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    उत्तराखंड में उभरा नया टूरिज्म सेक्टर, 200 से ज्‍यादा युवा बने गाइड; सैलानियों को दिखांएगे ब्रह्मांड का अनोखा संसार

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 02:45 PM (IST)

    उत्तराखंड में एक नया टूरिज्म सेक्टर उभर रहा है, जिसमें 200 से ज्‍यादा युवा गाइड बने हैं। ये युवा सैलानियों को ब्रह्मांड का अनोखा संसार दिखाएंगे और राज ...और पढ़ें

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    500 से अधिक युवाओं को एस्ट्रो-टूरिज्म से जुड़ी व्यावसायिक दक्षताएं देने की बड़ी योजना का हिस्सा है। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून । उत्तराखंड में उभरते एस्ट्रो-टूरिज्म सेक्टर को मजबूती देने की दिशा में एक अहम पहल के तहत राज्य के 200 से अधिक स्थानीय युवाओं को एस्ट्रो-टूरिज्म गाइड के रूप में प्रशिक्षण देकर प्रमाणित किया गया है। यह प्रशिक्षण स्टारस्केप्स द्वारा उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और टूरिज्म एंड हास्पिटैलिटी स्किल काउंसिल के सहयोग से चलाए जा रहे राज्यव्यापी स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत दिया गया।

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    स्टारस्केप्स के फाउंडर रामाशीष रे ने कहा कि कार्यक्रम छह माह की अवधि में 500 से अधिक युवाओं को एस्ट्रो-टूरिज्म से जुड़ी व्यावसायिक दक्षताएं देने की बड़ी योजना का हिस्सा है। वहीं, पर्यटन विकास परिषद की अपर निदेशक पूनम चंद ने इसे उत्तराखंड में आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ आगे बढ़ाने वाली पहल बताया। उत्तराखंड सरकार के समर्थन से संचालित इस पहल का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को रोजगारोन्मुखी कौशल से जोड़ते हुए सस्टेनेबल टूरिज्म और डार्क-स्काई कंजर्वेशन को बढ़ावा देना है।

    एस्ट्रोनामी से हास्पिटैलिटी तक समग्र प्रशिक्षण

    प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में एस्ट्रोनामी और रात के आकाश की मूल जानकारी, टेलीस्कोप संचालन, गाइडेड स्टारगेजिंग का व्यावहारिक प्रशिक्षण और मोबाइल फोन व शुरुआती कैमरों से बेसिक एस्ट्रोफोटोग्राफी शामिल है। इसके साथ ही प्रतिभागियों को डार्क-स्काई संरक्षण, जिम्मेदार पर्यटन, हास्पिटैलिटी स्किल्स, स्टोरीटेलिंग और कम्युनिटी-लेड टूरिज्म माडल पर भी प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से एस्ट्रो-टूरिज्म अनुभवों का संचालन कर सकें। ऋषिकेश की सर्टिफाइड एस्ट्रो-टूरिज्म गाइड मोनिका रावत के अनुसार इस प्रशिक्षण से उन्हें स्टारगेजिंग सेशन संचालित करने और अपने होमस्टे के जरिए अतिरिक्त आय का आत्मविश्वास मिला है।

    राज्य के कई क्षेत्रों में हो चुकी है ट्रेनिंग वर्कशाप

    अब तक मुनस्यारी, देहरादून, ऋषिकेश, रामनगर, लोहाघाट और पिथौरागढ़ में ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए जा चुके हैं। आने वाले समय में लैंसडौन, कर्णप्रयाग, अल्मोड़ा, नैनीताल, चोपता सहित अन्य डार्क-स्काई क्षेत्रों में भी वर्कशाप आयोजित की जाएंगी।

    कम्युनिटी-बेस्ड टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

    यह पहल खासतौर पर स्थानीय युवाओं और होमस्टे संचालकों को लक्षित करती है, ताकि वे स्टारगेजिंग जैसे अनुभवों को पर्यटन गतिविधियों में जोड़कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकें और साथ ही उत्तराखंड के स्वच्छ व प्राकृतिक रात के आसमान का संरक्षण भी सुनिश्चित हो।

    मार्च 2026 तक चलेगा कार्यक्रम

    अक्टूबर 2025 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम मार्च 2026 तक चलेगा। प्रशिक्षण पूरा करने वाले प्रतिभागियों को टीएचएसी से सरकार से मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन दिया जा रहा है, जिससे वे टूरिज्म और हास्पिटैलिटी सेक्टर में रोजगार के बेहतर अवसरों के साथ भविष्य में कम्युनिटी-आधारित एस्ट्रो-टूरिज्म पहलों में भी भागीदारी कर सकेंगे।

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