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    उत्तराखंड के सभी निजी स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य

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    Updated: Wed, 18 Sep 2019 08:21 PM (IST)

    उत्तराखंंड में विभिन्न परीक्षा बोर्डो से संबद्ध सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अब कक्षा तीन से आठवीं तक संस्कृत विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।

    उत्तराखंड के सभी निजी स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में विभिन्न परीक्षा बोर्डो से संबद्ध सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अब कक्षा तीन से आठवीं तक संस्कृत विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा। शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर यह निर्णय लिया गया। 

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    प्रदेश में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है। संस्कृत को दूसरी राजभाषा बनाने का निर्णय भी भाजपा सरकार ने लिया था। अब संस्कृत की पढ़ाई को हर स्कूल के लिए अनिवार्य किया गया है। 

    शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने विधानसभा में शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से वार्ता की। उन्होंने सचिव को सभी सरकारी और निजी स्कूलों में कक्षा तीन से आठवीं तक संस्कृत विषय को अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में निजी स्कूलों की ना-नुकुर को सहन नहीं किया जाएगा। किसी स्कूल ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में संस्कृत पढ़ाने से गुरेज किया तो प्रदेश सरकार एनओसी देने से इन्कार कर देगी। 

    उत्तराखंड बोर्ड, सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में इसे अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने में लापरवाही बरतने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ अब कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। अभी तक स्कूलों के खिलाफ इस मामले में कानूनी कार्यवाही का प्रावधान नहीं है। कानूनी कार्यवाही के लिए नियमावली में व्यवस्था की जाएगी। 

    उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को राहत देने के लिए एनसीईआरटी की किताबें लागू की गई हैं। उन्हें जानकारी मिली है कि कई निजी स्कूलों ने सरकार के आदेश को लागू करने में ढिलाई बरती। अगले शैक्षिक सत्र से ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। निजी स्कूल एनसीईआरटी के इतर किताबें लागू नहीं कर सकेंगे। ऐसा किया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

    शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति के लिए एनओसी नहीं: पांडे

    शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी विद्यालयों के दो शिक्षकों का बगैर विभागीय अनुमति के शहरी विकास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर जाना शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को नागवार गुजरा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को किसी भी सूरत में प्रतिनियुक्ति पर जाने और महकमे से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं दी जाएगी। वहीं शिक्षा महकमे के एनओसी से इन्कार करने के बाद उक्त शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ना तय है। 

    शहरी विकास विभाग के अंतर्गत विभिन्न नगर निकायों में अधिशासी अधिकारियों और नगर आयुक्तों और सह आयुक्तों के पदों पर विभिन्न महकमों से प्रतिनियुक्ति पर तैनाती की गई है। विभाग की ओर से उक्त पदों पर प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे। शिक्षा महकमे से दो शिक्षकों की भी सहायक नगर आयुक्त के पदों पर प्रतिनियुक्ति की गई है। 

    ऊधमसिंहनगर जिले के जसपुर ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज हमीरावाला में कार्यरत सहायक अध्यापिका ताबिंदा अली को तीन वर्ष के लिए काशीपुर नगर निगम में सहायक नगर आयुक्त के पद पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनाती दी गई है। 

    इसीतरह पौड़ी जिले के राजकीय इंटर कॉलेज त्रिपालीसैंण में कार्यरत प्रवक्ता पंकज गैरोला को भी ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर नगर निगम में सहायक नगर आयुक्त के पद पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनाती दी गई है। खास बात ये है कि दो शिक्षकों को एक ही नगर निगम में एक ही पद पर प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई है। 

    चर्चा है कि उक्त दोनों ही शिक्षकों को उनके सियासी रसूख के बूते उक्त तैनाती मिली है। एक ओर सरकारी विद्यालय खासतौर पर माध्यमिक विद्यालय एलटी और प्रवक्ता के बड़ी संख्या में रिक्त पदों के संकट से जूझ रहे हैं। इन पदों पर गेस्ट फैकल्टी रखने में सरकार को कामयाबी नहीं मिल पा रही है। 

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    शिक्षकों की कमी के चलते सरकारी विद्यालयों में छात्रसंख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में उक्त दोनों शिक्षकों को एक ही पद पर प्रतिनियुक्ति मिल गई। अब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे इस मामले की जानकारी मिलने पर खफा हैं। 

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    मीडिया के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें उक्त दोनों शिक्षकों के प्रतिनियुक्ति पर जाने के बारे में विधिवत जानकारी नहीं है, लेकिन शिक्षकों के संकट के चलते उन्हें किसी भी सूरत में अन्य महकमों में प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। उक्त दोनों शिक्षकों को भी एनओसी नहीं दी जाएगी।

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