Uttarakhand Scholarship scam: 97 लाख से ज्यादा की छात्रवृत्ति घोटाले में दून घाटी कॉलेज पर मुकदमा दर्ज
अब डोईवाला कोतवाली के प्रेमनगर बाजार स्थित दून घाटी कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन में 97 लाख 57 हजार 500 रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है।
देहरादून, जेएनएन। समाज कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति घोटाले में नई कडिय़ां जुड़ती जा रही हैं। अब डोईवाला कोतवाली के प्रेमनगर बाजार स्थित दून घाटी कालेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन में 97 लाख 57 हजार 500 रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है। एसआईटी जांच के बाद डोईवाला कोतवाली पुलिस ने संस्थान के मालिक व संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
समाज कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में घोटाले का सबसे पहले मामला हरिद्वार से प्रकाश में आया था। जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने जांच के लिए एसआइटी का गठन किया और पूरे प्रदेश में इन घोटालों की जांच शुरू हो गई। गढ़वाल परिक्षेत्र में हुए घोटाले की जांच आइपीएस मंजूनाथ टीसी की अगुवाई में गठित टीम कर रही है।
ताजा मामले में डोईवाला स्थित दून घाटी कालेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन में भी छात्रवृत्ति घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि संस्थान के मालिक व संचालक ने छात्र-छात्राओं के फर्जी प्रवेश दर्शाकर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति ली। संस्थान द्वारा गबन की गई कुल रकम 97 लाख 57 हजार 500 रुपये है। मामले में उप निरीक्षक एसआईटी रोहित कुमार ने दून घाटी कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन डोईवाला के मालिक व संचालक के खिलाफ तहरीर दी है।
उन्होंने बताया कि तहरीर में संस्थान के मालिक व संचालक के नाम का उल्लेख नहीं है, लिहाजा मुकदमा नामजद नहीं, बल्कि संस्थान के मालिक और संचालक के नाम पर ही दर्ज किया गया है। यह लोग कौन है, यह आगे की जांच में सामने आयेगा।
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152 छात्रों का दिखाया था फर्जी दाखिला
दून घाटी कालेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन संस्थान में सामने आया छात्रवृत्ति घोटाला वर्ष 2011 से वर्ष 2016 के बीच हुआ। वरिष्ठ उप निरीक्षक महावीर सिंह रावत ने बताया कि एसआईटी जांच में यह बात सामने आई है कि संस्थान ने कुल 152 छात्रों के फर्जी एडमिशन दिखाकर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति हासिल की। जिसमें शिक्षण सत्र 2011-12 में 11 छात्र, 2012-13 में एक, 2013-14 में 97 छात्र व सत्र 2015-16 में 43 छात्रों के फर्जी प्रवेश दर्शाए गए। जबकि इन छात्रों का संस्थान में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।