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    UCC में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था, सैनिक के हाथों से लिखी बिना हस्ताक्षर की वसीयत होगी मान्य

    Updated: Fri, 24 Jan 2025 03:55 PM (IST)

    Uniform Civil Code उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। विशेष अभियान में तैनात सैनिक विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकते हैं। यदि किसी सैनिक ने अपनी वसीयत करने के लिए निर्देश लिखा है लेकिन इसे लिखित वसीयत का रूप देने से पहले उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे निर्देशों को भी वसीयत बनाने के लिए मान्य माना जाएगा।

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    Uniform Civil Code: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। File

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। Uniform Civil Code: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत यदि कोई सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक विशेष अभियान में है, तो वह विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकता है।

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    वह अपने हाथ से कोई वसीयत लिखता है और उसमें उसके हस्ताक्षर या फिर साक्ष्य (अटेस्टेड) नहीं है, तो भी वह मान्य होगी। शर्त यह रहेगी कि इसकी पुष्टि होना जरूरी है कि वह हस्तलेख सैनिक का ही है।

    समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही सरकार

    प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में सरकार लगातार आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि 26 जनवरी को प्रदेश सरकार इसे लागू करने की घोषणा कर देगी। समान नागरिक संहिता में सैनिकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि विशेष अभियान में तैनात सैनिक विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकते हैं।

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    यदि किसी सैनिक ने अपनी वसीयत करने के लिए निर्देश लिखा है लेकिन इसे लिखित वसीयत का रूप देने से पहले उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे निर्देशों को भी वसीयत बनाने के लिए मान्य माना जाएगा। कोई सैनिक एक ही समय पर दो गवाहों के समक्ष मौखिक वसीयत बना सकता है।

    सैनिकों के लिए की गई व्यवस्था

    यद्यपि, इसमें व्यवस्था यह की गई है कि मौखिक रूप से बनाई गई वसीयत सैनिक की विशेष सेवा समाप्त होने के बाद जीवित रहने की स्थिति में एक माह बाद शून्य मानी जाएगी। सैनिक चाहे तो वह विशेषाधिकार वसीयत को बदल भी सकता है।

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    सैनिकों के लिए की गई व्यवस्था को जल्द ही समान नागरिक संहिता के लिए बनाए गए पोर्टल के माध्यम से भी प्रस्तुत किया जाएगा। संहिता में वसीयत बनाना अनिवार्य नहीं किया गया है। यह केवल व्यक्तिगत निर्णय है।

    विवाह की सूचना 15 दिनों तक स्वीकृत न होने पर माना जाएगा पंजीकरण

    देहरादून: समान नागरिक संहिता में 27 मार्च 2010 के बाद विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है। इसमें व्यवस्था यह भी की गई है कि यदि किसी ने रजिस्ट्रार कार्यालय में विवाह का पंजीकरण कराया है तो उस व्यक्ति को प्रमाण पत्र सहित विवाह के पंजीकरण की सूचना पोर्टल पर देनी होगी।

    ऐसे आवेदन पर यदि 15 दिन तक निर्णय नहीं होता तो इसे स्वीकृत माना जाएगा। 27 मार्च 2010 के बाद जो पहली बार विवाह पंजीकृत करा रहे हैं, उनके आवेदन पर 15 दिन तक सब रजिस्ट्रार द्वारा निर्णय नहीं लिया जाता तो वह स्वत: ही रजिस्ट्रार को अग्रसारित हो जाएगा। 27 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। फिर भी कोई अपने विवाह को पंजीकृत करना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है।