह उसका ऑपरेशन किया गया। तीमारदारों का आरोप है कि इस दौरान उनसे 2100 रुपये का सामान बाहर से मंगवाया गया। परिजनों ने बाहर से सामान लाने को लेकर विरोध भी जताया था, लेकिन डॉक्टरों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि सामान आएगा तभी ऑपरेशन हो पाएगा।

    विभागाध्यक्ष का कहना है कि अचानक कोटरी मशीन की पेन खराब होने के कारण ये स्थिति बनी थी। वहीं प्राचार्य के अनुसार डॉक्टरों को सख्त हिदायत दी गई है कि आइंदा इस तरह की गलती न दोहराएं। अन्यथा उनकी सेवा तक समाप्त की जा सकती है। 

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    चिकित्सा अधीक्षक ने भी ली बैठक

    चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा व डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने भी मामला सामना आने के बाद चिकित्सकों एवं स्टाफ की बैठक ली। उन्होंने अटल आयुष्मान योजना के तहत ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए कि वह ऑपरेशन से पहले ही तमाम व्यवस्थाएं देख लें कि सामान आदि उपलब्ध है या नहीं। यदि इमरजेंसी में कोई जरूरत आन पड़ती है तो इसके लिए दवा एवं उपकरण को आरोग्य मित्र या फार्मेसी स्टोर से संपर्क करें। 

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