स्कूल-कॉलेज बंद होने से वैन संचालक-चालक भुखमरी की कगार पर, महीनों से घर के बाहर खड़े हैं वाहन
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण लगे लॉकडाउन से पहाड़ से लेकर मैदान तक स्कूल चालक और संचालक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए लेकिन कोई इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। कई संचालकों ने तो तीन महीने से बैंक ऋण की किस्त तक नहीं भरी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण लगे लॉकडाउन से पहाड़ से लेकर मैदान तक स्कूल चालक और संचालक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए, लेकिन कोई इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। कई संचालकों ने तो तीन महीने से बैंक ऋण की किस्त तक नहीं भरी। स्कूल वैन घर के सामने पार्क देख चालक और संचालकों के परिजन बेहद आहत हैं। इन चालाकें की संख्या 30 हजार से अधिक हैं। कांग्रेस सेवादल महानगर प्रभारी और प्रदेश सचिव पीयूष गौड़ ने उत्तराखंड सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया है।
गौड़ ने कहा कि 22 मार्च 2020 को पहले लॉकडाउन से उत्तराखंड में सभी स्कूल बंद हैं। लॉकडाउन से ठीक चार माह पहले उत्तराखंड आरटीओ ने स्कूलों की अवैध वैन की रोकथाम के लिए सभी स्कूल वैन पर पीला रंग और पीली पट्टी लगाना अनिवार्य कर वैन का कमर्शियल रोड टैक्स, कमर्शियल बीमा नियम लागू किया था। इसके अभाव में भारी जुर्माना रखा गया था। सभी स्कूल वैन संचालकों ने जुर्माने से बचने के लिए कमर्शियल टैक्स, बीमा कराया और अतिरिक्त आर्थिक बोझ को वहन किया।
कुछ ही समय में लॉकडाउन हो गया, जिस कारण सभी को अपने स्कूल वाहन घर खड़े करने पड़े और जब से आज तक सभी के स्कूल वैन घरों में खड़े-खड़े खराब हो रही हैं। कुछ मालिकों द्वारा पुनः टैक्स और बीमा करने से बचने के लिए अपने वाहन को बेचकर घर खर्च चलाना पड़ रहा है तो कुछ बेचने को सोच रहे हैं। पर, इस समय उपयुक्त ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे वाजिब दाम भी नहीं मिल पा रहा है। गत वर्ष आरटीओ की ओर से टैक्स में कुछ राहत दी गई थी। पीयूष गौड़ ने कहा कि समय रहते सरकार ने इनकी ओर ध्यान न दिया तो इनके आगे भूखे मरने के सिवा कोई विकल्प नहीं होगा।
कांग्रेस सेवादल ने सरकार से मांग की कि तत्काल पूरे लॉकडाउन समय का टैक्स और बीमा माफ किया जाए। साथ ही कोई अन्य कार्य न होने के कारण लॉकडाउन तक सभी स्कूल वैन चालकों को प्रति माह मुफ्त राशन मुहैया कराए, जो न्यायोचित भी होगा। पहाड़ों में तो हजारों परिवारों की रोजी रोटी यहीं स्कूल वैन हैं। सरकार को महीने के खर्च के निए इन वाहन संचालकों और चालकों को गुजारा भत्ता देना चाहिए।
मांग करने वालों में पीयूष गौड़ प्रदेश सचिव व महानगर प्रभारी सेवादल उत्तराखंड कांग्रेस, अशोक मलहोत्रा, रविन्द्र जैन, वाहिद हुसैन राव, रामजी लाल, वीरेंद्र कन्नौजिया, अंजू नाहर, अकरम और भूपेंद्र धीमान आदि अन्य लोग मौजूद थे।
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