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फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच बनी विशेष टीम, पढ़िए पूरी खबर

फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए रुड़की और हरिद्वार में अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। टीमों की कमान सीओ को सौंपी गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 04:36 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:20 PM (IST)
फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच बनी विशेष टीम, पढ़िए पूरी खबर
फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच बनी विशेष टीम, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए रुड़की और हरिद्वार में अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। टीमों की कमान सीओ को सौंपी गई है। दोनों टीमों के द्वारा की जाने वाली जांच का पर्यवेक्षण एसएसपी हरिद्वार करेंगे। आईजी गढ़वाल अजय रौतेला ने बताया कि टीमों से तत्काल जांच शुरू कर फरार आरोपितों की जल्द गिरफ्तारी करने का भी निर्देश दिया गया है।

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फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में रुड़की और पौड़ी के दो कोचिंग संचालकों की मिलीभगत उजागर हुई है। इसे लेकर रुड़की में आठ और पौड़ी जिले में तीन के खिलाफ कुल ग्यारह के खिलाफ मंगलवार को मुकदमा दर्ज हुआ है। दोनों की जगहों पर कोचिंग संचालकों ने इस परीक्षा में कई अभ्यर्थियों से नकल कराने का ठेका लिया था। उन्हें परीक्षा केंद्र के अंदर ले जाने के लिए ब्लूटुथ डिवाइस और मोबाइल दिए गए थे। प्रत्येक अभ्यर्थी से पांच से छह लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। आइजी ने बताया कि आयोग की परीक्षा में हुई गड़बड़ी का मामला बेहद गंभीर है। ऐसे में रुड़की और पौड़ी में सीओ की देखरेख दो-दो दारोगाओं की टीम गठित की गई है। चूंकि पौड़ी में दर्ज मुकदमा भी रुड़की से जुड़ा हुआ है। ऐसे में एसएसपी हरिद्वार को दोनों टीमों की जांच का पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।

कोचिंग संचालक की गिरफ्तारी को दबिश

रुड़की के कोचिंग संचालक मुकेश सैनी की गिरफ्तारी को हरिद्वार पुलिस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापेमारी की, लेकिन अभी तक उसका कुछ पता नहीं चला है। वहीं सैनी और उसके रिश्तेदार के मोबाइल फोन की सीडीआर से भी सुराग लगाने की कोशिश की जा रही है।

अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा की जांच के लिए विशेष टीमें गठित कर दी गई हैं। टीमों को तेजी के साथ कार्रवाई करते हुए आरोपितों को तत्काल गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया है।

आयोग की परीक्षा में धांधली की जांच को बनी एसआइटी

उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की परीक्षाओं में हुई धांधली की जांच के लिए डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बुधवार को एसआइटी गठित कर दी। पांच सदस्यीय एसआइटी की अगुवाई सीओ सिटी शेखर चंद्र सुयाल करेंगे। वहीं एसआइटी में डोईवाला इंस्पेक्टर राकेश गुसाईं, एसएसआइ कोतवाली जितेंद्र चौहान, एसएसआई प्रेमनगर कोमल रावत, एसओजी के कांस्टेबिल प्रमोद कुमार को शामिल किया गया है।

एसआइटी वर्ष 2017 और 2018 के दौरान विभिन्न पदों के लिए हुई परीक्षाओं में की गई धांधली की जांच करेगी। इन परीक्षाओं में सैकड़ों अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की गई थी।

शहर कोतवाली में कनिष्ठ सहायक व डालनवाला में टेक्नीशियन ग्रेड -2 की परीक्षा में हुई धांधली के सबंध में सितंबर 2019 में मुकदमा दर्ज कराया गया था। वहीं इससे पूर्व 21 जनवरी 2018 को सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के संबंध में रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इन मुकदमों की जांच अभी चल ही रही है कि आयोग की फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का नया मामला सामने आ गया। इसे लेकर बुधवार को डीआइजी ने तीनों थानों में दर्ज मुकदमों के विवेचकों को तलब कर अब तक की जांच प्रगति की रिपोर्ट ली। समीक्षा के बाद उन्होंने एसआइटी गठित कर जल्द मामलों की विवेचना पूर्ण कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया।

हर दिन देंगे जांच रिपोर्ट

डीआईजी ने सख्त हिदायत दी कि जांच में शिथिलता अक्षम्य होगी। उन्होंने एसआइटी को यह भी निर्देश दिया है कि वह हर दिन की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट से उन्हें अवगत कराएंगे।

कब्जे में लेंगे दस्तावेज

एसआइटी अब जल्द ही तीनों मुकदमों से संबंधित दस्तावेजों को कब्जे में लेगी। इसके लिए एसआइटी की ओर से सभी विभागों को नोटिस जारी किए जाएंगे।

फुलप्रूफ परीक्षाएं आयोग के लिए कड़ी चुनौती

फॉरेस्ट गार्ड की लिखित परीक्षा के दौरान सामने आई धांधली के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के समक्ष आगे अन्य परीक्षाओं का आयोजन चुनौती से कम नहीं होगा। 'समूह ग' की परीक्षाएं आयोग की ओर से ही आयोजित की जाती हैं।

मुख्यमंत्री ने बीते वर्ष जुलाई महीने में बताया था कि आने वाले समय में प्रदेश में करीब 17 विभागों में 18 हजार से अधिक पदों पर भर्ती होगी। इसे देखते हुए साफ है कि वर्ष 2020 में भी कई विभागों में रिक्त समूह ग के पदों के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन सेवा चयन आयोग को करना पड़ेगा। ऐसे में परीक्षा को फुलप्रूफ बनाना चुनौती से कम नहीं होगा। आयोग की ओर से परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था पर विचार हुआ था, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इसके विकल्प तलाशने की बात भी उठी थी। हालांकि अभी आयोग की यह कोशिश परवान नहीं चढ़ी है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने कहा कि आयोग का संकल्प पारदर्शी व फुलप्रूफ परीक्षा करवाना है। अभी तक जितने भी नकल के मामले सामने आए हैं उनमें शातिर गिरोह की संलिप्तता सामने आई है।

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चार साल इंतजार, मिली निराशा

वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के 1218 पदों के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वर्ष 2016 में विज्ञप्ति जारी की थी। करीब एक लाख, 80 हजार युवक-युवतियों ने प्रदेशभर से आवेदन किया। अभ्यर्थियों की ओर से करीब साढ़े चार करोड़ रुपये परीक्षा शुल्क के रूप में सरकार के खजाने में जमा हुआ, लेकिन छात्रों को करीब चार साल तक लिखित परीक्षा का इंतजार करना पड़ा। बीते रविवार को करीब एक लाख युवाओं ने लिखित परीक्षा दी, लेकिन परीक्षा में हाईटेक नकल के मामले सामने आने के बाद फिर से परीक्षा में संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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