Sneh Rana बोलीं, प्रतिद्वंद्वी टीमों की कमियों को 'हथियार' बनाकर रची विश्व कप की जीत
Uttrakhand News, Sneh Rana Interview, Women ODI World Cup 2025 महिला वनडे क्रिकेट विश्व कप में पहली बार भारतीय टीम के विजेता बनने से पूरे देश में गर्व और उत्साह की लहर है। क्रिकेट जैसे खेले में जब देश की बेटियों ने ट्राफी हासिल की, तो यह खेलप्रेमियों के साथ-साथ हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बना, जिससे समानता और सशक्तीकरण का भी स्पष्ट संदेश गया। इस सीरीज में भारतीय महिला टीम की आलराउंडर सदस्य रहीं देहरादून की स्नेह राणा ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने बल्ले के साथ-साथ गेंदबाजी में भी कमाल दिखाया। स्नेह ने दैनिक जागरण के संवाददाता तुहिन शर्मा से विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

भारतीय महिला महिला वनडे क्रिकेट टीम की आलराउंडर सदस्य रहीं देहरादून की स्नेह राणा ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया।
सवाल: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस ऐतिहासिक जीत की आप सदस्य हैं। कैसा रहा आपका यह सफर? क्या उतार-चढ़ाव देखने को मिले?
उत्तर: मेरा यह सफर बहुत ही खास रहा। क्योंकि इसमें मेरे घर वालों के साथ-साथ पूरे देश की नजरें थी। लेकिन हमारी टीम की हर सदस्य ने जरा भी अपने ऊपर नकारात्मकता हावी नहीं होने दी। पूरे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हमने हर मुकाबले का डट कर सामना किया। हालांकि, बीच में एक साथ तीन मैच हारने के बाद थोड़ा कठिन समय आया था। लेकिन, हमने धैर्य बनाए रखा और सधी रणनीति के साथ दोबारा जीत से शुरुआत की। शांति और धैर्य का आलम यह था कि हमारे ड्रेसिंग रूम तक में हमेशा सकारात्मक बातें होती थीं। किसी भी खिलाड़ी का आत्मविश्वास जरा भी नहीं डोला और यही जीत का कारण बना।
सवाल: भारतीय महिला टीम की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे किस तरह की रणनीतियां अपनाई गईं? उन पर खरा उतरने के लिए क्या किया गया?
उत्तर: भारतीय टीम के जहन में शुरू से यह बात थी कि इससे पहले दो बार विश्व कप के फाइनल में भारत जगह बना चुका था, लेकिन जीत नहीं मिली थी। बस, इसी प्वाइंट पर सभी ने फोकस किया। हमने प्रतिद्वंद्वी टीमों के सभी वीडियो देखे। उनकी बालिंग-बैटिंग और खेलने के तरीके पर विशेष ध्यान दिया। उनकी कमियों को बारीकी से देखा। जिसके नोट्स बनाकर हमने कमरों पर चिपकाए। फिर कोच से इस पर राय ली। कोच के अथक प्रयास से हमने कड़ा अभ्यास कर धीरे-धीरे अपनी कमियों को पीछे धकेला। प्रतिद्वंद्वी टीमों की शानदार ट्रिकों को भी अपनाया। साथ ही उन्हें हराने की रणनीतियां बनाईं।
सवाल: आप सेमीफाइनल और फाइनल में मैदान पर नहीं उतरीं, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे? अब आपका अगला लक्ष्य क्या है?
उत्तर: टीम मैनेजर खिलाड़ियों के स्क्वाड को मैदान में उतारते हैं। हालांकि, मैंने क्वार्टर फाइनल तक सभी मुकाबले खेले। क्वार्टर फाइनल मुकाबला वर्चुअल हो गया था। फिलहाल, तो मैं अभी अपने घर पर रहूंगी। इसके बाद वूमेंस प्रीमियर लीग शुरू होने वाली है। उसमें आक्शन में नाम आएगा, तो जरूर शामिल होंगे। लेकिन अपना रूटीन अभ्यास जारी रहेगा। आइसीसी कप को लेकर तैयारी करती रहूंगी। इस बार जो कुछ कमियां रह गई हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। ताकि अगले मुकाबलों में और जबरदस्त प्रदर्शन हो सके और फिर से देश का नाम रोशन हो।
सवाल: आपके क्रिकेटर बनने में किसका सहयोग सबसे अधिक रहा? अब मैदान में उतरने वाली लड़कियों और महिलाओं के लिए क्या सलाह देंगी?
उत्तर: मुझे क्रिकेटर बनाने में मेरी मां विमला राणा ने हमेशा पूरा सहयोग किया। मेरी बहन रुचि राणा और प्रारंभिक कोच किरण शाह की भी अहम भूमिका रही। वैसे सच कहूं तो सबसे पहले एकेडमी में मेरा दाखिला मेरे पिता स्व. भगवान सिंह राणा ने कराया था। उन्हें विश्वास था कि मैं क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाऊंगी, जो कि आज साबित हो रहा है। वहीं, अब आने वाली लड़कियों के सलाह है कि वह किसी भी क्षेत्र में पूरी ईमानदारी और लगन के साथ कार्य करें। उनके माता-पिता भी लड़कियों को आजादी दें। जिसका परिणाम भी उन्हें देखने को मिलेगा। आज लड़कियां हर क्षेत्र में आगे हैं।

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