आरएसएस के पूर्व प्रांत सह संघचालक रोशनलाल का निधन Dehradun News
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रांत सह संघ चालक रोशनलाल का आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन से संघ से जुड़े स्वयंसेवकों में शोक की लहर है।
देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रांत सह संघ चालक रोशनलाल का आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन से संघ से जुड़े स्वयंसेवकों में शोक की लहर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रांत सह संघचालक रोशनलाल ने न केवल देहरादून बल्कि राज्यभर में संघ की रीति-नीति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
सीमाद्वार रोड स्थित गढ़वाली कॉलोनी के पास साईलोक कॉलोनी में उनका शुक्रवार को निधन हो गया। वह अपने पीछे दो बेटों का भरापूरा परिवार छोड़ गए। मूल रूप से रोशनलाल प्रेमनगर के रहने वाले थे। यहां वह अपने बड़े बेटे के साथ रहते थे। संघ से जुड़े हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि उनते पार्थिव शरीर को तिलक रोड स्थित संघ के प्रांत कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। यहां से अंतिम यात्रा प्रेमनगर के लिए चलेगी।
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प्रेमनगर स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्व सह संघचालक रोशनलाल संघ को विस्तार देने के लिए बाल्यकाल से वर्तमान तक अपना अमूल्य समय देते आ रहे थे। इधर, संवाद केंद्र के निदेशक विजय जुनेजा, क्षेत्र कार्यवाह शशिकांत समेत अन्य ने निधन पर शोक जताया है।
सीएम ने दी श्रद्धांजलि
तिलक रोड स्थित संघ कार्यालय में अंतिम दर्शन के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद भगत सिंह कोश्यारी, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, महापौर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी, विधायक खजान दास, विधायक हरबंस कपूर के साथ ही बड़ी संख्या में आरएसएस कार्यकर्ता जुटे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोशनलाल एक समर्पित कार्यकर्ता थे। उन्होंने सरकारी सेवा के साथ ही सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया।
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पत्नी के देहांत पर भी शामिल हुए गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में
पत्नी के देहांत पर भी गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में हुए शामिल पूर्व प्रांत सह संघचालक रोशनलाल के बारे में यह वृत्तांत है कि उनकी पत्नी का निधन गुरु दक्षिणा कार्यक्रम के दिन हो गया। इस दिन वह पत्नी के अंतिम संस्कार में जाने से पहले गुरु दक्षिणा और प्रार्थनासभा में शामिल हुए। इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई। संघ के प्रति उनका यह समर्पण छोटा उदाहरण मात्र है।