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    हैस्को की मदद से बनेंगे ग्रामीण तकनीक केंद्र, पढ़िए पूरी खबर

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    Updated: Tue, 23 Apr 2019 08:57 AM (IST)

    सीएसआइआर के डीजी डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि देशभर के गांव में ग्रामीण तकनीक केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें हैस्को को समन्वय की जिम्मेदारी दी जाएगी।

    हैस्को की मदद से बनेंगे ग्रामीण तकनीक केंद्र, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, जेएनएन। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के डीजी डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि लोक विज्ञान और ज्ञान के लिए देशभर के गांव में ग्रामीण तकनीक केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें हैस्को को समन्वय की जिम्मेदारी दी जाएगी। तीन माह के भीतर इसकी रूपरेखा तैयार कर भावी रणनीति तय होगी। इसके लिए दिल्ली में सीएसआइआर संस्थानों और स्वैच्छिक संगठनों की बैठक बुलाई गई है। इधर, जौनसार की महिलाओं ने वैज्ञानिकों के स्वागत में लोकनृत्य की आकर्षक प्रस्तुति देते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। 

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    देहरादून के शुक्लापुर स्थित हैस्को मुख्यालय में शुक्रवार को सीएसआइआर के डीजी समेत वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भ्रमण किया। इस दौरान हैस्को द्वारा इजाद की गई विभिन्न तकनीकी का अवलोकन कर वैज्ञानिकों ने तारीफ की। कहा कि गांव में ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी के बिना विकास की उम्मीदें नहीं की जा सकती हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों को गांव के व्यवहारिक ज्ञान को ध्यान में रखकर तकनीकी पर काम करना होगा।

    इस मौके पर आयोजित रूरल रीच कार्यशाला में सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि ग्रामीण तकनीकी केंद्रों के लिए शुरुआती दौर में पहाड़, रेगिस्तान व समुद्री तटों पर कार्य किया जाएगा। दिल्ली में होने वाली बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले हैस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने हैस्को के प्रमुख कार्यो से अवगत कराया। कहा कि हैस्को देशभर में विज्ञान, तकनीकी और आंदोलन के रूप में पहचान बना रहा है। उन्होंने परिषद से कहा कि एग्रो क्लाईमेटिक जोन के पांच गांव चुनकर रूरल कम्युनिटी विकसित करनी होगी। इससे मानव, कृषि, संसाधनों और विनिर्माण तकनीकी प्रदर्शित होंगी।

    ये वैज्ञानिक रहे मौजूद 

    सीबीआरआइ के निदेशक डॉ. एन. गोपालाकृष्णा, सीमैप के एक्टिंग निदेशक डॉ. आलोक कालरा, आइएचबीटी पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार, एनबीआरआइ के डॉ. एस.के. बारिक, डॉ. सुदीप कुमार, डॉ. अरविंद कुंडलिया, डॉ. विभा मल्होत्रा सहाणे, डॉ. किरन नेगी, डॉ. हिमानी पुरोहित, दीप्ति पांडे, द्वारिका सेमवाल, विनोद खाती, पंकज कुमार, डॉ. साक्षी पैन्यूली आदि मौजूद रहे।

    इन कामों को देखा 

    वैज्ञानिकों ने नदी पर हैस्को के प्रयोगों रिवर रिचार्जिंग, उन्नत घराट, पायरोलाईजर, रूरल गीजर, लो कॉस्ट सोलर ड्रॉयर, बायो गैस, लो कॉस्ट ब्रिज, लो कॉस्ट वॉटर फिल्टर, दक्ष चूल्हा, वर्मी कम्पोस्ट, बायो फर्टीलाईजर, कारीगर कार्यशाला, लैंटाना से बने उत्पादों व किसान बैंक का अवलोकन कर जानकारी ली।

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