हालत सुधरे तो थमेंगे प्रवासियों के कदम, पलायन आयोग ने सरकार को दिए ये सुझाव
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से उत्तराखंड के ग्रामीण इलाके भी अछूते नहीं हैं। रोजाना ही वहां संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं जिससे चिंता बढ़ गई है। इसकी मुख्य वजह है गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से उत्तराखंड के ग्रामीण इलाके भी अछूते नहीं हैं। रोजाना ही वहां संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं, जिससे चिंता बढ़ गई है। इसकी मुख्य वजह है गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव। इस बीच देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी गांव लौटे हैं। हालांकि, सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से निबटने के मद्देनजर स्वास्थ्य सुविधाओं पर फोकस जरूर किया है, मगर जानकारों का कहना है कि इसके लिए स्थायी तौर पर काम करने की जरूरत है। उधर, उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने सरकार को सुझाव दिया है कि गांवों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से ग्रामीणों को तो लाभ मिलेगा ही, प्रवासियों के कदम थामे रखने में भी मदद मिलेगी।
किसी भी क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा के लिहाज से बेहतर व्यवस्थाएं हों तो कोई भी अपनी जड़ें नहीं छोड़ेगा। इस दृष्टिकोण से उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर दौड़ाएं तो प्रदेशभर में 714 सरकारी अस्पताल हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 578 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 79 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, मगर इन अस्पतालों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।
महज उपस्थिति दर्ज कराने तक सिमटे ये स्वास्थ्य केंद्र रेफरल सेंटर का ही काम कर रहे हैं। सूरतेहाल, छोटी से छोटी बीमारी के उपचार के लिए भी ग्रामीणों को शहरी क्षेत्रों की दौड़ लगाने को विवश होना पड़ रहा है।ऐसा ही हाल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का भी है। राज्यभर में प्राथमिक शिक्षा के लिए 14271 सरकारी और 4504 निजी विद्यालय हैं। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की तस्वीर भी किसी से छिपी नहीं है।
गांवों से हो रहे पलायन के पीछे दो मुख्य बड़ी वजह शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का न पसरना भी है। अब जबकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने गांवों में तेजी से दस्तक दी है तो वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की चुनौती ने पेशानी पर बल डाल दिए हैं। यद्यपि सरकार ने अब इस दिशा में कदम उठाए हैं। अस्पतालों में जरूरी उपकरण समेत अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं। मंत्री, विधायक, सांसद भी इसके लिए अपने- अपने स्तर से प्रयासों में जुटे हैं।पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी के मुताबिक कोरोना संकट से सबक लेते हुए गांवों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। सरकार को यह सुझाव भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि गांवों में इन दोनों सुविधाओं के दुरुस्त होने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सरकार ने गांवों पर खास फोकस किया है। स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में इसके सार्थक नतीजे सामने आएंगे। शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने में भी सरकार जुटी है। राज्य के सभी ब्लाकों में माडल स्कूलों की स्थापना के साथ ही अन्य कदम उठाए जा रहे हैं।
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