गैरसैंण विकास परिषद के संशोधन से स्पीकर नाखुश, विधेयक टला
गैरसैंण विकास परिषद में संशोधन के सरकार के फैसले से विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल नाखुश हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र देकर सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। गैरसैंण विकास परिषद में संशोधन के सरकार के फैसले से विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल नाखुश हैं। उनके रुख की वजह से फिलहाल गैरसैंण विकास परिषद में संशोधन संबंधी विधेयक को सरकार विधानसभा में पेश नहीं कर पाई है। सरकार ने परिषद के अध्यक्ष पद का जिम्मा विधानसभा अध्यक्ष से छीनकर इसे आवास मंत्री के सुपुर्द किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र देकर सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
राज्य मंत्रिमंडल की बीती 22 फरवरी को हुई बैठक में गैरसैंण विकास परिषद में संशोधन को हरी झंडी दिखाई गई थी। दरअसल, सरकार का मानना है कि गैरसैंण विकास परिषद का दायरा, कार्यक्षेत्र और उससे संबंधित फैसले उसकी परिधि में हैं। मंत्रिमंडल ने यह जिम्मा आवास मंत्री के सुपुर्द किया। परिषद अध्यक्ष पद लाभ के पद के दायरे से बाहर कर दिया गया है। मंत्रिमंडल इससे संबंधित संशोधित विधेयक को मंजूरी दे चुकी है।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के सरकार के फैसले का पुरजोर समर्थन व स्वागत कर चुके विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल गैरसैंण विकास परिषद में संशोधन के पक्ष में नहीं बताए जा रहे हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार बीती तीन मार्च से सात मार्च तक गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान इस विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत करना चाहती थी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की असहमति देखते हुए कदम पीछे खींचे गए हैं।
संपर्क करने पर सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि गैरसैंण विकास परिषद का कार्य सरकार के दायरे में है। इस वजह से मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है। इस पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर भी किया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार इस सत्र में उक्त विधेयक लाना चाहती थी। ऐसा नहीं हुआ। जल्द ही इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।
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सीएम से किया यथावत रखने का अनुरोध
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के मुताबिक, गैरसैंण विकास परिषद अध्यक्ष पद की व्यवस्था में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। परिषद के दो सदस्यों में शामिल स्थानीय विधायक भी सरकार के फैसले से सहमत नहीं हैं। विधायकों ने भी मुख्यमंत्री को व्यवस्था यथावत रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने भी मुख्यमंत्री से यही अनुरोध किया है। इसके बाद भी सरकार विधेयक सदन में लाती है तो उस पर सदन निर्णय लेगा।
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